“करवाचौथ” : इस साल करवा चौथ पर पड़ रहा है अद्भुत संयोग, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त व विधि...

“करवाचौथ” : इस साल करवा चौथ पर पड़ रहा है अद्भुत संयोग, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त व विधि…

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को हर साल करवा चौथ मनाया जाता है। इस साल ये तिथि 17 अक्टूबर को पड़ रही है। करवा चौथ को कर्क चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन को सुहागिनों के लिए महत्वपूर्ण दिन माना गया है। इस साल करवा चौथ पर अद्भुत संयोग पड़ रहा है।

  • 17 अक्टूबर गुरुवार को महिलाएं सुहाग का व्रत करवा चौथ रखेंगी। यह करवा चौथ सभी व्रतियों के लिए शुभ संयोग लेकर आया है। लेकिन जिन लोगों के लिए पहला करवा चौथ है उनके लिए सोने पर सुहागा वाली बात हो गई है। इस बार चंद्रमा व्रतियों के लिए गुडलक लेकर आ रहे हैं। इसकी खास वजह यह है कि 70 साल बाद करवा चौथ की शाम चंद्रमा शुभ नक्षत्र में उदित होने जा रहा है। यह सभी व्रतियों के लिए अच्छा है लेकिन जिनका पहला करवा चौथ है उनके लिए सौगात की तरह है क्योंकि ऐसा दुर्लभ संयोग पहले व्रत में ही प्राप्त हो गया है। करवा चौथ का व्रत हर वर्ष कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष में चतुर्थी तिथि को किया जाता है। इसे संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं, यानी संकटों को दूर करने वाली चतुर्थी। इस वर्ष करवा चौथ के दिन चांद रोहणी नक्षत्र में उदित होंगे। रोहिणी नक्षत्र चंद्रमा की सबसे प्रिय पत्नी है। इसलिए जब चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में होते हैं तो अत्यंत शुभ फलदायी होते हैं।
  • करवा चौथ के दिन दोपहर 3 बजकर 23 मिनट पर कृतिका नक्षत्र समाप्त हो रहा है और रोहिणी नक्षत्र आरंभ हो रहा है। इन दोनों नक्षत्रों के साथ करवा चौथ का व्रत बहुत ही शुभ फलदायी है। रोहिणी नक्षत्र के साथ चंद्रमा का संयोग होने से नवविवाहितों के दांपत्य जीवन में प्रेम और गृहस्थी के सुख को बढ़ाने में चंद्रमा सहायक होंगे।
  • इस बार करवा चौथ के दिन चंद्रमा वृष राशि में शुक्र के घर में चंद्रमा का होना विवाहित लोगों और प्रेमियों के लिए शुभ फलदायी है। इस दिन व्रत पूजन से रिश्ते में प्रेम और उत्साह में वृद्धि होगी। इस दिन चंद्रमा और मां पार्वती की पूजा से आर्थिक परेशानियों की वजह से परिवार में चल रही परेशानियों से निकलने का रास्ता भी माता दिखाएंगी। सुख समृद्धि का मार्ग खुलेगा। इस बार करवा चौथ के दिन सर्वार्थ सिद्धि नामक शुभ योग सुबह सूर्योदय के समय तक रहेगा। ऐसे में सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान पूजन और व्रत का संकल्प लेना शुभ फलदायी रहेगा।

करवा चौथ का शुभ मुहूर्त :-

  • तिथि: कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी
  • तारीख: 17 अक्टूबर
  • दिन: गुरुवार
  • पूजा मुहूर्त: शाम 5.50 से 07.05 बजे तक
  • पूजा मुहूर्त की कुल अवधि: 01 घंटा 15 मिनट
  • करवा चौथ व्रत समय: सुबह 06.23 बजे से रात 08.16 तक
  • व्रत की कुल अवधि: 13 घंटे 53 मिनट
  • करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का समय: रात 8.16 बजे
  • चतुर्थी तिथि: करवा चौथ के दिन चतुर्थी तिथि की शुरुआत सुबह 06 बजकर 48 मिनट से
  • चतुर्थी तिथि का समापन: 18 अक्टूबर सुबह 07 बजकर 29 मिनट पर

करवा चौथ को देश के अन्य भागों में करक चतुर्थी के नाम से भी पुकारा जाता है। करवा यानि मिट्टी का एक प्रकार का बर्तन होता है जिसके द्वारा चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य से मतलब चंद्रमा को जल देने से है। करवा चौथ की पूजा के दौरान करवा आवश्यक पूजन सामग्री में आता है। जिसे पूजा के बाद किसी ब्राह्मण या योग्य महिला को दान स्वरूप भेंट कर दिया जाता है।

करवाचौथ व्रत की पूजा विधि-

“करवाचौथ” : इस साल करवा चौथ पर पड़ रहा है अद्भुत संयोग, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त व विधि...

“करवाचौथ” : इस साल करवा चौथ पर पड़ रहा है अद्भुत संयोग, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त व विधि…

  • करवाचौथ के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सरगी के रूप में मिला हुआ भोजन करके पानी पी लें। इसके बाद भगवान से इस निर्जला व्रत करने का संकल्प लें।
  • करवाचौथ के व्रत में महिलाएं पूरे दिन जल-अन्न ग्रहण किए बिना चांद देखने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं।
  • पूजा करते समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना कर इसमें करवे रखें।
  • इसके बाद एक थाली में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर रखकर घी का दीपक जलाएं।
  • करवाचौथ के पूजन के दौरान करवा चौथ कथा खुद भी जरूर सुनें और दूसरों को भी सुनाएं।
  • चांद को छलनी से देखने के बाद अर्घ्य देकर चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिए।
  • चांद को देखने के बाद पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोलना चाहिए।
  • इस दिन बहुएं अपनी सास को थाली में मिठाई, फल, मेवे, रूपये आदि देकर उनसे सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद लेती हैं।

 करवाचौथ के दिन भूलकर भी न करें ये काम:-

  • नुकीली चीजों का इस्तेमाल करने से बचें
  • करवा चौथ के दिन व्रत रखने वाली स्त्री को कैंची नहीं चलानी चाहिए। इसके अलावा महिलाओं को कपड़े या सब्जी भी काटने से बचना चाहिए।
  • व्रत रखने वाली महिलाओं को सुई-धागे और कढ़ाई, सिलाई या बटन टाकने के काम को करने से भी परहेज करना चाहिए।

 

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