सोलन: प्राकृतिक खेती कृषि आय को दोगुना करने में सक्षम राष्ट्रीय प्रशिक्षण में पांच राज्यों के 21 वैज्ञानिकों ने लिया भाग

सोलन: देश में प्राकृतिक कृषि पद्धति को संयुक्त रूप से बढ़ावा देने के आह्वान के साथ डॉ. यशवंत सिंह औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में ‘प्राकृतिक खेती: वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाएं’ विषय पर दो सप्ताह का राष्ट्रीय प्रशिक्षण का आज समापन हुआ। प्रशिक्षण में हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल के छह विश्वविद्यालयों, आईसीएआर संस्थानों और कृषि विज्ञान केंद्रों के 21 वैज्ञानिकों ने भाग लिया।

प्रशिक्षण के समापन सत्र के दौरान प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान ने कहा कि हमें कुछ मुद्दों को लक्षित करने की आवश्यकता है जिन्हें इस पद्धति के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय देश भर के वैज्ञानिकों को इस पर्यावरण अनुकूल प्राकृतिक कृषि पद्धति पर प्रशिक्षण प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। डॉ. चौहान ने कहा कि प्राकृतिक खेती से इनपुट लागत को काफी कम करके किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को साकार करने का रास्ता दिखा सकती है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में किसान प्राकृतिक कृषि फसल मॉडलों के माध्यम से इस कृषि के लाभों को प्रदर्शित करके उदाहरण पेश कर रहे हैं।

इस कार्यक्रम को आईसीएआर राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना की संस्थागत विकास योजना द्वारा समर्थित किया गया। परियोजना के मुख्य अन्वेषक डॉ. केके रैना ने प्रशिक्षण का समर्थन करने के लिए आईसीएआर को धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि आने वाले हफ्तों में एक अलग समूह के लिए एक और प्रशिक्षण इस विषय पर आयोजित किया जाएगा। प्रशिक्षण निदेशक डॉ. सुभाष वर्मा ने बताया कि प्रशिक्षण में व्यावहारिक और व्याख्यान-आधारित प्रारूपों के मिश्रण किया और प्राकृतिक खेती के सभी पहलुओं को शामिल किया गया था। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान प्राकृतिक खेती से संबंधित विषयों को शामिल करने के अलावा, कृषि में आई॰सी॰टी॰ और ड्रोन अनुप्रयोग, कृषि वानिकी का एकीकरण और कृषि-पर्यटन जैसे अन्य विषयों को भी शामिल किया गया। सोलन और शिमला में किसानों के खेतों और मशोबरा में विश्वविद्यालय के अनुसंधान केंद्र का भी दौरा प्रतिभागियों को करवाया गया।

इस अवसर पर विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. इंद्र देव,  डीन डॉ. मनीष शर्मा और  डॉ. सीएल ठाकुर, विभागाध्यक्षों सहित विश्वविद्यालय की प्राकृतिक खेती टीम के सदस्यों ने भाग लिया। 

सम्बंधित समाचार

Comments are closed