शिमला: हिमाचल प्रदेश के लिए वर्षों से लंबित बी.बी.एम.बी. से देय बकाया राशि को लेने के लिए प्रदेश कांग्रेस सरकार विशेषकर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह कभी भी गंभीर नहीं रहे हैं। ये बात आज पूर्व भाजपा नेताओं मंत्री ठाकुर गुलाब सिंह, रविन्द्र सिंह रवि व नरेन्द्र बरागटा ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कही उन्होंने कहा कि सितम्बर, 2011 में पूर्व भाजपा सरकार के प्रयासों के चलते सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के चलते हिमाचल अपने हकों की लड़ाई जितने में कामयाब हुआ था तब वीरभद्र सिंह केन्द्रीय मंत्री थे। तब वह चाहते तो बी.बी.एम.बी. से प्रदेश को उसका हिस्सा दिलवा सकते थे परन्तु उन्होनें कभी इसके लिए कोशिशें ही नहीं की जिसकी वजह से हिमाचल को उसके हकों से महरूम होना पड़ा।
भाजपा नेताओं ने कहा कि विधान सभा चुनावों के दौरान कांग्रेसी नेताओं ने वायदा किया था कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के उपरांत केन्द्र की यूपीए सरकार से हिमाचल को बी,बी.एम.बी. से देय बकाया राशि दिलवाएंगे, परन्तु सरकार बनने के डेढ़ वर्षों तक केन्द्र में कांग्रेसनीत यूपीए सरकार सत्ता में रही परन्तु उस समय न ही वीरभद्र सिंह और न अन्य कांग्रेसी नेताओं ने प्रदेशहितों की पैरवी की और अब सरकार के अल्प समय में केवल जनता को गुमराह करने के उदेश्य से बी.बी.एम.बी. से प्रदेश का हिस्सा दिलवाने का ढोंग कर रहे हैं।
भाजपा नेताओं ने कहा कि जब भी प्रदेशहितों की बात सामने आती है तो कांग्रेसी नेता अपने पांव पीछे खींच लेते हैं। औद्योगिक पैकेज के मामले में भी यही हुआ था। अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा हिमाचल को दिए गए विशेष पैकेज को जब केन्द्रीय कांग्रेस सरकार ने छीन लिया था तब भी कांग्रेसी नेताओं ने कभी हिमाचल हित की पैरवी के लिए केन्द्र से कोई गुहार नहीं की। उल्टे लोगों को यह कहते रहे कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के पश्चात हिमाचल को औद्योगिक पैकेज की बहाली करवायेंगे। कांग्रेस ने चुनावों के दौरान वायदे तो बहुत किए परन्तु उन्हें निभाने में असफल रही और अब कांग्रेस नेताओं को अपनी असफलता को स्वीकार करना चाहिए।
भाजपा नेताओं ने कहा कि प्रदेश कांग्रेसी नेता एक तरफ तो केन्द्र से मदद की गुहार लगाते हैं और बदले में केन्द्र भी अभूतपूर्व आर्थिक सहायता प्रदान कर रहा है, परन्तु धन्यवाद के दो शब्दों कहने के बजाए कांग्रेसी नेतृत्व मोदी सरकार के प्रति अपशब्दों का प्रयोग कर रहा है। यह अहसान फरामोशिता के अलावा कुछ नहीं है, इसका जवाब जनता आने वाले विधान सभा चुनावो में देगी।