बागवानी और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में विश्वविद्यालय की भूमिका पर की चर्चा

शिमला: डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने मंगलवार को राजभवन में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति  शिव प्रताप शुक्ल से शिष्टाचार भेंट की। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के कार्यों, विशेष रूप से राज्य और देश में प्राकृतिक खेती मुहिम और इसके विकास में विश्वविद्यालय द्वारा निभाई जा रही भूमिका के बारे में जानकारी ली।

प्रोफेसर चंदेल ने माननीय राज्यपाल को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा की गई विभिन्न पहलों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एन॰सी॰ई॰आर॰टी॰ के माध्यम से स्कूली बच्चों के लिए पाठ्यक्रम और कृषि विश्वविद्यालयों के लिए प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय पाठ्यक्रम बनाया जा रहा है। विश्वविद्यालय ने गुजरात के कृषि विश्वविद्यालयों के लिए भी प्राकृतिक खेती पर पाठ्यक्रम तैयार करने में भी अग्रणी भूमिका निभाई है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने प्रो. चंदेल को राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के सदस्य के रूप में भी नामित किया है, जिसकी अध्यक्षता माननीय केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कर रहे हैं।

पर्यावरण के अनुकूल इस पद्धति पर देश भर के कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के वैज्ञानिकों को प्रशिक्षण प्रदान करने में विश्वविद्यालय आगे रहा है। हाल ही में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अटारी जोन II के अंतर्गत राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के 47 केवीके के वैज्ञानिकों को प्रशिक्षण देने के लिए संसाधन व्यक्तियों के रूप में काम किया। विश्वविद्यालय ने अटारी जोन I, लुधियाना के अंतर्गत पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के 72 केवीके के लिए इसी तरह के प्रशिक्षण की मेजबानी की। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने जोन 5 (कोलकाता) और जोन 6 (गुवाहाटी) में अंतर्गत आने वाले 106 केवीके को भी प्रशिक्षित किया है।

प्रो चंदेल ने माननीय राज्यपाल को अवगत करवाया कि विश्वविद्यालय प्राकृतिक कृषि की पंचस्तरीय प्रणाली और इसके लाभों को प्रदर्शित करने के लिए किसानों के साथ प्राकृतिक खेती पर 48 प्रदर्शन स्थापित कर रहा है। उन्होंने माननीय राज्यपाल को भारत की पहली 100 प्रतिशत प्राकृतिक खेती-आधारित किसान उत्पादक कंपनी बनाने में विश्वविद्यालय द्वारा की गई अनूठी पहल के बारे में अवगत करवाया गया और बताया कि कैसे विश्वविद्यालय विपणन के साथ-साथ उत्पादों के प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन में कंपनी की मदद कर रहा है और इस सफल पायलट प्रोजेक्ट से किसानों की आय में 2.9 गुना की वृद्धि हुई है । इस नई कृषि पद्धति की पहुंच को बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय राज्य सरकार की प्राकृतिक कृषि खुशहाल किसान योजना के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

माननीय राज्यपाल ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ कृषि आय बढ़ाने के प्रभावी साधन के रूप में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने विश्वविद्यालय को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इस पद्धति का लाभ छोटे और सीमांत किसानों तक अवश्य पहुंचे। प्रोफेसर चंदेल ने माननीय राज्यपाल को विश्वविद्यालय आने और प्राकृतिक खेती के विभिन्न मॉडलों को देखने के लिए आमंत्रित किया।

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