देवी-देवताओं के मंडी शिवरात्रि में आने से छोटी काशी हुई देवमय

लोक देवताओं के आने से मंडी नगर ढोल-नगाड़ों, करनाल, शहनाई और रणसिंगे के समवेत स्वरों में हुआ गुंजयमान

लोक देवताओं के आने से मंडी नगर ढोल-नगाड़ों, करनाल, शहनाई और रणसिंगे के समवेत स्वरों में हुआ गुंजयमान

मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनियों का अवलोकन किया और काफी सराहना भी की

मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनियों का अवलोकन किया और काफी सराहना भी की

शिमला : अंतरराष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि महोत्सव का आगाज़ हो गया है। अंतरराष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि महोत्सव के लिए जनपद के देवी-देवताओं के मंडी शिवरात्रि में आने से छोटी काशी देवमय हो उठी है। लोक देवताओं के आने से मंडी नगर ढोल-नगाड़ों, करनाल, शहनाई और रणसिंगे के समवेत स्वरों में गुंजयमान हो उठा है। जनपद के सराज, चौहारघाटी, सनोर बदार, उत्तरशाल, घाटीहाड़, बल्ह आदि क्षेत्रों से देवी-देवता अपनी-अपनी पालकियों पर सवार होकर मंडी नगर में पहुंचने लगे हैं। मेला समिति की ओर से इस बार 216 देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया है। सोमवार शाम तक करीब एक सौ देवी-देवता मंडी पहुंच गए हैं। वैसे तो शिवरात्रि महापर्व की मान्यता विश्वव्यापी है, मगर छोटी काशी के नाम से विख्यात मंडी शहर की शिवरात्रि का अंदाज ही अलग है। यह शैव,वैष्णव और लोक देवताओं के संगम का पर्व है। लोक आस्था,परंपरा के साथ-साथ सदियों पुरानी विरासत के संरक्षण और संवर्धन के रूप में भी इस महापर्व का महत्व है। मंडी रियासत का इतिहास सुकेत रियासत की सातवीं पीढ़ी से प्रारंभ होता है। बाहूसेन ने हाटेश्वरी माता के मंदिर की स्थापना की थी। इसके पश्चात बाहूसन मंगलौर में जा बसा था। 1280 ई.में बाणसेन ने यूली में मंडी रियासत की राजधानी स्थपित की। बटोहली होते हुए 1527 ई.में अजबर सेन ने बाबा भूतनाथ के मंदिर के साथ ही आधुनिक मंडी शहर की स्थापना की थी। मंडी शिवरात्रि को शैव के साथ—साथ वैष्णव और लोकवादी स्वरूप प्रदान करने का श्रेय राजा सूरज सेन को जाता है। सूरज सेन की दस रानियां और अट्ठारह पुत्र थे। मगर एक के बाद एक सभी बेटे काल का ग्रास होने पर राजा भयभीत हो उठा। उसे अपना राज्य छीन लिए जाने की आशंका सताने लगी, मगर उसने कूटनीति से काम लेते हुए अपना राज्य भगवान विष्णु के प्रतीक माधोराय को समर्पित कर दिया और स्वयं राज्य का संरक्षक बनकर राजकाज देखने लगा। मंडी के भीमा सुनार ने माधोराय की चांदी की प्रतिमा बनाई जो आज भी मौजूद है। जिसे पालकी में रखकर धूमधाम के साथ पड्डल मैदान तक ले जाया जाता है। सूरज सेन ने ही मंडी शिवरात्रि को लोकोत्सव का स्वरूप प्रदान करते हुए जनपद के देवी-देवताओं को एक सप्ताह तक मंडी नगर में मेहमान बनाकर रखने की परंपरा भी बनाई। मंडी शिवरात्रि में शैव मत का प्रतिनिधित्व जहां मंडी नगर के अधिष्ठदाता बाबा भूतनाथ करते हैं, तो वैष्णव का प्रतिनिधित्व राज देवता माधोराय और लोक देवताओं की अगुआई बड़ादेव कमरूनाग और देव पराशर करते हैं। जनपद के सभी क्षेत्रों से देवीदेवता इस लोकोत्सव में पहुंचने शुरू हो गए हैं।

मुख्यमंत्री ने किया प्रदर्शनियों का अवलोकन

मुख्यमंत्री ने किया प्रदर्शनियों का अवलोकन

मुख्यमंत्री ने किया प्रदर्शनियों का अवलोकन

मंगलवार को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह राजदेवता माधोराय की जलेब में शिरकत करने के बाद मेलों का विधिवत उद्घाटन भी किया। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि मेले के उपलक्ष्य पर विभिन्न प्रदर्शनियां लगाई गई। यह प्रदर्शनियां विभिन्न विभागों व स्वयं सहायता समूहों द्वारा लगाई गई हैं। मेला कमेटी द्वारा प्रदर्शनियां लगाने के लिए इंदिरा मार्केट की छत पर स्टाल लगाए गए हैं। मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनियों का अवलोकन किया और काफी सराहना भी की। मेले के पहले दिन कुल 42 प्रदर्शनियां लगीं थी। प्रदर्शनियों के माध्यम से लोगों को विभाग की योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान की जा रही है। राजकीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी द्वारा विभिन्न शोधों की प्रदर्शनी लगाई गई है। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान मंडी द्वारा एनएसक्यूएफ और उड़ान अभियान द्वारा चलाई गई योजनाओं के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

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