एलबेंडेजोल कृमियों से मुक्ति के लिए एक सुरक्षित दवा है, घबराने की जरूरत नहीं है : नड्डा

नई दिल्ली: मीडिया में इस तरह की रिपोर्ट को देखते हुए कि राष्ट्रव्यापी कृमि मुक्ति पहल के एक हिस्‍से के रूप में कुछ बच्चों में एलबेंडेजोल गोली लेने के बाद मतली, आमाशय में जलन और चक्कर आने की शिकायतें मिली है, केन्‍द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने यह आश्वासन दिया कि एलबेंडेजोल 400 मिलीग्राम परजीवी कीड़ों के उपचार के लिए सुरक्षित और प्रभावी दवा है। इस दवाई को कृमियों के इलाज के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंजूरी दे रखी है, जिसे पूरे विश्‍व में प्रयोग किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि 27 करोड़ बच्चों के लक्ष्‍य में बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, महाराष्ट्र और राजस्थान से केवल 236 बच्चों में कुछ हल्के प्रतिकूल लक्षण मिलने के समाचार प्राप्‍त हुये है। इन बच्चों को अस्पताल में भर्ती करके निगरानी में रखा गया और बिना किसी बड़े इलाज के ही अस्‍पताल से छुट्टी कर दी गई। यह हमारे मानक प्रोटोकॉल के अनुसार है। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस बारे में घबराने की कोई जरूरत नहीं। ऐसे प्रतिकूल प्रभाव उन बच्‍चों में तब प्राप्‍त हुए, जिनमें में कृमियों की संख्‍या अधिक थी। यह सावधानी बरतनी चाहिए कि यह दवा शिक्षकों या अभिभावकों की उपस्थिति में खिलाई जाएं।

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की एक प्रमुख पहल है, जो 10 फरवरी 2016 को आयोजित किया गया। यह विश्‍व में सबसे बड़ा एक दिवसीय सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान है, जिसके त‍हत 1-19 आयु वर्ग के लगभग 27 करोड़ बच्चों को कृमि मुक्त्‍ि दवाई खिलाने का लक्ष्‍य रखा गया है। यह अभियान स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों के मंच द्वारा चलाया गया। देश के 561 जिलों में 900,000 से अधिक शिक्षा और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने 1-5 और 6-19 वर्ष के आयु समूह के करोड़ों बच्‍चों को स्‍कूलों और आंगनवाड़ी केन्‍द्रों में एलबेंडेजोल गोली खिलाई।

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