हिमाचल के वनस्पतिक पेड़-पौधों की विविधता व उपयोगिता…

पीपल

पीपल

प्रदेश की कुछ महत्वपूर्ण वनस्पतिक संपदा जिनके स्थानीय नाम व वनस्पतिक नाम निम्र प्रकार से हैं तथा इनका प्रयोग किसलिए किया जाता है :

अकोरिया (रहुस) : इसका प्रयोग आरे एवं कुल्हाड़ी बनाने के लिए, आकाश बेल क्स्क्यूटा रेफलस जानवरों के पैरों में मोच दूर करने के लिए औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।

अखरोट (जुगलान्स रीजिया) : यह फर्नीचर व कला उपकरण बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

अमलतास (केसिया फिस्टुला) : गृह निर्माण, जलाने की लकड़ी, कोयलाए रंग बनाने के काम में प्रयोग तथा जड़ें, पत्ते व फली से विभिन्न प्रकार की औषधियों के निर्माण में उपयोग में लाई जाती है।

बान (क्यूकरस इन्काना) : हल, भवन निर्माण, ईंधन के रूप में लकड़ी का प्रयोग तथा पत्तियों का जानवरों के लिए चारे में रूप में प्रयोग किया जाता है।

बनक्शा (बायोला औडोरेटा) : इसकी पत्तियों से तेल प्राप्त होता है तथा पत्तियों एवं फूलों का दवाई के रूप में प्रयोग किया जाता है।

बरगद (फाइकस बैंगोलिसिस) : फर्नीचर, बक्से बनाने में, वृक्ष से निकलने वाले लेटेक्स (दूध) से औषधि निर्माण एवं हिन्दुओं का एक पवित्र वृक्ष है।

भोजपत्र (बीटुला यूटिलिस) : यह एक मध्यम आकार का वृक्ष होता है। पेड़ की छाल कागज की तरह परतों वाली, प्राचीन काल में इसके पन्नों को कागज के रूप में प्रयोग किया जाता था।

चील (पाइनस लौंगीफोलिया) : चील का वृक्ष विरोजा का मुख्य स्त्रोत है। यह भवन निर्माण के लिए भी बेहद उपयोगी है।

देवदार (सीडरस देवदारा) : इमारती लकड़ी सीलिंग, फर्श आदि पर लगाने, पैकिंग व बक्से बनाने आदि के लिए उपयुक्त है।

सेब

सेब

धूप (वैटेरिया इंडिका) : साबुन, मोमबत्ती बनाने एवं दीये में घी के स्थान पर जलाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

हल्दिया (अडिनाकोर्डिलोलिया) : पैकिंग बक्से, फ्रेम, फर्नीचर, हल, खिलौने, बन्दूक के हैण्डल, ब्रश, कार्बिगफ्रेम, चाकू व दर्पण के फ्रेम में प्रयोग किया जाता है।

हरड़ (टर्मिनेलिया चेबुला) : इसका प्रयोग में औषधी के रूप में किया जाता है। इसकी लकड़ी से भवन निर्माण, फर्नीचर, कृषि उपकरण बनाने में तथा फलों का रूई, ऊन और चमड़ा रंगने के लिए प्रयोग किया जाता है।

कचनार (बेहुनिया बेरीगैटा) : इसकी कलियों का सब्जी व आचार के रूप में प्रयोग किया जाता है। लकड़ी से कृषि यन्त्र बनाए जाते हैं एवं पत्ती पशुओं को चारा के रूप में खिलाने के काम आती हैं।

ककरे (पिस्टासिया इन्टीजेरिमी) : फर्नीचर, चर्खा, छत एवं हल आदि बनाने में प्रयोग की जाती है।

कैल (पाइनस एक्सेलसा) : भवन निर्माण के लिए उपयुक्त एवं बिरोजा का स्त्रोत भी है।

क्यूनिस (एलनस निटिडा) : भवन निर्माण एवं माचिस की तीली बनाने में प्रयोग की जाती है।

खोर (एकेसिया सेनेगल) : औषधि निर्माण, स्याही एवं वस्त्रों की रंगाई में प्रयोग।

कठेर (एट्रोकार्पस इन्टरजीफालिया) : स्वादिष्ट फलों वाला वृक्ष, कच्चे फलों का पकाकर प्रयोग एवं बढ़ई कार्यों में उपयोग।

कीकर (एकेसिया अरेबिका) : कृषि उपकरण, छाल का प्रयोग रंगाई के लिए व पत्तियों से पशु चारा बनता है।

नीम (एजाडिरेक्टा इंडिका) : फर्नीचर, बैलगाड़ी, हल, कृषि उपकरण के लिए प्रयोग, छाल में औषधि गुण, टूथपेस्ट, कीटनाशक, साबुन आदि में प्रयोग किया जाता है।

ब्यूल

ब्यूल

पलाश  (ब्यूटिया फ्रौन्डोसा) : पत्तियों का पशु चारा रूप में उपयोग, फलों का रंगने हेतु उपयोग किया जाता है।

रान (औसिया निरूब्डा) : खटमल, मक्खी आदि को भगाने के लिए पत्तियों का बिस्तर में प्रयोग, बीज का मुर्गियों व अन्य पक्षियों को दाने के रूप में खिलाने में उपयोग में लाया जाता है।

सेमल (सलमालिया मालाबारिका) : माचिस की तीली एवं पैकिंग बक्से बनाने में उपयोग किया जाता है।

शीशम (डलवर्जिया सिसू) : अति उत्तम इमारती लकड़ी का स्त्रोत, बढिय़ा फर्नीचर बनाने में प्रयोग किया जाता है।

सिम्बल : (बौम्बाक्स मालावेरिकम) : इसकी रूई रजाई तकिए आदि में भरने के काम में लाई जाती है।

सेरीफल (एक्गले मार्मेलोस) : कृषि उपकरण बनाने में उपयोग किया जाता है एवं कई यन्त्रों के हैण्डल बनाने में प्रयोग किया जाता है।

कैंथ (पाइरस पशिया) : छड़ी, कंघे एवं हुक्के की नली बनाने में प्रयोग किया जाता है। इसका स्वादिष्ट फल खाने के काम आता है।

काफल (माइरिका नागी) : फल का खाने के लिए, छाल का औषधि बनाने के लिए उपयोग।

खैर (एकेसिया कटेचू) : कृषि उपकरण, कत्था, कोयला एवं दवाइयां आदि में उपयोग किया जाता है।

 भाटिन्डू (सिसाम्पेलस परेरिया) : इसके रेशे से रस्सी बनाई जाती है।

धाई (बुडफोरिडा फ्रूटीकोसा) : ईंधन तथा पत्तियों का टेनिंग के लिए उपयोग।

इन्दरानी कमल (वाइटस निगुन्डो मौन फिलिपेनिसिस) : जड़ों का दवा निर्माण में उपयोग। कुल्हाड़े एवं हल आदि के हैण्डल बनाने में उपयोग।

कांगू कुरनाल (फ्लेकुरशिया रैमोटची हेडेरा हैलिक्स) : लकड़ी का कंघी बनाने में उपयोग। पत्तियों का पशु चारे के रूप में प्रयोग।

पाजा

पाजा

नैर (स्कीमिया लोरेला) : भवन निर्माण में कारपेन्टरी में उपयोग।

थूना तोष (टैक्सस बकेटा ऐबीस पिंडरो) : धनुष आदि बनाने में उपयोग। सीलिंग एवं फर्श में लकड़ी का उपयोग।

शहतूत (मौरस एल्बा) : भवन निर्माण, फर्नीचर बनाने में उपयोग।

शहतूत

शहतूत

भांग (कनेविस स्टाइवा) : इसका प्रयोग कई नशीले पदार्थ बनाने में किया जाता है।

रीठा (सैपिनडस ट्राइफोलिएटस) : इसके फलों का साबुन के रूप में उपयोग तथा औषधि निर्माण में उपयोग किया जाता है।

संदन  (आंगसीनिया डलवर्जियोडस) : बैलगाड़ी, बैलों के जुये, पहिये के लिए प्रयोग, पत्तियां पशुचारे के रूप में उपयोग।

तुन, तुनी (तूना सिलिएटा) : छाल का उपयोग दवा बनाने में होता है।

कशमल (बारबेरीज एरिसटाटा) : जड़ों से पीला रंग बनाने एवं औषधि बनाने में उपयोग।

मेहन्डू (डोडोन्का विस्कस) : इनग्रेविग व हैण्डल बनाने के लिए उपयोग।

तुंगा (रस कोटिनस) : ऊन एवं रेशमी कपड़ों की रंगाई में प्रयोग किया जाता है।

मजनू (सैलिक्स बेबिलोनिका) : पत्तियों का पशुचारा के रूप में उपयोग किया जाता है।

साभार: हिमाचल प्रदेश एक-बहुआयामी परिचय

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  1. Ajeet Singh Patel
    Nov 21, 2023 - 09:54 PM

    Excellent information

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