पीलिया के प्रकोप से निपटने में सरकार पूरी तरह से असफल : प्रो. धूमल

शिमला: पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने कहा है कि पीलिया के प्रकोप से निपटने में सरकार पूरी तरह से असफल साबित हुई है। इस रोग से निपटने में प्रयासों की कमी व सरकारी लापरवाही की वजह से अब यह रोग महामारी का रूप लेता जा रहा है। जहां लगभग आधा शिमला शहर इसकी चपेट में है, वहीं सोलन, सिरमौर और मण्डी में भी पीलिया फैलने की खबरों से हड़कंप मचा हुआ है। नवम्बर महीने की शुरूआत से पीलिया फैलने की खबरें आना शुरू हो चुकी थी परन्तु उस समय कोई कदम न उठाकर सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठकर तमाशा देखती रही। सरकार की इस निष्क्रीयता की वजह से दिसम्बर तक पीलिया पूरे शिमला में फैल गया और कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।

प्रो. धूमल ने कहा कि जांच ऐजेन्सियों द्वारा की गई जांच से यह पूरी तरह स्पष्ट हो चुका है कि शिमला और सोलन में फैले इस पीलिया के लिए हैपेटाइटिस-ई जिम्मेदार है, जो सीवरेज में पाया जाता है। नगर निगम और आई.पी.एच. विभाग की कोताही की वजह से सीवरेज मिला पानी पीने के लिए लोगों को मजबूर होना पड़ा। स्वच्छ जल उपलब्ध करवाने के लिए आई.पी.एच. विभाग व नगर निगम की संयुक्त जिम्मेदारी है। अपनी इसी जिम्मेदारी में पूरी तरह से असफल होने के बाद अब यह उनका फर्ज है कि पीड़ित व्यक्तियों के स्वास्थ्य सम्बन्धित सभी खर्चों को पूरी तरह से वहन किया जाए और सभी पीड़ितों को सरकार उचित मुआवजा प्रदान करें।

प्रो. धूमल ने कहा कि आई.पी.एच. सरकार का एक महत्वपूर्ण विभाग है। इस महत्वपूर्व विभाग के मंत्री बीमार होने की वजह से विभाग की जिम्मेदारी कौन संभाल रहा है इससे सम्बन्धित कोई भी जानकारी नहीं है। ऐसे महत्वपूर्ण समय में जब स्थितियों पर नियंत्रण अति आवश्यक है, सरकार का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार निराशाजनक है। उन्होनें कहा न केवल पीलिया बल्कि स्वाइन फ्लू प्रदेश में दस्तक दे चुका है। जिला मण्डी में स्वाइन फ्लू के दो मामले सामने आये हैं। सरकार को चाहिए कि वह इस रोग की गंभीरता को समझते हुए त्वरित कदम उठायें।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि साधारण नागरिक के प्रति सरकार की असंवेदनशीलता का उदाहरण और क्या हो सकता है कि धरातल स्तर पर सार्थक कदम उठाए जाने के बजाए सरकार सचिवालय स्तर पर अधिकारियों के साथ मीटिंगों में उलझी हुई है और यह भूल रही है कि युद्ध स्तर पर प्रयास न किए जाने से आने वाली गर्मियों में यह समस्या विकराल रूप लेकर नियंत्रण से बाहर हो जाएगी। इससे न केवल लोगों को जान-माल का नुकसान होगा बल्कि प्रदेश की आर्थिकी की रीढ़, पर्यटन व्यवसाय को भी गहरा धक्का पहुंचेगा। प्रदेश की साख पर लगे इस बट्टे से पर्यटन व्यवसाय को उबरने में वर्षों लग जाएंगे, इसलिए सरकार को चाहिए कि वह गंभीरतापूर्वक कदम उठायें।

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