राठौर बोले-सेब आयात का न्यूनतम मूल्य 50 रुपए करने से बागवानों को नहीं होगा ज्यादा फायदा

-बागवानों को तभी लाभ होगा, जब सेब पर आयात शुल्क 50 फीसदी से बढ़कर 100 प्रतिशत किया जाएगा

शिमला: सेब आयात का न्यूनतम मूल्य 50 रुपए करने से बागवानों को ज्यादा फायदा नहीं होगा। बागवानों को तभी लाभ होगा, जब सेब पर आयात शुल्क 50 फीसदी से बढ़कर 100 प्रतिशत किया जाएगा। कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं ठियोग से विधायक कुलदीप राठौर ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी नेता सेब के न्यूनतम आयात मूल्य तय करने के निर्णय को एतिहासिक बता रहे हैं और बागवान हितेषी होने का दिखावा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस निर्णय ने बागवानों को फायदा नहीं होगा। यदि बीजेपी सच में बागवान हितैषी है तो प्रधानमंत्री मोदी को 2014 में उनके द्वारा किया गया वादा याद दिलाए और उसे पूरा करने की मांग करें, जिसमें नरेंद्र मोदी ने पीएम बनने से पहले सोलन और सुजानपुर रैली में प्रदेश के बागवानों को भरोसा दिया था कि केंद्र में सरकार बनते ही सेब पर आयात शुल्क बढ़ाया जाएगा, लेकिन सत्ता में आने के 9 साल बाद भी यह वादा पूरा नहीं किया गया। इस वजह से दुनिया के 44 देशों से हर साल थोक में सेब आयात हो रहा है, जिससे हिमाचल सहित जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड के बागवानों को सेब के अच्छे दाम नहीं मिल पाते।
कुलदीप राठौर ने कहा कि ईरान से आयात होने वाले सेब की वेल्यू लगभग 1.82 मीलियन डॉलर है, जबकि भारत में विभिन्न देशों से लगभग 385 मीलियन डॉलर का सेब आयात कि‌‌‌या जाता है। न्यूनतम आयात मूल्य तय करने से प्रदेश के बागवानों को बढ़ी राहत मिलने वाली नहीं है। देश के बाजार में यूएसए, तुर्की, न्यूजीलैंड, चिल्ली, पॉलैंड इत्यादि देशों से सेब आयात हो रहा है। इससे राहत के लिए सेब पर आयात शुल्क बढ़ाना जरूरी है। ऐसा नहीं किया गया तो हिमाचल का 5000 करोड़ रुपए का सेब उद्योग बर्बाद हो जाएगा।

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