किसानों के समर्थन में डीसी ऑफिस शिमला के बाहर प्रदर्शन

हिमाचल: प्रदेश किसान सभा व सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने आंदोलनरत किसानों के समर्थन में डीसी ऑफिस शिमला पर धरना दिया। सैंकड़ों मजदूर किसान कई घण्टों तक डीसी ऑफिस शिमला पर किसानों के समर्थन व विश्व व्यापार संगठन के खिलाफ डेरा डाल कर बैठे रहे। मजदूरों किसानों ने डीसी ऑफिस से लोअर बाजार होते हुए शेर ए पंजाब नाज शिमला तक एक रैली की। हिमाचल प्रदेश में कई जगह प्रदर्शन किए। सीटू व किसान सभा ने हरियाणा पुलिस और केंद्रीय बलों द्वारा खनौरी और शंभू सीमाओं पर किसानों पर बर्बर और अकारण बल प्रयोग, हत्याओं और दमन की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि किसानों पर लाठीचार्ज, प्लास्टिक की गोलियों और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन किसानों का कसूर सिर्फ इतना है कि वे देश की राजधानी दिल्ली पहुंचकर सरकार से मांग करना चाहते थे कि तीन कृषि कानून वापस लेने के लिए हुए आंदोलन के वक्त किसानों से किए गए वादे पूरे किए जाएं। उन्होंने कहा कि केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार और हरियाणा की भाजपा सरकार किसी भी विरोध को कुचलने के लिए तरह – तरह के गैर कानूनी तरीकों का उपयोग करने पर आमादा हैं। मजदूर किसान राष्ट्र-विरोधी मोदी सरकार जो कॉर्पोरेट सांप्रदायिक सांठगांठ करके मजदूरों तथा किसानों पर अत्याचार को बढ़ावा दे रही है, उसके खिलाफ मजदूरों किसानों ने आबू धाबी में शुरू हुए विश्व व्यापार संगठन के सम्मेलन के उद्घाटन के दिन देशभर में प्रदर्शन किए। इसी क्रम में 14 मार्च को रामलीला ग्राउंड में विशाल किसान मजदूर महापंचायत होगी।

ऐप्पल फार्मरज़ फेडरेशन ऑफ इंडिया के संयोजक राकेश सिंघा, किसान सभा अध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर व सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने मांग की है कि गृह मंत्री अमित शाह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व मंत्री अनिल विज पर किसानों की हत्या का मुकद्दमा दर्ज किया जाए। किसान आंदोलन के शहीदों को एक करोड़ रुपये मुआवजा दिया जाए। फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू किया जाए। स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशें लागू की जाएं। किसानों की कर्जा मुक्ति सुनिश्चित की जाए। किसानों की हत्याओं, दमन व ट्रैक्टरों को तोड़ने की सुप्रीम कोर्ट के जज से जांच करवाई जाए। किसानों के तोड़े गए ट्रैक्टरों का मुआवजा दिया जाए। विश्व व्यापार संगठन की शह पर किसानों को बर्बाद करना बंद किया जाए। खेती को अडानी – अम्बानी व अन्य कॉरपोरेट के हवाले करने की साज़िश बन्द की जाए। किसानों को खेती से बेदखल करके बंधुआ मजदूर बनाने की साज़िश बन्द की जाए।

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