हल्दी की उन्नत काश्त पद्धति से खेती

मण्डी: जिला में 35 हजार से अधिक किसान जुड़ चुके हैं प्राकृतिक खेती से, करीब 4500 हेक्टेयर भू-भाग पर की जा रही है प्राकृतिक खेती

कैमिकल युक्त खेती को छोड़, प्राकृतिक खेती को अपनाने की दिशा में प्रगतिशील किसानों ने आगे बढ़ाए कदम

मण्डी: केमिकल युक्त खेती को छोड़ प्राकृतिक खेती को अपनाने की दिशा में मंडी जिला के खेतीहर प्रगतिशील किसानों ने अपने कदम आगे बढ़ाए हैं। जिला के अन्तर्गत आने वाले सभी 14 विकास खंडों में किसानों द्वारा लगभग 4500 हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को अपनाया जा चुका है। प्राकृतिक खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिला प्रशासन व कृषि विभाग द्वारा उठाए गए प्रभावी कदमों से यह संभव हो पाया है। जिसके अब सार्थक परिणाम सामने आने लगे है।

प्रशिक्षण व अन्य सुविधाएं भी

कृषि विभाग द्वारा जिला में संचालित की जा रही आत्मा परियोजना के अंतर्गत सुभाष पार्लेकर प्राकृतिक खेती को अपनाया गया है। इस परियोजना के माध्यम से अधिक से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जा रहा है ताकि खेतों को केमिकल युक्त खेती से मुक्त कर प्राकृतिक खेती के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाली फसलें उगाई जा सके। जिला में परियोजना के अंतर्गत खेती कार्य से जुड़े किसानों प्राकृतिक खेती करने का प्रशिक्षण देने के साथ-साथ खेती में प्रयोग होने वाले विभिन्न प्रकार के आदानों सहित अन्य प्रकार का आवश्यक सामान सहित विभिन्न सुविधाएं भी राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही है।

चौंतड़ा ब्लाॅक में सबसे ज्यादा किसान कर रहे है प्राकृतिक खेती

जिला में लगभग 35 हजार से अधिक किसान प्राकृतिक खेती को अपना चुके हैं। इन किसानों द्वारा लगभग 4500 हेक्टेयर भ-ूभाग पर प्राकृतिक खेती की जा रही है। समूचे जिला में प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाई जा रही विभिन्न फसलों पर दृष्टि डाली जाए तो मंडी जिला के चौंतड़ा ब्लाॅक के सबसे ज्यादा किसान प्राकृतिक खेती से जुड़े हुए है। ब्लाॅक में 3362 किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है। प्राकृतिक खेती को अपनाने में गोपालपुर ब्लाॅक दूसरे स्थान पर है, जहां पर 2952 किसान इस खेती से जुड़े हुए हैं। जबकि तीसरे स्थान पर गोहर ब्लाॅक चल रहा है। गोहर ब्लाॅक में मार्च 2023 तक के आंकड़ों के अनुसार 2855 लोगों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है।

क्षेत्रफल के आधार पर बालीचैकी ब्लाॅक अग्रणी

क्षेत्रफल के आधार पर प्राकृतिक खेती को अपनाने में मंडी जिला का बालीचैकी ब्लाॅक अग्रणी बना हुआ है। इस ब्लाॅक में लगभग 414 हेक्टेयर भू-भाग पर किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती की जा रही है। दूसरे स्थान पर सराज ब्लाॅक आता है। सराज ब्लाॅक में 394 हेक्टेयर क्षेत्रफल में जबकि प्राकृतिक खेती को अपनाने में तीसरे स्थान पर करसोग उपमंडल का चुराग ब्लाॅक बना हुआ है। करसोग उपमंडल के चुराग ब्लाॅक में लगभग 342 हैक्टेयर क्षेत्रफल में किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती की जा रही है।

किस ब्लाॅक में, कितने किसान कर रहे प्राकृतिक खेती

मण्डी जिला के सभी विकास खंड़ों में लगभग 3500 से अधिक किसान प्राकृतिक खेती को अपना चुके हैं। जिनमें बालीचैकी ब्लाॅक में 2504 किसानों द्वारा 414 हेक्टेयर क्षेत्रफल में, बल्ह ब्लाॅक में 2145 किसानों द्वारा 291 हेक्टेयर, चौंतड़ा ब्लाॅक में 3362 किसानों द्वारा 336 हेक्टेयर, धर्मपुर ब्लाॅक में 2697 किसानों द्वारा लगभग 290 हेक्टेयर, द्रंग ब्लाॅक में 2599 किसानों द्वारा 329 हेक्टेयर, गोपालपुर ब्लाॅक में 2952 किसानों द्वारा 319 हेक्टेयर, गोहर ब्लाॅक में 2855 किसानों द्वारा 321 हेक्टेयर, करसोग ब्लाॅक में 2667 किसानों द्वारा 312 हेक्टेयर, मंडी सदर ब्लाॅक में 2637 किसानों द्वारा 310 हेक्टेयर, सराज ब्लाॅक में 2721 किसानों द्वारा 393 हेक्टेयर, सुंदरनगर ब्लाॅक में 2132 किसानों द्वारा 296 हेक्टेयर, चुराग ब्लाॅक में 2710 किसानों द्वारा 342 हेक्टेयर, निहरी ब्लाॅक में 1881 किसानों द्वारा 234 हेक्टेयर और धनोटू ब्लाॅक में 1572 किसानों द्वारा लगभग 283 हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्राकृतिक खेती की जा रही है।

मिल चुका है पद्मश्री आवार्ड

प्राकृतिक खेती को अपनाने में मंडी जिला के किसान बड़े पैमाने पर आगे आ रहे है। प्राकृतिक खेती कर परंपरात्मक तरीके से लुप्त हो रहे 9 अनाज उगा कर पदमश्री अवार्ड हासिल करने वाले किसान नेकराम शर्मा भी मंडी जिला से ही संबंध रखते है। जिला के करसोग उपमंडल के नांज गांव से संबंधित प्रगतिशील किसान नेक राम शर्मा गत तीन दशक से प्राकृतिक खेती से जुड़े है और कोदा, बिथू, कांगणी, सांवा, ज्वार, भरेस आदि मोटे अनाज अपने खेतों में प्राकृतिक तरीके से उगा रहे है। खेती के प्रति इनकी समर्पित सेवाओं को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा इन्हें पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। जिससे प्राकृतिक खेती के मामले में प्रदेश के साथ-साथ मंडी जिला को भी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली हैं।

योजना को प्रभावी ढंग से किया जा रहा है
संचालित

मंडी जिला आत्मा परियोजना के परियोजना निदेशक देशराज शर्मा ने बताया कि प्राकृतिक खेती परियोजना को जिला में प्रभावी ढंग से संचालित किया जा रहा है। जिसके सराहनीय परिणाम सामने आए हैं। मंडी जिला में अब तक 35 हजार से अधिक किसान प्राकृतिक खेती को अपना चुके हैं और इन किसानों द्वारा लगभग 4500 हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्राकृतिक खेती की जा रही है। प्राकृतिक खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा किसानों को हर संभव सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है।

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