शिमला में अवैध शीशा (हुक्का) परोसने पर राज्य फ्लाइंग स्कवायड की सख्त कार्रवाई

शिमला: तंबाकू मुक्त युवा अभियान (Tobacco Free Youth Campaign -TFYC) 3.0, जिसका शुभारंभ  मुख्यमंत्री द्वारा 13 अक्टूबर 2025 को किया गया था, के तहत राज्य फ्लाइंग स्क्वाड ने शिमला के प्रमुख कैफ़े और रेस्तरां में अवैध शीशा (हुक्का) परोसने के खिलाफ संयुक्त प्रवर्तन अभियान चलाया। इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग, स्वास्थ्य सुरक्षा एवं विनियमन, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, आबकारी एवं कराधान तथा पुलिस विभाग की टीमें शामिल थीं।

निरीक्षणों के दौरान पाया गया कि कई प्रतिष्ठान फ्लेवर, हर्बल या नो-निकोटीन के नाम पर शीशा (हुक्का) परोस रहे थे। बड़ी संख्या में जब्त किए गए पैकेटों पर तंबाकू और निकोटीन स्पष्ट रूप से अंकित था, लेकिन इसके बावजूद कई पैकेटों पर अनिवार्य वैधानिक स्वास्थ्य चेतावनियाँ नहीं लिखी थीं, जो COTPΑ, 2003 की धारा 7 का गंभीर उल्लंघन है। संबंधित प्रावधानों के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है तथा जब्त की गई सामग्री न्यायालय में प्रस्तुत कर दी गई है।

शीशा (हुक्का): एक गंभीर स्वास्थ्य संकट

राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. रविंदर कुमार ने बताया कि राज्य के विभिन्न शहरों मैं शीशा (हुक्का) बारों का विशेषकर युवाओं एवं नाबालिगों में, प्रचलन तेज़ी से बढ़ रहा है।

  • 45 मिनट का शीशा (हुक्का) सत्र, 100 सिगरेट के धुएँ के बराबर हो सकता है।

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) शीशे (हुक्के) को एक अत्यधिक लत लगाने वाला पदार्थ मानता है, जिसमें निकोटीन या मोलासेस और विभिन्न फ्लेवरिंग पदार्थ होते हैं, जो बड़ी मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड उत्पन्न करते हैं और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हैं।

  • उपयोगकर्ता अधिक गहराई से और लंबे समय तक धुआँ खींचते हैं, जिससे कैंसरजनक धुएँ के संपर्क में वृद्धि होती है।

  • एक शीशा (हुक्का) सत्र में एक सिगरेट की तुलना में लगभग 25 गुना अधिक टार शरीर में प्रवेश कर सकता है।

  • शीशा (हुक्का) पाइप साझा करने से टीबी, हेपेटाइटिस तथा हर्पीज़ जैसी संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

  • तंबाकू उत्पादों के उपयोग से संबंधित कानूनों का प्रवर्तन और अधिक सख्त किया जाएगा।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, हिमाचल प्रदेश के मिशन निदेशक प्रदीप कुमार ठाकुर, आईएएस, ने कहा कि यह कार्रवाई युवाओं में बढ़ती शीशा (हुक्का) प्रवृत्ति को रोकने की राज्यव्यापी रणनीति के अंतर्गत की जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हर्बल, नो-निकोटीन या नो-टोबैको के नाम पर बेचे जाने वाले उत्पाद भ्रामक और समान रूप से हानिकारक हैं तथा उन पर COTPA के सभी प्रावधान पूर्ण रूप से लागू होते हैं।

उन्होंने बताया कि कुल्लू (विशेष रूप से कसोल और मनाली), शिमला, धर्मशाला और सोलन ज़िलों में अवैध शीशा (हुक्का) परोसने की शिकायतें लगातार प्राप्त हो रही हैं। राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर तीन-स्तरीय फ्लाइंग स्क्वाड प्रणाली के माध्यम से निगरानी और प्रवर्तन को और अधिक मज़बूत किया जाएगा।

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