- स्टेक होल्डर्स में एसजेवीएन की एक विशिष्ट छवि : नन्द लाल शर्मा
- एसजेवीएन ने सीएसआर के क्षेत्र में इंस्टीट्यूशन लाइजेशन के अलावा विविध अभिनव प्रयोग किए हैं आरंभ
- कार्यों को सामाजिक पर्यावरणीय व आर्थिक आवश्यकताओं के अनुरूप सृजित किए जाने के किए जा रहे हैं प्रयास
- एसजेवीएन द्वारा सीएसआर के क्षेत्र में किए गए अग्रणी कार्य उसके दीर्घगामी स्थायित्व को दर्शाते हैं
शिमला : एसजेवीएन को बेस्ट सीएसआर प्रेक्टिसिस की श्रेणी में एबीपी-न्यूज सीएसआर लीडरशिप अवार्ड से तथा एसजेवीएन के निदेशक (कार्मिक), नन्द लाल शर्मा को वैयक्तिक श्रेणी में एबीपी-न्यूज सीएसआर लीडरशिप अवार्ड से सम्मानित किया गया है। इस अवसर पर शर्मा ने बताया कि एसजेवीएन ने सीएसआर के क्षेत्र में इंस्टीट्यूशन लाइजेशन के अलावा विविध अभिनव प्रयोग आरंभ किए हैं। इन प्रयासों से स्टेक होल्डर्स में एसजेवीएन की एक विशिष्ट छवि बनी है।
उन्होंने आगे बताया कि एसजेवीएन द्वारा सीएसआर के अंतर्गत किए जा रहे इन कार्यों को
सामाजिक पर्यावरणीय तथा आर्थिक आवश्यकताओं के अनुरूप सृजित किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। एसजेवीएन द्वारा सीएसआर के अंतर्गत किए जा रहे प्रयासों को मुख्यत: छः श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है जो कि शिक्षा एवं कौशल विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर तथा सामुदायिक परिसंपत्ति विकास, स्वास्थ्य रक्षा तथा कल्याण, स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा तथा उसका संरक्षण,खेल, स्थायी विकास, प्राकृतिक आपदा के समय सहायता इत्यादि हैं। एसजेवीएन द्वारा किए जाने वाले ये प्रयास एसजेवीएन की उर्जा तथा स्रोतों को राष्ट्रीय महत्व के इन मुद्दों की पूर्ति हेतु चेनलाइज कर रहे हैं।
उन्होंने सूचित किया कि एसजेवीएन ने वर्ष 2012 में एसजेवीएन सिल्वर जुबली मेरिट स्कॉलरशिप योजना आरंभ की थी जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों में प्रतिस्पर्धात्मक भावना को बढ़ाना तथा उनके शैक्षणिक गुणों को पोषित करना था। इसके अलावा हेल्पएज इंडिया के सहयोग से स्वास्थ्य के क्षेत्र में 10 मोबाईल हैल्थ वैन परियोजना प्रभावित क्षेत्रों में उपलब्ध करवाई गई है ताकि लोगों को उनके द्वार पर ही स्वास्थ्य लाभ उपलब्ध करवाया जा सके।
एसजेवीएन द्वारा सीएसआर के क्षेत्र में किए गए अग्रणी कार्य उसके दीर्घगामी स्थायित्व को दर्शाते हैं तथा एसजेवीएन की क्रमिक प्रतिबद्धता को प्रतिबिम्बित करते हैं। सीएसआर कार्यक्रमों का क्रियान्वयन इस प्रकार किया जा रहा है ताकि विधिपरकता, नैतिक मानकों तथा अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के साथ उसका सक्रिय अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।