- मुख्यमंत्री ने की सहकारी समितियों के योगदान की सराहना
शिमला: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि सहकारी सभाएं राज्य की ग्रामीण आर्थिकी में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं और यह गौरव की बात है कि हिमाचल प्रदेश देश में सहकारी समितियों का संस्थापक राज्य है, क्योंकि पहली सहकारी सभा की स्थापना वर्ष 1892 में ऊना जिले के पंजावर गांव में की गई थी।
मुख्यमंत्री आज कुल्लू जिले के विधानसभा क्षेत्र बंजार के सैंज में सात दिवसीय राज्य स्तरीय सहकारी सप्ताह की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे। वीरभद्र सिंह ने कहा कि सहकारी समितियों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने एवं आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने प्रथम चरण में राज्य के सभी जिलों में राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम के अन्तर्गत समेकित सहकारी विकास परियोजनाओं का कार्यान्वयन पूरा कर लिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारी आन्दोलन ने न केवल समुदायों के सामाजिक व आर्थिक जीवन स्तर में बदलाव लाया है, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों एवं युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने का मार्ग भी प्रशस्त किया है। प्रथम पंचवर्षीय योजना के निर्माण के दौरान राज्य में 25 हजार सदस्यों सहित केवल 843 सहकारी समितियां थी, जबकि आज प्रदेश में 16 लाख सदस्यों के साथ 4793 सहकारी समितियां हैं, जिनकी हिस्सा पूंजी 272 करोड़ तथा जमा पूंजी 17177 करोड़ रुपये हैं। इन समितियों की कार्य पूंजी 22167 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि हथकरघा क्षेत्र की पुनःबहाली, सुधार एवं पुनर्निर्माण के लिए नाबार्ड के माध्यम से कपड़ा मंत्रालय के वित्तीय पैकेज को कार्यान्वित किया जा रहा है। वीरभद्र सिंह ने कहा कि बदलते आर्थिक परिवेश में सहकारी समितियों को खुले बाजार से प्रतिस्पर्धा की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए सहकारी समितियों की गतिविधियों में विविधता पर बल दे रही है ताकि ये समितियां महज एकल गतिविधि तक सीमित न रहकर नई चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम बनाई जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारी समितियां समाज के कमजोर वर्गों के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण संघटक हैं लेकिन कुछ समितियां कुछ लोगों के हस्तक्षेप के कारण फायदे में नहीं चल रही हैं। उन्होंने सहकारी सभाओं के निदेशक को भ्रष्टाचार में संलिप्त समितियों की लिस्ट उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने आशा जताई कि कृषि विभाग और ग्रामीण विकास बैंक राज्य के सहकारी बैंक जिसे भारतीय रिजर्व बैंक ने अधिसूचित बैंक सूचीबद्ध किया है, की कार्यशैली का अनुसरण करेंगे।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि मंदिर एवं देवी-देवता हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। उन्होंने लोगों से सभी प्राचीन मंदिरों का सरंक्षण एवं देखभाल तथा देवी-देवताओं का सम्मान करने का आह्वान किया। उन्होंने देवी एवं देवताओं को पालकियों में सड़कों पर लाकर लोगों की आस्था एवं विश्वास से खिलवाड़ कर उन्हें धोखा देने वालों को सख्त चेतावनी दी।
मुख्यमंत्री ने 5 करोड़ रुपये के बजट प्रावधान सहित सैंज के लिए राजकीय डिग्री महाविद्यालय खोलने की घोषणा की, जो आगामी शैक्षणिक सत्र से आरम्भ होगा।
मुख्यमंत्री ने हि.प्र. राज्य कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के अध्यक्ष शिव लाल शर्मा को ‘सहकार बंधु’ पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्होंने वर्ष 2013-14 के लिए घुमारवीं तहसील की सहकारी समिति डाबला कृषि सेवा को प्रथम पुरस्कार, द अमलेहद जादिद कृषि सेवा सहकारी सभा को द्वितीय तथा ऊना जिले की द कोटला कृषि सेवा सहकारी सभा दोहगी को तृतीय पुरस्कार प्रदान किए। उन्होंने सहकारी प्रबन्धन केन्द्र गारली और मशोबरा से सहकारी प्रबन्धन में डिप्लोमा कोर्स में प्रथम स्थान हासिल करने के लिए सीमा कुमारी और अंजू तथा द्वितीय स्थान के लिए वंदना और पूजा रायजदा को को भी पुरस्कार प्रदान किए।
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने सैंज में एक करोड़ रुपये की लागत से निर्मित नए स्तरोन्नत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का लोकार्पण किया।
आयुर्वेद एवं सहकारिता मंत्री कर्ण सिंह ने कहा कि वह मुख्यमंत्री के आभारी हैं, जिन्होंने व्यक्तिगत तौर पर अग्नि प्रभावित कोटला गांव का दौरा किया और लोगों की समस्याएं सुनीं तथा दो करोड़ रुपये की फौरी राहत की घोषणा की। उन्होंने अग्निशमन केन्द्र लारजी के लिए तृतीय अग्नि वाहन प्रदान करने के आश्वासन के लिए भी मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया। उन्होंने घाटी में एनएचपीसी जल विद्युत परियोजना के 606 विस्थापित परिवारों को राहत प्रदान करने तथा क्षेत्र में चिकित्सकों के रिक्त पदों को भरने का आग्रह किया।