छोटी सी राई के बड़े-बड़े गुण, राई के पानी से चेहरा धोने पर निखरती है चेहरे की रंगत

 गठिया, मेनोपॉज, बवासीर, रसौली और ह्रदय की दुर्बलता, दांत के दर्द में भी फायदेमंद

राई के दाने सुर्ख और कालिमा लिए बहुत छोटे-छोटे होते हैं। खाने में राई का तड़का लगते ही इसका स्वाद कई गुना बढ़ जाता है। आमतौर पर हमारे घरों में राई का इस्तेमाल अचार बनाने या फिर कुछ सब्ज‍ियों और सांभर में तड़का लगाने के लिए किया जाता है। हम राई का इस्तेमाल तो करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि सेहतमंद बनाने के साथ ही ये मसाले हमें कई तरह की बीमारियों और समस्याओं से भी दूर रखते हैं। राई में मायरोसीन, सिनिग्रिन जैसे तत्व पाए जाते हैं। ये दोनों ही चीजें स्क‍िन के लिए बहुत फायदेमंद हैं। रोजाना राई के पानी से चेहरा धोने पर चेहरे की रंगत निखरती है और मोइशराइज़र भी बना रहता है। राई का सेवन मसाले के रूप में होता है। राई के पानी और राई की मारक सेवन बहुतायत में किया जाता है। इनके अंदर काफी मात्रा में तेल का अंश रहता है, जो बहुत लाभकारी है। राई का स्वाद चरपरा तथा प्रकृति गरम होती है। यह रुचिकर और भूख बढ़ाने वाली है। उष्ण होने के कारण राई वायु एवं कफ को नष्ट करती है। यह शरीर के दर्द एवं मासिकधर्म में भी बहुत उपयोगी है।

अगर आपको बहुत अधिक घबराहट होती है तो राई को पीसकर प्रयोग में लाना बहुत फायदेमंद है। राई को पीसकर हाथ और पैर पर मलने से घबराहट कम होती है और राहत मिलती है।

कफ ज्वर

जिह्वा पर मैल की परत जमने तथा भूख-प्यास मंद पड़कर ज्वर आने की दशा में राई के पांच ग्राम आटे को शहद में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से कफ ज्वर दो-तीन दिनों में उतर जाता है।

बवासीर और गठिया में भी लाभदायक

राई अपच, भूख की कमी, बवासीर और गठिया में भी लाभदायक होता है। राई मूत्र रोग में भी उपयोग होता है। इतना ही नहीं, काली राई त्रिदोष को ठीक करने वाला और बवासीर में फायदेमंद होता है। गुदाद्वार के मस्सों पर राई का तेल लगाएं। कुछ ही दिनों में बवासीर के मस्से मुरझाकर झड़ जाएंगे। यह सांसों की बीमारी, अपच, दर्द, गठिया आदि में भी लाभदायक होता है।

पथरी में फायदेमंद

इन दिनों पथरी एक आम समस्या बनी हुई है। ऐसे में अगर आप इस समस्या से परेशान हैं, तो राई का इस्तेमाल कर इससे निजात पा सकते हैं। दरअसल, राई में ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जिससे शरीर में बनने वाले बाइल जूस में कमी आती है। इस बाइल एसिड की वजह से ही गॉल ब्लैडर में अक्सर पथरी की समस्या होती है। ऐसे में राई पथरी को कम करने में फायदेमंद साबित होती है।

मेनोपॉज में गुणकारी

कॉपर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और सेलेनियम से भरपूर राई मेनोपॉज में भी काफी गुणकारी साबित होती है। दरअसल, मेनोपॉज के दौरान इसे अपनी डाइट में शामिल करने से महिलाओं को हाई ब्लड प्रेशर और ओस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।

हैजा

हैजे की प्रारंभिक अवस्था में थोड़ी-सी राई का सेवन किसी मीठे पदार्थ के साथ करने से काफी लाभ होता है।

गर्भाशय में दर्द

यदि गर्भाशय में दर्द प्रतीत हो, तो कमर या नाभि के नीचे राई की पुल्टिस का प्रयोग बार-बार करना चाहिए। काफी लाभ होगा।

दांत का दर्द

थोड़ी-सी राई को गरम पानी में उबालें। फिर उस पानी से कुल्ले करने पर दांत के दर्द में आराम मिलता है।

अफरा

दो-तीन ग्राम राई को शक्कर के साथ खिलाकर कैल्शियम युक्त जल पिलाएं और पेट पर राई का तेल मलें। अफरा से छुटकारा मिल जाएगा।

रसौली

यदि शरीर के किसी भाग में रसौली हो, तो राई और काली मिर्च का समभाग लेकर पीस डालें। इसका गाढ़ा लेप करने से रसौली की वृद्धि रुक जाती है।

हृदय की दुर्बलता

हृदय में कंपन, घबराहट, व्याकुलता अथवा पीड़ा की स्थिति में हाथ-पैरों पर राई का तेल मलें। इससे रक्त संचार तीव्र होता है, हृदय की गति में उत्तेजना आती है, मानसिक उत्साह बढ़ता है और हृदय की दुर्बलता समाप्त हो जाती है।

सफेद दाग

राई का चूर्ण घी में मिलाकर लगाने से सफेद दाग नष्ट हो जाते हैं।

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