क्षयरोग मुक्त भारत की ओर हिमाचल विधायकों का सम्मेलन

शिमला: राज्य सरकार विकास व स्वास्थ्य मानकों में नए कीर्तिमान स्थापित करने के लिए अग्रसक्रिय कदम उठा रही है। जनसंख्या एवं विकास पर भारतीय सांसद एसोसियेशन द्वारा क्षयरोग मुक्त भारत की ओर हिमाचल प्रदेश के विधायकों के सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने यह बात कही।

उन्होंने कहा कि क्षय रोग भारत की लोक स्वास्थ्य प्रणाली में एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है। यह रोग किसी भी देश के विकास के लिए एक बड़ी बाधा है। वीरभद्र सिंह ने कहा कि राज्य सरकार 12 जिला क्षय रोग केन्द्रों, 72 क्षय रोग इकाइयों तथा 190 सूक्ष्मदर्शी केन्द्रों के माध्यम से क्षय रोग की पहचान एवं उपचार की गुणात्मक सेवाएं प्रदान कर रही है। सभी ऐलोपैथिक तथा आयुर्वेदिक स्वास्थ्य संस्थान डाट केन्द्रों के रूप में कार्य कर रहे हैं और साथ ही उपचार सेवाएं भी प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन केन्द्रों में कार्यक्रम के अन्तर्गत वर्ष 1995 से लगभग 2 लाख क्षय रोगियों का उपचार किया जा चुका है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षय रोग एक गंभीर समस्या है, और विधायक अथवा व्यवस्थापक जागरूकता उत्पन्न करके, आवश्यक बुनियादी सुविधाएं विकसित करके तथा सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से क्षय रोग नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जनवरी 2016 के बाद 41 एलटी तथा 24 वरिष्ठ उपचार सुपरवाइजरों की नियुक्ति की है और अन्य रिक्त पदों को भी शीघ्र भरा जाएगा। वीरभद्र सिंह ने कहा कि राज्य में क्षय रोग पर नियंत्रण सुनिश्चित करने की हमारे ऊपर एक बड़ी जिम्मेवारी है। लोगों में टीबी को लेकर आज भी बहुत सी भ्रांतियां हैं, जिसके चलते इस रोग के लक्षणों का पता लगाने में कठिनाई आ रही है और उपयुक्त उपचार न होने के कारण यह समस्या और अधिक गंभीर बनती जा रही है।

हि.प्र. विधानसभा अध्यक्ष बृज बिहारी लाल बुटेल ने कहा कि आम लोगों में इस बीमारी के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने के लिये प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को अच्छे से सुना एवं समझा जाना चाहिए, क्योंकि रोग नियंत्रण के प्रयासों पर चर्चा करने में अब उनकी सीधी भागीदारी की आवश्यकता है।

स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि क्षय उपचार की अवहेलना करना, अधूरा एवं अपर्याप्त उपचार टीबी रोग को और अधिक जटिल बना देता है, जो बहु औषधि प्रतिरोधी टीबी (एमडीआर) का रूप धारण कर लेता है।

उन्होंने कहा कि एमडीआर-टीबी ने वर्तमान समय में हमारे सामने एक बहुत बड़ी चुनौती पैदा ली है। एमडीआर टीबी के लिए अब पर्याप्त उपचार सेवाएं उपलब्ध हैं। एमडीआर-टीबी का पता लगाने के लिए अब सीबीएनएएटी एक नई मशीन मौजूद है। राज्य में इस प्रकार की कुल नौ मशीनें हैं, जिनमें से आठ मशीनें फरवरी, 2016 के बाद स्थापित की गई हैं। शीघ्र ही ये मशीनें शेष बचे तीन जिलों में भी स्थापित की जाएंगी।

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