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डिजिटल इंडिया के नक्शे पर बनेगी हिमाचल प्रदेश की नई पहचान, भविष्य के उद्योगों की तैयारी, ग्रीन मोबिलिटी से एआई तक फोकस

शिमला: हिमाचल प्रदेश पारंपरिक उद्योगों के साथ-साथ भविष्य की तकनीकों और उभरते क्षेत्रों में भी मजबूत कदम बढ़ा रहा है।
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बताया कि राज्य में औद्योगिकीकरण को नई गति देने के लिए सरकार ने ग्रीन मोबिलिटी, रक्षा उत्पादन, फार्मा, डेयरी, खाद्य प्रसंस्करण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), इलेक्ट्रॉनिक चिप्स और डेटा सेंटर जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता सूची में शामिल किया है। सरकार की यह रणनीति उद्योग लगाने के साथ स्थायी विकास, रोजगार सृजन और तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण को दर्शाती है।
ग्रीन मोबिलिटी: पर्यावरण और रोजगार का संतुलन ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देकर हिमाचल प्रदेश पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ नए रोजगार अवसर भी सृजित करना चाहता है। इलेक्ट्रिक वाहन, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और संबंधित कंपोनेंट्स के क्षेत्र में निवेश से राज्य को ग्रीन इंडस्ट्रियल हब के रूप में विकसित करने की तैयारी है। रक्षा उत्पादन और फार्मा सेक्टर में निवेश से प्रदेश की रणनीतिक और
औद्योगिक क्षमता को मजबूती मिलेगी। पहले से मजबूत फार्मा उद्योग वाले राज्य में उन्नत तकनीक और अनुसंधान आधारित निवेश से नए आयाम खुलने की उम्मीद है।
एआई और डेटा सेंटर, डिजिटल भविष्य की नींव एआई, इलेक्ट्रॉनिक चिप्स और डेटा सेंटर जैसे क्षेत्र हिमाचल प्रदेश को डिजिटल इंडिया के नक्शे पर नई पहचान दिला सकते हैं। इन क्षेत्रों में निवेश से युवाओं को हाई स्किल नौकरियां मिलेंगी और राज्य का तकनीकी इकोसिस्टम सशक्त
होगा। उद्योग मंत्री ने बताया कि इन सभी उभरते क्षेत्रों के अग्रणी उद्योगपतियों के साथ लगातार संवाद किया जा रहा है। उद्देश्य यह है कि हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक, नीतिगत और मानव संसाधन क्षमताओं को सामने रखकर नए निवेश को आकर्षित करने की ठोस रणनीति तैयार की जाए।
आत्मविश्वास से बढ़ता हिमाचल: उद्योग मंत्री का कहना है कि यह पहल हिमाचल प्रदेश को भविष्य के उद्योगों के लिए तैयार राज्य के रूप में स्थापित करेगी। ग्रीन मोबिलिटी से लेकर एआई तक का यह फोकस हिमाचल प्रदेश के युवाओं, उद्यमियों और निवेशकों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलने वाला है।

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