हिमाचल: प्रदेश को आपदा प्रभावित राज्य घोषित किया गया है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने सोमवार को विधानसभा सदन में इस संबंध में वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष मानसून प्रारंभ होने के साथ ही प्रदेश में कई जिलों में बादल फटने, अचानक बाढ़, भूस्खलन की घटनाएं हुईं, जिस पर राहत एवं बचाव कार्यों, सड़क, पेयजल योजनाओं, बिजली आपूर्ति की पुनर्बहाली के कार्य में युद्ध स्तर पर गति प्रदान की जा रही थी। प्रदेश में 21 अगस्त से मॉनसून पुनः सक्रिय हुआ। उक्त तिथि से आज तथा 1 सितंबर 2025 तक प्रदेश के विभिन्न भागों में अति वृष्टि, बादल फटने, भूस्खलन की कई घटनाएं हुईं।
इस दैरान सबसे अधिक चंबा, कुल्लू, लाहौल-स्पीति, मंडी, शिमला, कांगड़ा, हमीरपुर जिले प्रभावित हुए। इस वर्ष मानसून में अब तक (31 अगस्त तक) 3 हजार 56 करोड का प्रारंभिक नुकसान का अनुमान लगाया गया है। सबसे अधिक नुकसान सड़कों, पुलों, पानी व बिजली की संरचनाओं को हुआ है। सीएम ने कहा कि सरकार की ओर से प्रदेश में इस आपदा से हुई त्रासदी के कारण आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के तहत जिलों, राज्य व केंद्र सरकार के विभागों को राहत एवं बचाव कार्यों, आधारभूत ढांचों के पुनर्निर्माण कार्यों को युद्ध स्तर बहाल करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के नौवें दिन हंगामे के बीच प्रदेश में बादल फटने, भारी बारिश-भूस्खलन से हुई तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। बता दें, प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के नौवें दिन हंगामे के बीच प्रदेश में बादल फटने, भारी बारिश-भूस्खलन से हुई तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया गया था।
मुख्य सचिव सह-सीइओ, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) प्रबोध सक्सेना ने हिमाचल प्रदेश को आपदा ग्रस्त राज्य घोषित करने के संबंधी सात बिंदुओं की अधिसूचना जारी कर दी है। आपदा राज्य घोषित होने के बाद सरकार विधायक निधि और सरकारी योजनाओं के बजट में कटौती कर आपदा प्रभावितों के राहत एवं पुनर्वासन के लिए बजट जुटाने में सक्षम हो सकेगी। आर्थिक संसाधन जुटाने के लिए सरकार नया सेस लगा सकेगी।