एसजेवीएन ने किए 200 मेगावाट सौर विदयुत के लिए यूपीसीएल के साथ विद्युत उपयोग करार पर हस्ताक्षर

एसजेवीएन द्वारा एसजीईएल के माध्यम से इरेडा की सीपीएसयू योजना के तहत यह सौर परियोजना राजस्थान में की जा रही है विकसित – सीएमडी नन्‍द लाल शर्मा

परियोजना की विकास लागत 5491 करोड़ 

परियोजना डोमेस्टिक कंटेंट रिक्‍वायरमेंट मोड के तहत विकसित की जा रही है और अप्रैल 2024 तक कमीशनिंग के लिए निर्धारित

शिमला: एसजेवीएन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नन्‍द लाल शर्मा ने बताया कि एसजेवीएन ने अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली अधीनस्‍थ कंपनी एसजेवीएन ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एसजीईएल) के माध्यम से उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) के साथ एक पावर उपयोग करार पर हस्ताक्षर किए हैं।

नन्‍द लाल शर्मा ने कहा कि निर्माणाधीन 1000 मेगावाट बीकानेर सौर ऊर्जा परियोजना (बीएसपीपी) से यूपीसीएल को आपूर्ति की जाने वाली 200 मेगावाट सौर विदयुत क्षमता के लिए इस करार  पर हस्ताक्षर किए गए हैंएसजेवीएन द्वारा एसजीईएल के माध्यम से इरेडा की सीपीएसयू योजना के अंतर्गत यह सौर परियोजना राजस्थान में विकसित की जा रही है।  परियोजना की विकास लागत 5491 करोड़ रुपए है। यह परियोजना डोमेस्टिक कंटेंट रिक्‍वायरमेंट मोड के तहत विकसित की जा रही है और अप्रैल 2024 तक कमीशनिंग के लिए निर्धारित है। परियोजना से उत्पादित विदयुत का उपयोग सरकारी निकायों द्वारा स्‍वयं या डिस्‍कॉम के माध्यम से किया जाएगा। इसी के साथ यह परियोजना सौर आरपीओ लक्ष्यों को पूरा करने और विदयुत आपूर्ति में योगदान देगा। इस विदयुत उपयोग करार पर अजय कुमार सिंह, सीईओ, एसजीईएल और एसई, यूपीसीएल ने देहरादून में हस्ताक्षर किए।

इससे पूर्व, एक प्रमुख उपलब्धि के रूप में, भारत की राष्ट्रपति  द्रौपदी मुर्मू ने 3 जनवरी 2023 को 1000 मेगावाट बीकानेर एसपीपी की आधारशिला रखी थी। इस परियोजना से प्रथम वर्ष में 2455 मिलियन यूनिट और 25 वर्षों की अवधि में संचयी रूप से लगभग 56838 मिलियन यूनिट विदयुत उत्पन्न होने की संभावना है, जबकि कार्बन उत्सर्जन में 27,85,077 टन की कमी आएगी।

एसजेवीएन, एक अग्रणी विदयुत सीपीएसयू, भारत सरकार के हरित ऊर्जा ट्रांजिशन के लक्ष्य के अनुरूप अपने नवीकरणीय ऊर्जा पोर्टफोलियो का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है। कंपनी का परियोजना पोर्टफोलियो 56 गीगावॉट से अधिक है और सौर एवं पवन ऊर्जा पोर्टफोलियो 5090.5 मेगावाट है। कंपनी वर्ष 2030 तक 25000 मेगावाट और वर्ष 2040 तक 50000 मेगावाट स्थापित क्षमता के अपने साझा लक्ष्य को हासिल करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

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