जीएसटी व्‍यापक तौर पर सफल रहा है और इसने आम लोगों पर कर का बोझ घटाया है: वित्त मंत्री

नई दिल्ली: केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में ‘केन्‍द्रीय बजट 2024-25’ पेश करते हुए कहा कि  जीएसटी ने आम लोगों पर कर का बोझ कम करते हुए  अनुपालन बोझ और व्‍यापार एवं उद्योग के लिए लॉजिस्टिक लागत को कम किया है। मंत्री ने जीएसटी को व्यापक तौर पर सफल करार दिया।

व्‍यापार को सुगम बनाने लिए जीएसटी कानून में कई संशोधन किए गए है। इसके तहत शराब के विनिर्माण में इस्‍तेमाल होने वाले एक्‍सट्रा न्‍यूट्रल एल्‍कोहल को इस के‍न्‍द्रीय कर के दायरे से बाहर रखा जाएगा। आईजीएसटी और यूटीजीएसटी अधिनियम में भी इसी तरह के संशोधन किए गए है। इसके अलावा, हाल में शामिल की गई धारा 11ए व्‍यापार में प्रचलित किसी भी सामान्‍य प्रथा के कारण इस केन्‍द्रीय कर की गैर-लेवी अथवा कम लेवी को विनियमित करने के लिए सरकार को सशक्‍त करेगी।

सीजीएसटी की धारा 16 में दो नए उपखंड़ो को शामिल करते हुए इनपुट टैक्‍स क्रेडिट हासिल करने की समय सीमा को आसान बनाया गया है। संशोधित कानून डिमांड नोटिस एवं ऑडर जारी करने के लिए सामान्‍य समय सीमा भी उपलब्‍ध कराएगा। साथ ही कर दाताओं के लिए कर मांग एवं ब्‍याज के भुगतान के साथ जुर्माना घटाने का फायदा उठाने के लिए समय सीमा को 30 दिनों बढ़ाकर 60 दिन कर दिया गया है।

व्‍यापार को अधिक सुगम बनाने के लिए अपीलीय प्राधिकरण में अपील दायर करने के लिए प्री-डिपॉजिट की अधिकतम रकम को केन्द्रीय कर के 25 करोड़ रूपये से घटाकर 20 करोड़ रूपये कर दिया गया है। अपीलीय ट्रिब्‍यूनल में अपील दायर करने के लिए प्री-डिपॉजिट को केन्‍द्रीय कर के 50 करोड़ रूपये की अधिकतम रकम के साथ 20 प्रतिशत से घटाकर केन्‍द्रीय कर के 20 करोड़ की अधिकतम रकम के साथ 10 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके अलावाअपीलीय ट्रिब्‍यूनल में अपील दायर करने की समय सीमा में भी 1 अगस्त 2024 से प्रभा‍वी तौर पर संशोधन किया जा रहा है। इससे अपीलीय ट्रिब्‍यूनल का कामकाज शुरू न होने के मद्देनजर अपील में समय बर्बाद नहीं होगा।

 इसके अलावा, कई अन्य बदलाव किए गए है। उदाहरण के लिए, सरकार को सशक्‍त बनाया गया है ताकि वह मुनाफाखोरी मामलों को निपटाने के लिए जीएसटी अपीलीय ट्रिब्‍यूनल को सूचित कर सके। इससे व्‍यापार में सुगमता को बढ़ावा मिलेगा।

वित्‍त मंत्री ने जीएसटी की सफलता का उल्‍लेख करते हुए यह भी कहा कि जीएसटी के फायदे को कई गुना बढ़ाने के लिए कर ढ़ांचे को अधिक सरल और उपयुक्‍त बनाते हुए उसका विस्‍तार शेष क्षेत्रों तक किया गया है।

सरकार करों को सरल बनाना, करदाता सेवाओं में सुधार करना सरकार का निरंतर प्रयास : केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री

आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा अगले छह महीने में

जीएसटी, सीमा शुल्क और आयकर की सभी सेवाओं का अगले दो वर्षों के दौरान डिजिटलीकरण किया जाएगा और उन्हें पेपर-लेस बनाया जाएगा

आयकर विवादों पर लंबित अपीलों के निपटारे के लिए विवाद से विश्‍वास योजना 2024

 नई दिल्ली: केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में ‘केन्‍द्रीय बजट 2024-25’ पेश करते हुए कहा कि नौ चिन्ह्ति प्राथमिकताओं पर जोर देने वाला यह बजट विकसित भारत के लक्ष्‍य की दिशा में यात्रा की गति को तेज करता है।

इस बात पर जोर देते हुए कि सरकार करों को सरल बनाने, करदाता सेवाओं में सुधार करने, कर निश्चितता प्रदान करने और मुकदमेबाजी कम करने के अपने प्रयासों को जारी रख रही है, वित्‍त मंत्री ने कहा कि करदाताओं द्वारा इसकी सराहना की गई है। उन्‍होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में 58 प्रतिशत कॉरपोरेट टैक्स सरलीकृत टैक्स व्यवस्था द्वारा जमा हुआ। इसी प्रकार पिछले राजकोषीय (वर्ष) के लिए अब तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार दो तिहाई से अधिक करदाताओं ने नई आयकर व्यवस्था का लाभ उठाया है।

कर व्‍यवस्‍था को सरल बनाने के एजेंडे के बारे में चर्चा करते हुए केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री ने अपने बजट भाषण में अपने अनेक उपाय बताए। आयकर अधिनियम, 1961 की अगले छह महीने में अधिनियम को संक्षिप्त, स्पष्ट, पढ़ने और समझने में आसान बनाने के लिए व्यापक समीक्षा की घोषणा करते हुए श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘‘इससे विवादों और मुकदमेबाजी में कमी आएगी जिससे करदाताओं को कर में निश्चितता प्राप्त होगी।’’

कर संबंधी अनिश्चितता और विवादों को कम करने के लिए एक अन्‍य उपाय के तहत पुनः निर्धारण के प्रावधानों को पूरी तरह से सरल बनाने का प्रस्ताव किया गया है। प्रस्‍ताव की चर्चा करते हुए वित्‍त मंत्री ने कहा कि अब के बाद कोई निर्धारण,निर्धारण वर्ष के समाप्त होने के तीन वर्षों के बाद केवल तभी फिर से खोला जा सकेगा जब निर्धारण वर्ष के समाप्त होने से लेकर अधिकतम 5 वर्षों की अवधि तक कर से छूट प्राप्त आय `50 लाख या उससे अधिक हो। वित्‍त मंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि सर्च मामलों में भी, दस वर्षों की मौजूदा समय सीमा के स्थान पर सर्च के वर्ष से पहले छह वर्ष की समय सीमा करने का प्रस्ताव है।

वित्‍त विधेयक में धर्मार्थ संस्थाओं और टीडीएस के लिए कर सरलीकरण प्रक्रिया की पहल करते हुए, श्रीमती निर्मला सीतारमण ने प्रस्‍ताव किया कि कर में छूट की दो व्यवस्थाओं को मिलाकर एक किया जा रहा है। अनेक भुगतानों पर 5 प्रतिशत टीडीएस दर को घटाकर 2 प्रतिशत टीडीएस दर किया जा रहा है और म्युचुअल फंडों या यूटीआई द्वारा यूनिटों की पुनः खरीद से भुगतानों में 20 प्रतिशत टीडीएस दर को समाप्त किया जा रहा है। ई-कॉमर्स ऑपरेटरों पर टीडीएस दर को 1 प्रतिशत से कम करके 0.1 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। साथ ही, टीसीएस की राशि को वेतन पर कटौती किए जाने वाले टीडीएस की गणना में लाभ दिए जाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, वित्‍त मंत्री ने टीडीएस के भुगतान में विलम्ब को टीडीएस के लिए विवरणीफाइल करने की नियत तारीख तक डिक्रिमिनलाईज करने का प्रस्ताव किया।

जीएसटी के तहत सभी बड़ी करदाता सेवाओं और सीमा शुल्क तथा आयकर के अधीन ज्यादातर सेवाओं को डिजिटल रूप में लाए जाने के बारे में चर्चा करते हुए, वित्‍त मंत्री ने कहा कि सीमा शुल्क और आयकर की सभी शेष सेवाओं को अगले दो वर्षों के दौरान डिजिटलीकरण किया जाएगा और उन्हें पेपर-लेस बनाया जाएगा, जिनमें ऑर्डर गिविंग इफेक्ट व रैक्टिफिकेशन शामिल है।

अनेक अपीलीय मंचों पर अच्‍छे परिणाम नजर आने के बारे में बताते हुए, केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि सरकार मुकदमों और अपीलों की ओर निरंतर सबसे अधिक ध्‍यान रखेगी। बजट भाषण में अपील में लंबित कतिपय आयकर विवादों के समाधान के लिए विवाद से विश्‍वास योजना 2024 का प्रस्‍ताव किया गया। इसके अलावा, टैक्स अधिकरणों, उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में प्रत्यक्ष करों, उत्पाद शुल्क और सेवा कर से संबंधित अपीलों को दायर करने के लिए मौद्रिक सीमाओं को क्रमशः 60 लाख रुपये, 2 करोड़ रुपये और 5 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया। वित्‍त मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कराधान में मुकदमेबाजी कम करने और निश्चितता प्रदान करने के विचार से हम सेफ हार्बर नियमों के दायरे का विस्तार करेंगे और उन्हें अधिक आकर्षक बनाएंगे। हम ट्रांसफर प्राइसिंग निर्धारण प्रक्रिया को भी सरल और सुचारू बनाएंगे।

कर आधार का विस्तार करने के बारे में चर्चा करते हुए  निर्मला सीतारमण ने दो उपायों की घोषणा की। पहला, फ्यूचर्स और ऑप्सन्स के विकल्पों पर सिक्यूरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स को बढ़ाकर क्रमशः 0.02 प्रतिशत और 0.1 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। वित्‍त्‍ मंत्री ने कहा कि दूसरा उपाय इक्विटी हेतु शेयरों की बायबैक पर प्राप्त आय पर शेयरधारकों के स्तर पर करारोपण है।

इन प्रस्तावों के प्रभाव पर  विस्‍तार से बताते हुए सीतारमण ने अंत में कहा कि इसके परिणामस्‍वरूप लगभग 37,000 करोड़ रुपये जिसमें से 29,000 करोड़ रुपये प्रत्यक्ष करों के तथा 8,000 करोड़ रुपये अप्रत्यक्ष करों के राजस्व को परित्यक्त किया जाएगा, जबकि लगभग 30,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व जुटाया जाएगा। इस प्रकार कुल वार्षिक परित्यक्त राजस्व लगभग 7,000 करोड़ रुपये होगा।

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