बिजली बोर्ड में पद समाप्त करने का सरकार का कोई इरादा नहीं : नरेश चौहान

शिमलाः  प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार के गठन के बाद व्यवस्था परिवर्तन से प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कारगर पग उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री का पहला लक्ष्य बिजली बोर्ड और परिवहन निगम को घाटे से उभारना, उन्हें आर्थिक रूप से सुदृढ़ करना तथा उनमें सुधार करना था और इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किए गए ।

आज यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए नरेश चौहान ने कहा कि प्रदेश सरकार को घाटे में चल रहे बिजली बोर्ड को हर वर्ष 2300 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता करनी पड़ी है। बोर्ड को अपने पांव पर खड़ा करने के लिए ही मुख्यमंत्री ने सम्पन्न उपभोक्ताओं तथा उद्योपतियों से सब्सिडी छोड़ने का आग्रह किया और प्रदेश के अधिकतर लोगों ने उनकी बात को माना। उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड के राजस्व व खर्चों में बहुत अन्तर है। बोर्ड में इस समय 13 हजार लोग काम कर रहे हैं जबकि काफी संख्या में पद खाली चल रहे हैं। बोर्ड की कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए जैनरेशन विंग और सिविल विंग में बहुत से अतिरिक्त कर्मचारियों अथवा इंजीनियरों को दूसरी जगह शिफट किया जा रहा है और उनसे ऑप्शन ली जा रही है लेकिन युक्तिकरण नीति  के तहत पदों को समाप्त करने का सरकार का कोई इरादा नहीं है।

        उन्होने कहा कि बिजली बोर्ड के कर्मचारी नेता कई बार मुख्यमंत्री से मिले जिनकी बात को सुना गया । उन्होंने स्पष्ट किया कि बिजली बोर्ड के राजस्व और खर्चों में बहुत अन्तर है इसलिए मुख्यमंत्री की मंशा स्पष्ट है कि बिजली बोर्ड को आर्थिक रूप से मजबूत किया जाए। उन्होंने बोर्ड के कर्मचारियों से आग्रह किया कि वे किसी भी प्रकार के आन्दोलन में जाने से पहले सरकार से बात करें क्योंकि मुख्यमंत्री के दरवाजे कर्मचारियों से बात करने के लिए हमेशा खुले हैं इसलिए उन्हें निराश होने की आवश्यकता नहीं है। चौहान ने कहा कि बिजली बोर्ड के पास अब कोई प्रोजैक्ट नहीं है। हिमाचल में पॉवर कारपोरेशन या अन्य प्रोजैक्ट बिजली का उत्पादन करते हैं और जो मुफत बिजली मिलती है उसे बोर्ड को दिया जाता है जिसे वह आगे सप्लाई करता है। उसके बावजूदं 2 रूपये 50 पैैसे अथवा 2 रूपये 70 पैसे की दर से बोर्ड को यह बिजली दी जाती है जिसको ठीक करने की एक कवायद चल रही है।

        जहां तक उद्योगों की सब्सिडी कम करने या उसे छोड़ने की बात है, उस विषय में मुख्यमंत्री की उद्योगपतियों के साथ हुई बैठक में भी यह चर्चा हुई थी और उन्हें अवगत करवाया गया कि पंजाब, हरियाणा राज्यों की तुलना में हिमाचल में बिजली की दरें कम हैं। मुख्यमंत्री ने उन्हें यह आश्वासन दिया था कि वे उनका नुकसान नहींें होने देंगे और किसी भी त्रृटि को दूर करने के प्रयास किए जाएंगे। भाजपा के इस आरोप कि हिमाचल प्रदेश में जल्द ही बड़ा बदलाव होने वाला है, पर चुटकी  लेते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा में खुद ही बड़ा बदलाव होने वाला है। कांग्रेस पार्टी से भाजपा में गए लोगों का वर्चस्व बढ़ने से भाजपा में अन्दरूनी तौर पर खलबली मची हुई है और लीडरशिप को लेकर जो खींचतान और जो अन्तर्कलह चल रही है वह किसी सी छिपी नहीं है लेकिन भाजपा को कांग्रेस पार्टी अथवा सरकार पर इस प्रकार के अनर्गल आरोप लगाने की बजाए अपनी पार्टी पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए ।

 नरेश चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री लोगों की सेवा और प्रदेश के विकास में विश्वास रखते है। विधायक प्राथमिकता की बैठक में भाजपा के विधायकों का शामिल न होना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है  और इस तरह की गलत परम्परा आरम्भ करने और यह निर्णय लेने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री एवं विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर जिम्मेदार हैं जिन्होंने अपने विधायकों को इस बैठक में भाग लेने से रोका जबकि उन्हीं की पार्टी के अधिकतर विधायक इस बैठक में भाग लेने के इच्छुक थे और उनका यह मत था कि वह अपने क्षेत्र की समस्याओं को रखते । विपक्ष के नेता का यह आरोप भी निराधार एवं तथ्यों से परे है कि धनराशि के आबंटन में मण्डी जिला से भेदभाव किया गया जबकि मुख्यमंत्री ने पूरे तथ्यों के साथ बैठक में विस्तृत जानकारी दी थी विकास की दृष्टि से इस जिला के हर विधानसभा क्षेत्र को उचित धनराशि उपलब्ध करवाई गई है। 

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