भारत सोका गाक्काई ने आयोजित किया मानवता को पुनर्जीवित करने के लिए शांति और स्थिरता सम्मेलन 

भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष तथा शांति के लिए दाईसाकु इकेदा के 75 वर्ष  के उपलक्ष्य में भारत सोका गाक्काई शांति एवं स्थिरता सम्मेलन

तीन लक्ष्यों पर चर्चा 

नई दिल्ली : जैसे दुनिया महामारी के बाद के युग की ओर बढ़ रही है, सोका गाक्काई इंटरनेशनल की भारतीय सहयोगी संस्था भारत सोका गाक्काई ने मानवता को पुनर्जीवित करने हेतु एक रास्ता खोजने के लिए एक शांति और स्थिरता सम्मेलन का आयोजन किया। यह सम्मेलन सोका गाक्काई इंटरनेशनल (SGI) के अध्यक्ष दाईसाकु इकेदा द्वारा संयुक्त राष्ट्र (UN) को भेजे गए उनके शांति प्रस्तावों पर आधारित था। इन प्रस्तावों में उन्होंने स्थिरता प्राप्ति के लिए वैश्विक एकजुटता बनाने की आवश्यकता पर बल दिया है।

इकेदा प्रत्येक वर्ष संयुक्त राष्ट्र को एक शांति प्रस्ताव भेजते हैं। उनका इस वर्ष का प्रस्ताव और भी महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि महामारी ने संयुक्त राष्ट्र के 2030 में लक्षित सतत विकास उद्देश्यों को नुकसान पहुँचाया है।

इकेदा कहते हैं,”हालांकि महामारी निःसंदेह एक अभूतपूर्व खतरे का प्रतिनिधित्व करती है, लेकिन जब हम इतिहास को चिन्हित करने वाले रुझानो और घटनाओं पर विचार करते हैं, तो यह भी उतना ही स्पष्ट है कि हम महामारी को केवल विनाशकारी आपदा और बेबसी तक ही सीमित रहने की इजाजत नहीं दे सकते। मैं ऐसा इसलिए कहता हूं क्योंकि मेरा दृढ़ विश्वास है कि इतिहास की दिशा को निर्धारित करने वाला प्रमुख कारक हम खुद इंसान साबित होंगे, न कि वायरस”

स्थिरता के अपने प्रस्तावों में, इकेदा ने सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए तीन लक्ष्यों की चर्चा की है:

पर्यावरण संबंधी मुद्दों और वास्तविकताओं को सीखना और गहरायी से जानना।

अपने रहन-सहन के तरीकों पर मनन एवं चिंतन कर उन्हें सतत विकास की ओर ले जाना।

हमारे समक्ष जो वास्तविक मुद्दे हैं, उनका सामना करने के लिए लोगों को सशक्त बनाना।

 इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्य योजनाओं पर चर्चा करने के लिए दो अलग-अलग पैनल चर्चाएं आयोजित की गईं। पहली पैनल चर्चा इकेदा के संयुक्त राष्ट्र को भेजे गए शांति प्रस्ताव (२०२२) पर आधारित थी। इस प्रस्ताव का शीर्षक था “ शांति और गरिमा की दृष्टि से मानव इतिहास को बदलना” दूसरी पैनल चर्चा सतत विकास पर संयुक्त राष्ट्र को इकेदा द्वारा भेजे दो प्रस्तावों पर आधारित थी , जिनके शीर्षक हैं, “वैश्विक सशक्तिकरण की चुनौती: एक सतत भविष्य के लिए शिक्षा ( जुलाई 2002 ) और एक सतत वैश्विक समाज के लिए सशक्तिकरण और नेतृत्व के लिए सीखना (2012) अभिनेत्री और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सद्भावना राजदूत दीया मिर्जा ने कहा,”मैं सदा उन विचारों की ओर आकर्षित हुई हूं जो पृथ्वी के साथ हमारे अंतर्संबंधो को दर्शाते हैं। मेरा मानना ​​​​है कि प्रत्येक व्यक्ति एक टिकाऊ एवं संधारणीय ग्रह के निर्माण में सहयोग दे सकता हैI उदाहरणतः अपनेघर पर, मैं एकल उपयोग वाले प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल नहीं करती”।

उन्होंने कहा “पर्यावरण के लिए मेरी चिंता तब और बढ़ गई जब एक गर्भवती माँ के रूप में, मुझे पता चला कि प्लास्टिक के कण बच्चों की गर्भनाल और रक्तप्रवाह में पाए गए हैं,”

“यदि हमने प्रकृति के साथ अपने संबंधो को नही सुधारा तो हमारा भविष्य कैसा होगा, इसकी झलक हमें महामारी के दौरान देखने को मिल चुकी है।इसलिए मेरे लिए सतत विकास लक्ष्य ऐसे विचार नहीं, जिन्हें केवल सरकारें ही लागू कर सकती हैं, हालांकि उन्हें करना चाहिए” मिर्जा ने कहा, इन्हें साकार करना सभी की जिम्मेदारी है।

सभी को स्थिरता की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु , भारत सोका गाक्काई ने सम्मलेन में एक अद्वितीय एसडीजी ऐप –एसडीजी एट वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म लॉन्च किया। यह ऐप लोगों को एसडीजी के लक्ष्यों की प्राप्ति में उनके योगदान को मापने में सक्षम करेगा।

समाजसेवी और सामाजिक उद्यमी अमित सचदेवा ने कहा,शांति और स्थिरता तभी हासिल की जा सकती है, जब हम सब ‘प्रकृति के साथ’ और “एक दूसरे के साथ एक हों। अपनी स्थापना के बाद से ही भारत सोका गाक्काई शांति और सद्भावना को बढ़ावा देकर,ठीक ऐसा ही कर रही है। बीएसजी का शांति एवं स्थिरता सम्मलेन उस दिशा में एक और कदम है।

भारत सोका गाक्काई के अध्यक्ष विशेष गुप्ता ने इस बात पर बल दिया कि शांति और स्थिरता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।“भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर, यह आवश्यक है कि हम में से प्रत्येक व्यक्ति एक शांतिपूर्ण तथा टिकाऊ भारत के निर्माण के लिए सामूहिक रूप से काम करे।

उन्होंने कहा इस दिशा में, बीएसजी आम लोगों, विशेष रूप से युवाओं, को जीवन के तरीके के रूप में स्थायी मानव व्यवहार को अपनाने के लिए सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जो 2030 तक एक नया भारत बनाने में मदद करेगा।

एसजीआई के अध्यक्ष डॉ. इकेदा का मानना है कि महामारी ने इस तथ्य को बिलकुल स्पष्ट कर दिया है कि वैश्विक समस्याएं आपस में गहनतम रुप से जुड़ी हुई हैं तथा दूर के स्थानों की चुनौतियां स्थानीय समुदायों में शीघ्र अपना मार्ग खोज लेंगी।

इकेदा कहते हैं, “अचानक परिवार के सदस्यों को खोने या जीवन को अर्थ देने वाली चीजों से दूर होने का दुख: किसी भी देश में समान होता है।”  इकेदा ने आगे कहा, “सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस अभूतपूर्व संकट के दौरान हम बड़ी तेजी से आपस में एक दुसरे से जुड़ेइस जुड़ाव के बोध को आधार बना कर हमें एकजुटता के बंधन का निर्माण करना चाहिये तथा इस तूफान से बाहर निकलने का रास्ता खोजने के लिए इसे साँझा प्रयासों का आधार बनाना चाहिए।”

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