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राज्यपाल ने लोकतांत्रिक शासन को मजबूती देने में लेखा और ऑडिट संस्थानों की भूमिका पर दिया बल

शिमला: राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि सुशासन की विश्वसनीयता काफी हद तक लेखांकन और ऑडिट से जुड़े पेशेवरों की मेहनत, निष्पक्षता और सतर्कता पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि उनकी सतत निगरानी ही नीतियों को परिणामों में बदलती है, जिससे कर देने वाले नागरिकों को लाभ मिलता है।
राज्यपाल आज यहां भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक कार्यालय द्वारा आयोजित ‘ऑडिट वीक 2025’ के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस वर्ष यह कार्यक्रम ‘सुशासन और वित्तीय अनुशासन के लिए सहयोगात्मक प्रतिबद्धता’ विषय पर आयोजित किया गया है।
राज्यपाल ने भारतीय लेखा एवं लेखा परीक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई देते हुए, कैग को लोकतंत्र का एक अनिवार्य स्तंभ बताया, जो जवाबदेही, पारदर्शिता और सुशासन के सिद्धांतों को मजबूत करता है। उन्होंने कहा कि यह संस्था न केवल यह सुनिश्चित करती है कि सार्वजनिक धन का खर्च कानूनी के अन्तर्गत हो बल्कि जनकल्याण के उद्देश्यों की ओर भी कार्य करती है। इससे राज्य और नागरिकों के बीच विश्वास की नींव और मजबूत होती है।
शुक्ल ने कहा कि ऑडिट वीक केवल औपचारिक आयोजन नहीं है, बल्कि संवैधानिक दायित्वों पर आत्मचिंतन का अवसर है। उन्होंने कहा कि कैग वित्तीय जवाबदेही का प्रहरी है, जो सार्वजनिक धन के प्रत्येक व्यय में ईमानदारी, पारदर्शिता और जनहित को सुनिश्चित करता है। उन्होंने कहा कि ऑडिट वीक के अंतर्गत आयोजित तकनीकी सत्र और विचार-विमर्श न केवल पूर्व के प्रयासों की समीक्षा करते हैं, बल्कि भविष्य के लिए ऑडिट पद्धतियों को मजबूत करने का मार्ग भी दिखाते हैं।
हिमाचल प्रदेश में वित्तीय पारदर्शिता बढ़ाने में विभाग के योगदान की सराहना करते हुए राज्यपाल ने कहा कि सुव्यवस्थित दस्तावेज़ीकरण, तथ्यों पर आधारित रिपोर्टें और सार्थक अनुशंसा बेहतर निर्णय लेने में मदद करती हैं और सुशासन को सुदृढ़ बनाती है। उन्होंने कहा कि हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में, जहां बुनियादी ढांचा, दूर-दराज़ क्षेत्रों में सेवाओं की आपूर्ति, पर्यावरणीय जोखिम और प्राकृतिक आपदाएं जटिल चुनौतियां पेश करती हैं, वहां ऑडिट हस्तक्षेप और अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं ताकि योजनाओं और परियोजनाओं का लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचे।
उन्होंने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त की कि हिमाचल के ऑडिट कार्यालयों ने डिजिटल वर्कफ़्लो, हाइब्रिड ऑडिट मॉडल और डेटा एनालिटिक्स जैसी आधुनिक प्रणालियां अपनाई हैं, जिससे ऑडिट की सटीकता, दक्षता और पारदर्शिता में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि ऑडिट उत्कृष्टता उसके अधिकारियों की दक्षता पर निर्भर करती है और यह गौरव की बात है कि इतनी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय प्रशिक्षण अकादमी शिमला में स्थित है।
राज्यपाल ने ऑडिट कर्मचारियों की निष्ठा और निष्पक्षता की सराहना करते हुए कहा कि उनकी ईमानदारी और समर्पण लोकतंत्र को मजबूत करते हैं। उन्होंने उनसे आग्रह किया कि वे इसी भावना और प्रतिबद्धता के साथ राज्य और देश की सेवा करते रहें।
इसके उपरांत राज्यपाल ने ऐतिहासिक गॉर्टन कैसल भवन का दौरा किया और इसकी ऐतिहासिक महत्ता पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री देखी।
राष्ट्रीय लेखा एवं लेखा परीक्षा अकादमी के महानिदेशक एस. आलोक ने ऑडिट वीक के दौरान प्रस्तावित गतिविधियों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि संवादात्मक सत्र इस तरह तैयार किए गए हैं कि ऑडिट निष्कर्ष और अनुशंसाएं व्यवहारिक, लागू करने योग्य और स्पष्ट रूप से समझी जा सकें। उन्होंने बताया कि संस्था एक आधुनिक डिजिटल ऑडिट प्रणाली विकसित कर रही है, जो परंपरा और नवाचार के संतुलन पर आधारित है, और जिसमें जोखिम-आधारित, नागरिक-केंद्रित और परिणाम-उन्मुख ऑडिटिंग पर बल दिया गया है। विभाग का उद्देश्य राज्य के विकास प्रयासों को मजबूत करना है, साथ ही जलवायु परिवर्तन, सतत विकास लक्ष्यों और सामाजिक समावेशन जैसे उभरते क्षेत्रों को भी संबोधित करना है।
राष्ट्रीय लेखा एवं लेखा परीक्षा अकादमी की निदेशक पुष्पलता ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।
महालेखा परीक्षक (ऑडिट) पुरुषोत्तम तिवारी, राज्यपाल के सचिव चंद्र प्रकाश वर्मा, राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी तथा लेखा एवं लेखा परीक्षा विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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