2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य को सफल बनाने हेतु, समेकित कृषि प्रणाली को प्रोत्साहनः राधामोहन सिंह

किसानों एवं कृषि जिंसों के लिए विकसित वायदा बाजार अहम

औद्योगिक विकास के साथ कृषि विकास भी आवश्‍यक : राधा मोहन सिंह

 नई दिल्ली: केन्‍द्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने आज यहां कहा, ‘जब तक देश के किसान समृद्ध नहीं होंगे, तब तक देश का विकास सही दिशा में अपना मार्ग प्रशस्‍त नहीं कर पाएगा। इसलिए, औद्योगिक विकास के साथ कृषि विकास भी आवश्‍यक है। कृषि जिंसों के लिए आवश्‍यक समझा जाने वाला विकसित वायदा बाजार किसानों के लिए अहम साबित होगा। इससे किसानों को अपने उत्‍पादों का उचित मूल्‍य पाने में मदद मिलेगी। इस प्रणाली की बदौलत किसानों के सामने आने वाली कीमतों में उतार-चढ़ाव की समस्‍या ज्‍यादा गंभीर नहीं होगी। इस सीरीज में इस तरह के किसान चूंकि वायदा बाजार में सीधे शिरकत नहीं कर सकते, इसलिए ऐसी स्थिति में भी उनके लाभान्वित होने की पूरी संभावना है, क्‍योंकि बाजार में समय-समय पर मूल्‍यों में होने वाले उतार-चढ़ाव से संबंधित अंतर कम हो जाएंगे और फसल कटाई के बाद बाजार में अक्‍सर लगने वाले झटकों का सामना किसानों को नहीं करना पड़ेगा।’

केन्‍द्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री एसोचैम द्वारा आयोजित किये जाने वाले 14वें जिंस वायदा शिखर सम्‍मेलन के उद्घाटन की पूर्व संध्‍या पर एक कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।  सिंह ने कहा, ‘यह देश के आर्थिक परिदृश्‍य के लिए अच्‍छा संकेत है कि एसोचैम उत्‍कृष्‍ट तकनीकों को अपनाकर कृषि क्षेत्र में नई जान फूंकने में दिलचस्‍पी दिखा रहा है, ताकि कृषि क्षेत्र के उत्‍पादन में बेहतरी लाई जा सके। आज की कांफ्रेंस का मकसद इस खास विषय पर विचारों का आदान-प्रदान करना था कि जिंस वायदा बाजार किस तरह मूल्‍य संबंधी संतुलन एवं खतरों के लिहाज से माकूल हो सकता है। मौजूदा समय में भारत में 22 पंजीकृत बाजार हैं। जैसा कि आपको पता है, भारत ने तीन राष्‍ट्र स्‍तरीय मल्‍टी कमोडिटी एक्‍सचेंजों को मान्‍यता दी है। ये हैं – मल्‍टी कमोडिटी एक्‍सचेंज ऑफ इंडिया (एमसीएक्‍स), नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्‍स एक्‍सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्‍स) और नेशनल मल्‍टी कमोडिटी एक्‍सचेंज इंडिया लिमिटेड (एनएमसीई)।’

कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री ने यह भी कहा, ‘कृषि क्षेत्र से जुड़ी बड़ी समस्‍या यह है कि ज्‍यादातर भारतीय किसान छोटे एवं सीमांत हैं और वे संबंधित सौदे सही ढंग से करने में समक्ष नहीं होते हैं। वे कारोबारी सौदे कम लाभ वाले बाजारों में करते हैं और इस तरह विपणन को लेकर सीमित जागरूकता के चलते शोषण के शिकार हो जाते हैं। कृषि जिंसों के लिए आवश्‍यक समझा जाने वाला विकसित वायदा बाजार किसानों के लिए खास अहमियत रखता है। समूचे भारत के लिए इलेक्‍ट्रॉनिक ट्रेड पोर्टल नेशनल एग्रीकल्‍चर मार्केट (एनएएम) केन्‍द्र सरकार द्वारा इस दिशा में उठाया गया एक महत्‍वपूर्ण कदम है। ’

 

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