- दशहरा उत्सव से पहले इन आसनों को कारदारों को सौंपने का निर्णय
- देवी-देवता कारदार संघ कुल्लू ने लिया लकड़ी के आसन मुहैया करवाने का निर्णय
- कुल्लू का दशहरा एक प्रसिद्ध धार्मिक एवं सांस्कृतिक उत्सव है
कुल्लू: उपायुक्त राकेश कंवर ने बताया कि ढालपुर मैदान में देवताओं को कंक्रीट के आसनों की जगह लकड़ी के आसन मुहैया करवाने का निर्णय देवी-देवता कारदार संघ कुल्लू ने जिला व ब्लाक स्तर पर व्यापक चर्चा के बाद ही लिया है। यह निर्णय देवी-देवताओं के आसनों की सफाई व पवित्रता बनाए रखने हेतु लिया गया है। उपायुक्त ने बताया कि लकड़ी के आसन पारंपरिक रूप से देवताओं के लिए प्रयोग किए जाते रहे हैं, इसलिए कारदार संघ ने इनके निर्माण का सुझाव दिया है। यह निर्णय लगभग एक वर्ष पूर्व लिया गया है और करीब छह माह में लकड़ी के आसन तैयार किए गए हैं। कारदार संघ के प्रतिनिधियों ने ही इनके डिजाइनों को स्वीकृति प्रदान की है। दशहरा उत्सव से पहले इन आसनों को कारदारों को सौंपने का निर्णय लिया गया था।
उपायुक्त ने बताया कि देवी-देवता कारदार संघ में जिले के 455 देवी-देवताओं के प्रतिनिधि शामिल हैं और यह देवताओं की एकमात्र प्रतिनिधि संस्था है। इसी कारण संघ के अध्यक्ष इसी कारण दोत राम ठाकुर इस समय दशहरा उत्सव की जिला व राज्य स्तरीय आयोजन समितियों के सदस्य भी हैं। उन्होंने इन समितियों को भी संघ के निर्णय से अवगत करवाया है तथा समितियों ने भी इस फैसले की सराहना की है।
संघ ने आयोजन समिति से कहा है कि कुल्लू शहर के आस-पास के क्षेत्रों के देवताओं के प्रतिनिधि नवरात्र के दौरान लकड़ी के आसन प्राप्त करेंगे, जबकि अन्य देवी-देवता ये आसन दशहरा उत्सव पर आगमन के दौरान लेंगे। 13-14 अक्तूबर को 53 देवताओं के प्रतिनिधियों ने ये आसन ले भी लिए हैं। उपायुक्त ने कहा कि इस मुद्दे पर कोई भी विवाद नहीं है लेकिन दुर्भाग्यवश कई लोग बेवजह इस मुद्दे को तूल दे रहे हैं।
राकेश कंवर ने बताया कि दशहरा उत्सव समिति ने आठ अक्तूबर को आयोजित जिला स्तरीय बैठक में भी इस तरह के किसी भी तरह के विवाद का खंडन किया है। इस बैठक में समिति ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करके कहा है कि लकड़ी के आसन मुहैया करवाने का निर्णय व्यापक मंथन के बाद ही लिया गया है तथा इसको लेकर कोई भी विवाद नहीं है और न ही उपायुक्त कार्यालय को अभी तक इस संबंध में किसी भी देवता के प्रतिनिधियों की ओर से कोई शिकायत प्राप्त हुई है। उपायुक्त ने यह भी कहा कि कारदार संघ के निर्णय को लागू करने में दशहरा समिति किसी भी प्रकार का पक्षपात नहीं कर रही है।
उपायुक्त ने बताया कि हाल ही में मीडिया के एक वर्ग में समाचार आया है कि एक देवता के कुछ हारियानों ने बलि दी है। पुलिस की त्वरित जांच में यह समाचार निराधार पाया गया है। उपायुक्त ने बताया कि सितंबर 2014 में उच्च न्यायालय के प्रतिबंध के बाद कुल्लू जिला में पशु-बलि का एक भी मामला सामने नहीं आया है। जिला प्रशासन ने इस संबंध में कड़े कदम उठाए हैं और देव समाज से जुड़े लोगों ने भी उच्च न्यायालय के आदेशों का सम्मान किया है। तथ्यों के बगैर इस तरह के संवेदनशील मुद्दों पर समाचार प्रकाशित करने से समाज में गलतफहमियां पैदा होती हैं।
उपायुक्त ने कहा कि अगर पशु-बलि के संबंध में किसी भी व्यक्ति के पास पूर्व सूचना हो तो वह तुरंत पुलिस व जिला प्रशासन को सूचित करे, ताकि उच्च न्यायालय के आदेशों की अनुपालना के लिए कड़े कदम उठाए जा सकें। उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेशों की अक्षरशः अनुपालना के लिए जिला प्रशासन बाध्य है और इसके लिए पहले ही पर्याप्त कदम उठाए जा चुके हैं। उल्लेखनीय है कि उक्त आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए उच्च न्यायालय व प्रदेश सरकार द्वारा भी समय-समय पर मानीटरिंग की जा रही है।
उपायुक्त ने कहा कि कुल्लू के देव समाज ने भी इन आदेशों की अनुपालना के लिए भरपूर सहयोग दिया है, जिसके लिए जिला प्रशासन समूचे देव समाज का आभारी है। उपायुक्त ने कहा कि कुल्लू का दशहरा एक प्रसिद्ध धार्मिक एवं सांस्कृतिक उत्सव है और इसमें लाखों लोग शरीक होते हैं। दशहरा उत्सव की जिला स्तरीय आयोजन समिति इसको बेहतरीन ढंग से मनाने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है। उपायुक्त ने सभी लोगों से दशहरे को परंपरागत, गरिमापूर्ण एवं शांतिपूर्ण तरीके से मनाए जाने में सहयोग करने की अपील करते हुए कहा कि अगर किसी को भी कोई शंका हो तो वह उपायुक्त कार्यालय में संपर्क कर सकता है।