प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने किया 15802 मामलों का निपटारा

वाहन दुर्घटना मुआवजा व नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए पिटीशन दायर प्रक्रिया

प्रतिकार निर्धारण करने की प्रक्रिया:

प्रतिकार की मात्रा मृतक की स्थिति को देखते हुए भिन्न-भिन्न हो सकती है

जब आय की जानकारी न हो

सरकारी नौकरी या आयकर देने वाले व्यक्ति की वाहन दुर्घटना में मौत हो जाये तो उसकी आय की मात्र का निर्धारण आसानी से किया जा सकता है। लेकिन जिस परिस्थिति में आय का कोई निश्चित स्त्रोत न हो जैसे अगर मृतक मजदूर है तो इस अधिनियम के अनुसार अगर ऐसे व्यक्ति की आय कम से कम रु. 15000/-मान ली जाये और अगर उसकी मृत्यु 45 की आयु में होती है तो 13 का गुणांक लगते हुए उसे क्षतिपूर्ति के रूप में रु. 137000/- पाने का अधिकार है I

मोटर दुर्घटना में चोट आने पर प्रतिकार :

वाहन दुर्घटना से अगर व्यक्ति को स्थायी निर्योग्यता होती है तो व्यक्ति को रु. 25000/- पाने का अधिकार है I इसके आलावा व्यक्ति की दवाई पर जो खर्च होता है और जो उसे मानसिक कष्ट होता है उस नुक्सान की भरपाई की जाती हैI दुर्घटना के कारण अगर व्यक्ति छुट्टी पर है तो तो उसे वेतन के रूप में कितना नुक्सान हुआ है, इसके लिए भी प्रतिकार उपलब्ध कराया जाता है।

मोटर दुर्घटना दावेवहन और लोक अदालत

मोटरयान अधिनियम में अब मृतक की आयु के अनुसार गुनानक की मात्र निरधारित होती है जिससे प्रतिकार की राशि को निरधारित करने में कोई कठिनाई नहीं होती। इसलिए लोक अदालत से मामला सुलझाने से दोनों पक्षों को फ़ायदा होता है।

 प्रतिकार की धनराशी पिटीशन स्वीकार होने पर कैसे करें प्राप्त :

जब न्यायालय द्वारा प्रतिकार पिटीशन स्वीकार करने के बाद प्रतिकार राशि को डिक्री कर दिया गया है तो उसके बाद न्यायाधिकरण से वारंट जारी किया जाता है, जोकि जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से निष्पादित किया जाता है। मजिस्ट्रेट इसे रिकवरी वारंट के रूप में निष्पादित करता है।  इसलिए एक बार धनराशी डिक्री होने वाला व्यक्ति उसकी वसूली आसानी से कर सकता है।

अगर दुर्घटना करने वाले वाहन या उसके चालक का पता न चले :

बहुत बार ऐसा होता है की अँधेरे या किसी अन्य चीज़ का फायदा उठा कर दुर्घटना वाहन टक्कर मारकर फरार हो जाता है जिससे व्यक्ति जानकारी के अभाव के कारण मोटरयान अधिनियम के अंतर्गत न्यायालय में पिटीशन फाइल नहीं कर सकता।

  • ऐसे मामलों में पीड़ित व्यक्ति को राहत देने के लिए सोलातियम स्कीम 1989 बनाई गयी है जिसकी प्रक्रिया इस प्रकार से है :

  • दुर्घटना होने के 6 महीने के अन्दर प्रार्थना पत्र दें : दुर्घटना करीत वाहन की जानकारी के आभाव में ये ज़रूरी है की वक्ती 6 महीने के अंदर पिटीशन फाइल करे। इसलिए दुर्घटना होने पर ये ज़रूरी है कि इसकी जानकारी तुरंत पुलिस को दें ताकि 6 महीने के अंतर्गत पिटीशन जा सके।

  •   प्रार्थना पत्र उपखंड अधिकारी को दें : घटना क्षेत्र के अंतर्गत आने उपखंड अधिकारी को प्रार्थना पत्र दें जो घटना से सम्बंधित प्रथम इतिल्ला रिपोर्ट, पंचनामा और पोस्टमार्टम रिपोर्ट इत्यादि तैयार करता है। इसके बाद क्षेत्र का एस.डी.एम्. प्रार्थना पत्र का निस्तारण करके प्रतिकार के राशि को उपलब्ध करने सम्बन्धी अपनी संस्तुति मजिस्ट्रेट को भेजता है।

  • प्रतिकार की राशि: मृत्यु होने पर 8000 /- की राशि प्राप्त कर सकतें हैं और गंभीर चोट आने पर 2000 /- की राशि प्राप्त कर सकतें हैं।

  • मुख्य बातें जो ध्यान में रखने योग्य है:

  • वाहन का रजिस्ट्रेशन : गाड़ियों के पंजीकरण के लिए अधिकृत पंजीकरण अधिकारी को आवेदन किया जाना चाहिए।

  • पंजीकरण 15 वर्षों के लिए मान्य होता है।

  • यातायात नियंत्रण की दृष्टि से मोटर गाड़ियों के खाली तथा भरे हुए भारों का निर्धारण कर पंजीकरण आदेश में दर्ज किया जाता है। इसका उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान है।

  • राज्य सरकारें इच्छित स्थानों पर इच्छित मोटर गाड़ियों के प्रवेश एवं चालन पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण प्रदूषण पर स्थायी अथवा अस्थायी रोक लगा सकती है।

  • दुर्घटना होने पर मोटर चालक को घायल व्यक्ति के उपचार में मदद करनी चाहिए, पुलिस को तुरंत सूचना देनी चाहिए तथा बीमा कंपनी को सूचना देनी चाहिए।

  • अधिकृत व्यक्तियों को अधिनियम में वर्णित सूचनाएं न देने पर 500 रुपए आर्थिक दंड का प्रावधान है।

  • अनधिकृत व्यक्ति द्वारा मोटर गाड़ी चालन करने पर तीन मास की कैद या 1000 रुपए आर्थिक दंड का प्रावधान है।

  • निर्धारित गति से अधिक गति पर मोटर चालन करने पर 1000 रुपए तक आर्थिक दंड खतरनाक विधि से मोटर चालन पर प्रथम बार में 6 मास का कारावास या और 1000 रुपए जुर्माना, अगले अपराध पर 2 वर्ष तक की कैद या 2000 रुपए जुर्माने का प्रावधान है। शराब पीकर गाड़ी चलाने पर पहली बार पकड़े जाने पर 6 माह की कैद व दूसरी बार में 3 वर्ष तक कैद हो सकती है।

  • शोर अथवा अन्य किसी प्रकार का प्रदूषण करने वाले वाहन को चलाने पर पहली बार 500 रुपए तक व अगली बार 2000 रुपए तक जुर्माना किया जा सकता है।

  • पर्यावरण समस्याओं के प्रति जागरुकता उत्पन्न करने तथा पर्यावरण संरक्षण में जन भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा पर्यावरण अध्ययन को अनिवार्य विषय के रूप में विश्वविद्यालयों-विद्यालयों में सम्मिलित किया गया है।

  • वाहन दुर्घटना का मुआवजा

मुआवजा क्या है- किसी व्यक्ति या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर जो राशि दी जाती है उसे मुआवजा कहते हैं।

मुआवजा क्या है- किसी व्यक्ति या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर जो राशि दी जाती है उसे मुआवजा कहते हैं।

मुआवजा क्या है- किसी व्यक्ति या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर जो राशि दी जाती है उसे मुआवजा कहते हैं।

मुआवजे का दावा कौन कर सकता है- वह व्यक्ति जिसे चोट आई है या संपत्ति का मालिक या मृतक(जहां मृत्यु हुई हो) उसके सगे-संबंधी या कोई भी कानूनी प्रतिनधि या घायल व्यक्ति द्वारा नियुक्त एजेन्ट या मृतक व्यक्ति का कानूनी प्रतिनिधि(मृतक की संपत्ति में हक रखने वाला उत्तराधिकारी)।

मुआवजे का आवेदन जिस क्षेत्र में दुर्घटना घटी हो उस क्षेत्राधिकार में आने वाली ट्राइब्यूनल को संबोधित की जानी चाहिए।

मुआवजे के दावे के लिए फार्म-

  • दावेदार/दावेदारों का

  • नाम व पता (यदि मालूम हो तो)

  • मोटर चालक

  • मोटर मालिक का नाम व पता(यदि मालूम हो तो)

  • मोटर का बीमा करने वालों का नाम व पता (यदि मालूम हो तो)

  • घायल/मृतक की जानकारी जैसे- नाम, आयु, पता, व्यवसाय, आमदनी इत्यादि

  • दुर्घटना का स्थान, समय तथा तिथि

  • वह साधन जिसके द्वारा घायल/मृतक यात्रा कर रहे थे

  • चोट का नाम तथा इलाज

  • इन सब की भी जानकारी-

  • गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर तथा उसकी मिल्कियत

  •    वाहन का चालक

  •    बीमा कंपनी से संबंधित कवर-नोट

  •    दावे की राशि

  •    दावे का औचित्य

  •    राहत

दुर्घटना के बाद कभी भी मुआवजे के लिए दावा डाला जा सकता है । ट्राइब्यूनल द्वारा निर्धारित मुआवजे की राशि का भुगतान वाहन मालिक या चालक या जिस वाहन कंपनी ने वाहन का बीमा किया है। कोई भी कर सकते हैं।

कानून के अनुसार हर वाहन का तीसरे आदमी कोर्ट खतरे(थर्ड पार्टी रिस्क) के विरुद्ध बीमा होना आवश्यक है। इससे दावों की शीघ्र सुनवाई में मदद मिलती है ।

ट्राइब्यूनल के अवार्ड में से बीमा कंपनी में जितनी राशि का बीमा करवाया है, उतनी राशि देने के लिए जिम्मेदार होती है।

वाहन दुर्घटना का मुआवजा: मोटर व्हीकल एक्ट ने मोटर यान दुर्घटना दावों के संबंध में यह प्रावधान दिया गया है कि क्षतिपूर्ति का दावा करने वाला व्यक्ति उस की इच्छा से तीन तरह के स्थानों पर स्थित मोटर यान दुर्घटना दावा अधिकरणों में से किसी एक में अपना दावा प्रस्तुत कर सकता है।

ये तीन स्थान निम्न प्रकार हैं-

वहाँ जहाँ दुर्घटना घटित हुई हो।

वहाँ जहाँ दुर्घटना में किसी व्यक्ति की मृत्यु हुई हो तथा जहाँ दावे के विरोधी पक्षकारों में से किसी एक का कार्यालय हो या जहाँ वह व्यापार करता हो।

ट्राइब्यूनल की प्रक्रिया-

दावा ट्राइब्यूनल को मोटर दुर्घटना से संबंधित केसों पर एकमात्र क्षेत्राधिकार प्राप्त है।

ट्राइब्यूनल निर्णय सुनाते समय यह स्पष्ट करती है कि मुआवजे की राशि कितनी होगी तथा किन लोगों के द्वारा उसका भुगतान किया जायेगा।

ट्राइब्यूनल का क्षेत्राधिकार- जहां दुर्घटना हुई होजहां दावेदार रहते होंजहां बचाव पक्ष रहते हों

ट्राइब्यूनल को दीवानी अदालत की शक्तियां प्राप्त होती हैं।

ट्राइब्यूनल मुआवजे की राशि पर ब्याज भी लगा सकती है। यह ब्याज दावे की तिथि से लेकर राशि के भुगतान तक के लिए लगाया जा सकता है ।

यदि कोई व्यक्ति ट्राइब्यूनल द्वारा निर्धारित मुआवजे की राशि से संतुष्ट नहीं है तो वह ट्रायब्यूनल के निर्णय की तिथि से 90 दिन के भीतर उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है,

यदि अपील 90 दिन के बाद की जाती है , उसे बिलंब के संतोषजनक कारण ट्रायब्यूनल को बताने होंगे।

यदि राशि 2,000 रुपए से कम की है तो उच्च न्यायालय अपील को दाखिल नहीं करेगा।

मुआवजे की राशि के लिए ट्राइब्यूनल से एक प्रमाणपत्र लेना होता है जो जिला कलेक्टर को संबोधित करता है । इस प्रमाणपत्र में मुआवजे की राशि अंकित होती है। कलेक्टर मुआवजे की राशि को ठीक उसी तरह इकट्ठा करने का अधिकार रखता है जिस तरह वह जमीन का राजस्व वसूलता है तथा दावेदार को उसके मुआवजे का भुगतान करता है।

Pages: 1 2

सम्बंधित समाचार

2 Responses

Leave a Reply
  1. Bhanwar singh
    Feb 22, 2017 - 05:23 PM

    दावा Court me pace hone ke baad Court Ki Kya prakriya Hogi step to step Jankari de please

    Reply
  2. Kirti
    Jun 23, 2017 - 05:38 PM

    Respected sir, mere husband ki death railway accident m on the platform ho gayi h or Maine iske liye claim kiya hua h pls yeh bataiye ki claim ki amount aane m kitna time lagega or kitni amount milegi mere husband income tax return payee the.plz clear it all.

    Reply

अपने सुझाव दें

Your email address will not be published. Required fields are marked *