सीबीआई से केस वापस लेने के लिए बेकरार होने वाले पहले मुख्यमंत्री हैं सुक्खू : जयराम ठाकुर
सीबीआई से केस वापस लेने के लिए बेकरार होने वाले पहले मुख्यमंत्री हैं सुक्खू : जयराम ठाकुर
सरकार के प्रयासों से साफ है बहुत बड़ी धांधली से जुड़े हैं विमल नेगी की मौत के तार
सरकार की बेताबी बता रही है बहुत लोगों का जेल इंतजार कर रही है
पहले सीबीआई को जांच सौंपने और अब वापस लेने के लिए सिर के बल खड़ी है सरकार
शिमला : शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि एचपीपीसीएल के इंजीनियर विमल नेगी की मौत से सुक्खू सरकार के तार बहुत गहरे और नजदीकी से जुड़े हैं। इसीलिए यह सरकार विमल नेगी की मौत की जांच को सीबीआई से वापस लेने के लिए हर हथकंडे अपना रही है। देश के इतिहास का यह पहला मामला है जहां एक चीफ इंजीनियर की मौत के मामले की जांच के मामले में सरकार सहयोग करने की बजाय जांच को बाधित करने की प्रयास कर रही है। ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया कि सरकार ने किसी भी सीबीआई जांच की प्रक्रिया में दखल देने की कोशिश की हो। वह भी तब जब सीबीआई जांच के आदेश माननीय न्यायालय द्वारा दिए गए हो। सबसे बड़ा सवाल यह है की विमल नेगी की मौत के मामले में किस-किस की गर्दन फंस रही है जो पूरी सरकार छटपटा रही है। किसे बचाने के लिए मुख्यमंत्री और उनका संरक्षण पाए अधिकारी सबसे ऊपर होकर, कानून की धज्जियां उड़ाकर काम कर रहे हैं। उन अधिकारियों को नियमों की धज्जियां उड़ाने की खुली छूट देकर मुख्यमंत्री ने भी पूरे प्रदेश के लोगों की शक की सुई अपनी तरफ कर ली है। विमल नेगी के मौत के मामले में पहले जहां दाल में काला लग रहा था अब वहीं पूरी दाल ही काली नजर आ रही है। सरकार जिस तरीके से विमल नेगी की मौत के मामले में बेसब्र है और बार-बार झूठ बोल रही है उसे यह साफ है कि विमल नेगी की मौत या हत्या में सरकार पूरी तरह शामिल है। सरकार को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
जयराम ठाकुर ने कहा कि जिस तरह से सीबीआई की जांच के बीच में मुख्यमंत्री द्वारा संरक्षित कुछ अधिकारी नियमों की धज्जियां उड़ाकर जांच को प्रभावित करना चाहते हैं उससे लगता है कि इस मामले में जेल बहुत लोगों की राह देख रही है। जो वरिष्ठ अधिकारी इस व्यवस्था पतन पर खामोश हैं, उन्हें अपने दायित्वों के लिए खाई गई संविधान की शपथ याद करनी चाहिए। सरकार जिस जांच को संरक्षण दे रही है उस जांच के अधिकारियों ने विमल नेगी के पास मिला सबसे अहम सबूत पेन ड्राइव को थाने के अंदर फॉर्मेट किया और फिर उसे फॉरेंसिक को सौंपा। जब थाने में पेन ड्राइव फॉर्मेट करके सबूत को मिटाने के मामले में पुलिस का एक कर्मचारी जेल में हैं। ऐसे में प्रदेश की पुलिस सीबीआई जांच पर कैसे सवाल उठा सकती है। पुलिस खुद यह मानती है कि पुलिस द्वारा पेन ड्राइव फॉरमैट की गई। यह तो इस घटना का सिर्फ एक सत्य है जो मछुआरों द्वारा बनाई गई वीडियो के जरिए सामने आया है। विमल नेगी की मौत से जुड़े न जाने कितने राज पुलिस ने अपने आकाओं को बचाने के लिए दफन कर दिए हो, यह कौन जानता है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि थाने में पेन ड्राइव को फॉर्मेट किए जाने के बाद प्रदेश पुलिस द्वारा क्या कार्रवाई की गई? प्रदेश की पुलिस खास करके सुखविंदर सिंह सुक्खू के चहेते अधिकारी न सिर्फ सीबीआई पर उंगली उठाकर प्रदेश पुलिस की साख दाव पर लगा रहे हैं बल्कि माननीय उच्च न्यायालय पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। क्योंकि यह जांच माननीय उच्च न्यायालय की देखरेख में चल रही है। इसके पहले भी जिन अधिकारियों ने नियम कानून और प्रदेश के व्यवस्था की धज्जियां उड़ा दी मुख्यमंत्री उसका बाल भी बांका नहीं कर पाए। मुख्यमंत्री अधिकारियों, भ्रष्टाचारियों के काले कारनामों के मकड़जाल में फंस चुके हैं और उनकी कठपुतली बनकर रह गए हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जिस दिन से विमल नेगी गायब हुए हैं उस दिन से ही उनके परिवार के लोग पेखु बेला प्रोजेक्ट से उनके गायब होने के तार जुड़े होने के आरोप लगा रहे थे। उनका शव मिलने के बाद परिजनों ने सीबीआई जांच की मांग की तो मुख्यमंत्री ने विधानसभा के भीतर न्याय का भरोसा दिलाया। हिमाचल पुलिस से जांच के लिए परिवार से दो हफ्ते का समय मांगा नहीं तो जांच सीबीआई को सौंपने का भरोसा दिया। परिवार वालों को सीबीआई जांच के लिए कैंडल मार्च निकालना पड़ा। न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। मुख्यमंत्री के इशारे पर नियमों की धज्जियां उड़ाकर जितने भी अड़ंगे डाले जा सकते थे, सरकार ने डलवाए। जब न्यायालय ने सरकार और जांच कर रही शिमला पुलिस का रवैया देखा तो न्याय के लिए सीबीआई जांच के आदेश किया और साथ ही यह भी निर्देश दिए कि हिमाचल से जुड़ा कोई भी अधिकारी इस जांच में शामिल नहीं होगा। और सरकार को जांच में सहयोग का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने मीडिया के सामने इस मामले में जांच में सहयोग देने का विमल नेगी के परिवार और प्रदेश को आश्वासन दिया। जो व्यक्ति झूठ को ही सत्ता चलाने का साधन समझता हो उससे किसी भी आश्वासन की उम्मीद नहीं की जा सकती। कुल मिलाकर विमल नेगी की मौत में साजिशों के तार बहुत गहरे हैं जो बहुत ऊंची कुर्सियों से जुड़े हैं। सभी मुख्यमंत्री उनके आरोपियों को न तो सजा दिला पाए और नहीं उन्हें महत्वपूर्ण पोस्टिंग से दूर रख पाए। व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर व्यवस्था पतन का यह दौर अब बंद होना चाहिए।