नई दिल्ली: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पोषक देखभाल के लिए आदर्श दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन्हें वैकल्पिक देखभाल में सक्रिय राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों, गैर-सरकारी संगठनों, नागरिक समाज, अकादमिक विद्वानों, विशेषज्ञों और संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल करके विकसित किया गया है।
इस दिशा-निर्देश में विभिन्न क्षेत्रों में जिम्मेदार लोगों की भूमिका, दायित्व और प्रक्रियाओं का ब्यौरा दिया गया है। जिलों में पोषण और देखभाल कार्यक्रमों को लागू करने के विभिन्न पहलुओं को ब्यौरे में स्पष्ट किया गया है। बच्चों पर अध्ययन, पोषण देखभाल/माता-पिता हेतु आवेदन पत्र, देखभाल से पहले और उस दौरान परामर्श के तौर-तरीके, पोषणकर्ता की ओर से देखभाल/माता-पिता के लिए परामर्श और अगर बच्चे के जैविक माता-पिता उपलब्ध हों, तो अतिरिक्त ब्यौरे सुलभ कराकर इन दिशा-निर्देशों को मजबूत किया जाता है।
इस आदर्श देखभाल दिशा-निर्देश में देखभाल संबंधी सहायक बिंदुओं, पुरस्कारों और संबंधित माता-पिता के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों को समर्थन देने वाली सामग्री शामिल की गई है। हालांकि इन दिशा-निर्देशों में दत्तक-पूर्व देखभाल को शामिल नहीं किया गया है। ऐसे मामले में बच्चों को गोद लेने संबंधी संचालक दिशा-निर्देश- 2015 लागू होंगे।
राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों की जरूरत के अनुसार ये दिशा-निर्देश स्वीकार/बदले जा सकते हैं।