नशा निवारण एवं पुनर्वास पर नई एवं ठोस योजना लाएगी प्रदेश सरकार

साकार होगी नशा मुक्त हिमाचल की परिकल्पना

अपने प्राकृतिक सौंदर्य के कारण विश्व भर में हिमाचल प्रदेश की अपनी एक अलग पहचान है और दुनिया के पर्यटन मानचित्र पर एक चमकते सितारे के रूप में विद्यमान है। वहीं राज्य में नशा सेवन की बढ़ती प्रवृति तथा प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में भांग, अफीम इत्यादि की गैर काूननी खेती से राज्य की छवि पर विपरीत असर पड़ता है। प्रदेश में नशीले पदार्थों के सेवन से संबंधित मामलों में हाल ही के वर्षों में बढ़ोतरी देखी गई है और विशेष तौर पर स्थानीय युवा नशे के चंगुल में फंसते जा रहे हैं। नशे की बढ़ती प्रवृति का प्रमुख कारण यहां नशीले पदार्थों की अवैध खेती और इसकी उपलब्धता भी है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में वर्तमान प्रदेश सरकार  इस समस्या पर अंकुश लगाने के लिए दृढ़संकल्प है। राज्य सरकार ने नशा तस्करों के खिलाफ कठोर से कठोर निर्णय लेने का संकल्प लिया है। प्रदेश सरकार समाज से नशे को जड़ समेत उखाड़ फैंकने के लिए नशा निवारण एवं पुनर्वास योजना तैयार करने जा रही है ताकि नशे की लत में फंस चुके व्यक्तियों को इस दलदल से बाहर निकाला जा सके। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य नशा मुक्ति एवं पुनर्वास के ठोस एवं बेहतर अवसर उपलब्ध करवाना है।
राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और स्नायु विज्ञान संस्थान के सहयोग से प्रदेश में अत्याधुनिक नशा निवारण एवं पुनर्वास केंद्र स्थापित किया जा रहा है। गुरूकुल पद्धति पर आधारित इस केन्द्र में नशे की गिरफ्त में आ चुके है व्यक्तियों को चरणबद्ध ढंग से नशामुक्त कर उनके पुनर्वास के लिए व्यवसायिक प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें प्रदेश की विकास यात्रा से जोड़ा जाएगा।
नशा निवारण के साथ ही यह केंद्र इसमें रहने वाले लोगों को व्यवसायिक प्रशिक्षण भी प्रदान करेगा जिससे वह अपने खोए हुए मनोबल को पुनः हासिल कर जीवन में प्रगति व खुशहाली की ओर अग्रसर हो सकेंगे। इस केन्द्र में उपचाराधीन लोगों को उचित उपचार, पुनर्वास व काउंसलिग (परामर्श सेवा) भी उपलब्ध होगी ताकि उन्हें सामान्य जीवन जीने में मदद मिले।
प्रथम चरण में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि नशा सेवन की प्रवृत्ति में फंसे व्यक्तियों को पुलिस, स्वास्थ्य विभाग व सलाहकार बोर्ड का भरपूर सहयोग प्राप्त हो ताकि उन्हें नशे के खिलाफ जारी संघर्ष में आशातीत सफलता मिले। दूसरे चरण में स्वास्थ्य, युवा सेवाएं एवं खेल, शिक्षा व तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास, कृषि व बागबानी विभाग आपस में मिलकर संयोजित तरीके से पुनर्वास के लिए योजनाएं तैयार कर इस पर अमल करेंगे। साथ ही पुलिस, ग्रामीण विकास और स्थानीय निकाय भी आपसी सहयोग से पुनर्वासित लोगों की निगरानी और मूल्यांकन करेंगे।

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