युवा मतदाताओं के पंजीकरण के लिए निर्वाचन विभाग द्वारा विशेष प्रयास
युवा मतदाताओं के पंजीकरण के लिए निर्वाचन विभाग द्वारा विशेष प्रयास
शिमला: मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग ने आज यहां बताया कि भारत निर्वाचन आयोग मतदाता सूचियों को अद्यतन और त्रुटि रहित बनाने के लिए दृढ़ प्रयास किए जा रहे हैं इसलिए युवा और भावी मतदाताओं की पहचान कर उनके पंजीकरण में सुधार के लिए विशेष प्रयास करने के उद्देश्य से प्रत्येक 68 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए एक समर्पित सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी की नियुक्ति की गई है। युवा/भावी मतदाताओं, विशेष रूप से 18-19 आयु वर्ग में अधिक से अधिक पंजीकरण के लिए शैक्षणिक संस्थानों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने बताया कि समर्पित 68 सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र के मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों के स्तर पर संभावित मतदाताओं के पंजीकरण के लिए अपने विधानसभा क्षेत्र के अधिकार क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले शैक्षणिक संस्थानों के चुनावी साक्षरता क्लब के साथ नियमित बैठकें करेंगे और उन्हें नामांकन की प्रक्रिया और पंजीकरण के लिए आवेदन दाखिल करने की समय-सीमा के बारे में जागरूक करेंगे। उन्होंने बताया कि सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी शैक्षणिक संस्थानों में पुनरीक्षण गतिविधियों के दौरान विशेष शिविरों का आयोजन करेंगे, ताकि मतदाताओं की पंजीकरण प्रक्रिया के बारे में जागरूक किया जा सके और उन्हें एन.वी.एस.पी. वी.एच.ए./वी.पी. आदि ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से निर्वाचक के रूप में पंजीकरण के लिए अग्रिम दावे दायर करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी आवेदनों को ऑनलाइन जमा करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे, जबकि ऐसे मामलों में जहां इंटरनेट की पहुंच या अन्य किसी कारण से ऑनलाइन आवेदन जमा करना संभव नहीं है, सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी आवेदन को भरने में आवेदक की सहायता करेंगे। ऑफलाइन प्रपत्र-6 में प्राप्त आवेदनों को डिजिटलीकृत और आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए ई.आर.ओ. नेट के माध्यम से संबंधित निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को भेजा जाएगा। इस प्रयोजन के लिए प्रत्येक समर्पित सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को लॉग-इन आईडी प्रदान की जाएगी। समर्पित सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी शैक्षणिक संस्थानों में प्राप्त प्रारूप का संस्थानवार तिमाही डाटा बनाए रखेंगे। इससे पंजीकरण के प्रतिशत में सुधार करने और रणनीति तैयार करने में मदद मिलेगी।