शिमला: नगर निगम में फिर उपेक्षा का शिकार हुआ कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र -CPI(M)

· मर्ज्ड एरिया को नहीं मिला मुख्य पदों पर स्थान
· 6 महीनों में ही कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र में कम हुई कांग्रेस की साख

शिमला: शहर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)  ने आज जारी प्रेसनोट के माध्यम से कहा कि कसुम्पटी  नगर निगम शिमला में मेयर और डिप्टी मेयर के चयन ने एक बार फिर से यह साबित दिया है कि मर्ज्ड एरिया सरकार की प्राथमिकता में नहीं है। शिमला नगर निगम में मिलाने के बाद से ही यह क्षेत्र उपेक्षित रहा है। न तो इसे ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मिलने वाले लाभ मिल रहे हैं और न ही मर्ज किये जाने के बाद इसको पुराने नगर निगम के समानान्तर लाने के लिए विशेष मदद मिल पा रही है। शहर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) कसुम्पटी इकाई ने महापौर और उपमहापौर के चुनाव होने के बाद अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले 12 नगर निगम वार्डों से मुख्य पदों पर प्रतिनिधित्व न मिल पाना इस बात का प्रमाण है कि इस क्षेत्र को नज़रअंदाज़ किया गया है। सीपीआई(एम) ने कहा कि अभी वर्तमान सरकार के 6 महीने भी पूरे नहीं हुए है और इतने कम अर्से में ही कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र में नगर निगम चुनावों में कांग्रेस को 12 में से 5 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। इसमें से वे वार्ड भी शामिल हैं जहां कांग्रेस अपना वर्चस्व मानती रही है। इससे साफ होता है कि कसुम्पटी कांग्रेस ने इस छोटे से कार्यकाल में इस क्षेत्र में अपनी साख गंवाई है और जनता ने इसके वादे और गारंटियों के खोखलेपन को नकारा है।

सीपीआई(एम) का मानना है कि मर्ज्ड क्षेत्र की जनता दो दशकों से भवन नियमितिकरण के मुद्दे पर आवाज़ उठाती रही है लेकिन न तो नगर निगम में कांग्रेस के वार्ड प्रतिनिधियों ने और न ही निगम में सहयोगी सदस्य के तौर पर यहां के विधायक ने इस मुद्दे को हल करवाने के लिए प्रयास किए हैं। इसी के चलते भवन नियमितिकरण की समस्या से सबसे ज्यादा जूझ रहे वार्डों ने कांग्रेस को स्पष्ट संदेश दिया है कि अगर उनकी समस्या का हल नहीं हुआ तो विधानसभा चुनावों में भी इन क्षेत्रों से कांग्रेस को झटका मिल सकता है।

सीपीआई(एम) ने मांग की है कि सरकार और नगर निगम स्मार्ट सिटी के तहत शिमला के कोर एरिया के साथ-साथ मर्ज्ड एरिया को भी विकास में बराबर तरजीह दे अन्यथा आने वाले समय में मर्ज्ड एरिया की जनता अपनी मांगों को लेकर मुखर हो सकती है। वहीं पार्टी ने मांग की है कि भवन नियमितिकरण के मुद्दे पर भी सरकार सकारात्मक फैसला ले और शिमला डेवेल्पमेंट प्लान को अंतिम रूप देने से पहले ‘जहां है-जैसे हैं’ फार्मूले के आधार पर भवनों को नियमित करे।

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