भ्रम और सत्य को अलग करके देखते हैं तो जुड़ाव सत्य के साथ होता है- रमित जी
भ्रम और सत्य को अलग करके देखते हैं तो जुड़ाव सत्य के साथ होता है- रमित जी
शिमला में पूर्व जोनल इंचार्ज राजवंत कौर के जीवन पर आधारित प्रेरणा दिवस पर राजपिता रमित जी की हजूरी में हुआ समागम
शिमला: जब सत्य जीवन में आता है, तो सत्य और मिथ्या की पहचान हो जाती है और जीवन का मकसद पता चल जाता है । सोने और पीतल में अंतर समझ आने पर वास्तविक जीवन की समझ आ जाती है। शिमला में निरंकारी मिशन के पूर्व जोनल इंचार्ज रजवंत कौर के जीवन पर आधारित प्रेरणा दिवस के मौके पर आयोजित समागम में परम पूजनीय राजपिता रमित जी ने यह विचार रखें। अपने वचनों मे। उन्होंने फरमाया कि महात्मा बुद्ध के पास जब भी कोई उनका शिष्य बनने आता था, तो वह उसे कुछ दिन के लिए शमशान घाट भेज देते थे l वह उससे कहते थे कि जब तुम कुछ दिन वहां रहोगे, तो पता चल जाएगा कि जिस शरीर और सगे संबंधियों को अपना समझ रहे थे, इस शरीर का क्या महत्व है। वही दूसरी और अगर हमें किसी सराय या होटल में एक रात गुजारनी हो तो हम बिना परेशान हुए वह रात सुकून से काटकर आगे बढ़ जाते हैं, क्योंकि एहसास है कि इससे जुड़कर मुझे करना क्या है। कल दोबारा सोने यहां तो आना नहीं है। ब्रह्म ज्ञानी संतो को इसी बात का एहसास हो जाता है कि यह जो जीवन जी रहे हैं इसमें कहीं परेशान होने की जरूरत नहीं, इसको इतना जोर से पकड़ने की जरूरत ही नहीं, इसके साथ इतनी आसक्ति की जरूरत ही नहीं,यह तो कुछ समय का साथी है खूबसूरती से जीवन जिया जाए।
उन्होंने फरमाया की किस तरह राजवंत जी जहां गए जिसको प्रेरणा दे सके, जिसको बोध करवा सके, जो जिज्ञासा लेकर आया तो उसको भी परमात्मा का ज्ञान परमात्मा के दर्शन करवाए, क्योंकि सतगुरु ने वह सेवा दी थी, तो इस प्रकार से उन्होंने गुरमत वाला जीवन जिया। उन्होंने वहां बैठे सभी संतो को उनके जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही। गौर हो कि पूर्व जोनल इंचार्ज राजवंत कौर भुल्लर बीते रविवार को ब्रह्मलीन हुए थे और उनकी याद में यह प्रेरणा दिवस मनाया गया।