भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के भाषण के एक छोटे से हिस्से को कांट-छांट कर जनता को गुमराह करने का कर कांग्रेस रही प्रयास : रणधीर शर्मा

वीरभद्र सिंह अपनी कमियों को छुपाने के लिए भाजपा नेताओं पर लगा रहे हैं निराधार आरोप : रणधीर

शिमला: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री रणधीर शर्मा ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अपने गुनाहों व अपनी कमियों को छुपाने के लिए भाजपा नेताओं पर निराधार आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर भ्रष्टाचार व आय से अधिक सम्पति के आरोप कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के समय से ही है जिसमें वे स्वयं केन्द्रीय इस्पात मंत्री थे। शर्मा ने कहा कि सभी जानते हैं कि इन्हीं आरोपों के चलते मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को केन्द्रीय मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। सीबीआई ने भी मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर लगे आरोपों की जॉंच केन्द्र में मोदी सरकार बनने से पहले ही शुरू कर दी थी। इसलिए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह द्वारा इसे भाजपा नेताओं की साजिस बताना अपने गुनाहों को छिपाने का प्रयास मात्र है। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा नेताओं ने राजनैतिक बदले की भावना से काम करना होता तों केन्द्र में सरकार बनने के बाद सीबीआई 16 दिन में एफआईआर दर्ज कर देती उन्हें यह काम करने में 16 महीने नहीं लगते। शर्मा ने कहा कि इस मामले में कानून अपना काम कर रहा है और अपना काम करेगा। अगर वीरभद्र सिंह और उनके परिवार के सदस्यों ने कुछ गलत नहीं किया है तो वह घबरा क्यों रहे हैं?

भाजपा महामंत्री ने कहा कि वीरभद्र सिंह द्वारा यह कहना कि प्रेम कुमार धूमल के मुख्यमंत्री बनने के बाद राजनीति का स्तर गिरा है सरासर तथ्यहीन है। क्योंकि प्रेम कुमार धूमल के मुख्यमंत्री बनने के बाद तो प्रदेश में अथाह विकास हुआ गांव-गांव तक सड़कें पहुंची, पीने के पानी की समस्या का समाधान हुआ, जनहित व प्रदेश हित में अनेक योजनाओं प्रारम्भ की जिनके आधार पर हिमाचल प्रदेश को 85 अबार्ड मिले परन्तु अब मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में हिमाचल प्रदेश हर क्षेत्र में पिछड़ गया है, अबार्ड मिलना तो दूर आज हिमाचल प्रदेश पूरे देश में अपमानित हुआ है क्योंकि मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार व आय से अधिक सम्पति के मामलों में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने एफआईआर दर्ज की हैं, छापेमारी की है जिससे हिमाचल की जनता शर्मसार हुई है। इतना सबकुछ होने के बावजूद नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री के पद से त्यागपत्र न देकर वीरभद्र सिंह ने मुख्यमंत्री पद की गरिमा को ठेस पहुचाई है।

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