जल संरक्षण को एक जन आंदोलन बनाने की जरूरत: डॉ. कौशल, मानपुरा में किसान मेले में 600 से अधिक किसान हुए शामिल

किसान मेले में 600 से अधिक किसान हुए शामिल

किसान मेले में 600 से अधिक किसान हुए शामिल

सोलन : जल संरक्षण के मुद्दे पर शीघ्र ही ध्यान देने और इसे एक जन आंदोलन बनाने के प्रयासों की तत्काल आवश्यकता है ताकि वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए पर्याप्त पानी का संरक्षण किया जा सके। ये विचार कृषि विज्ञान केंद्र, सोलन और डॉ. वाईएस परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी द्वारा मानपुरा में आयोजित किसान मेले के दौरान विशेषज्ञों ने व्यक्त किए। जल संरक्षण और पानी के विवेकपूर्ण उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए केंद्र सरकार के जल शक्ति अभियान के तहत इस कार्यक्रम को आयोजित किया गया था।

इस अवसर पर नौणी विवि के कुलपति डॉ परविंदर कौशल मुख्य अतिथि रहे। विश्वविद्यालय के निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ. राकेश गुप्ता, जल शक्ति अभियान की केंद्रीय प्रेक्षक सौम्या झा, बीडीओ नालागढ़, जो नालागढ़ में जल शक्ति अभियान के नोडल अधिकारी हैं और विभिन्न पंचायत प्रतिनिधियों समेत 600 से अधिक किसानों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। स्थानीय प्रशाशन, बागवानी और कृषि विभागों के अधिकारियों के अलावा, एसीएफ नालागढ़, केवीके सोलन और विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के वैज्ञानिक भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

इस अवसर पर डॉ. कौशल ने कहा कि नालागढ़ जल शक्ति अभियान के तहत उन चयनित तनाव वाले ब्लॉकों में से एक हैं, जहां जल संसाधनों पर दबाव है। पानी के गंभीर संकट से जूझ रहे देशों और शहरों का उदाहरण देते हुए उन्होनें कहा कि स्थिति की गंभीरता को समझना और उसके शमन की दिशा में काम करना समय की मांग है।

प्रति बूंद-अधिक फसल के सिद्धांथ पर बात करते हुए विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने किसानों से कम पानी में अधिक उत्पादन के लिए आधुनिक सटीक कृषि तकनीकों को अपनाने का आग्रह किया। जल शक्ति अभियान के पांच पहलुओं- जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन, पारंपरिक और अन्य जल स्त्रोत का नवीकरण, पानी का पुन: उपयोग और संरचनाओं के पुनर्भरण, जल विकास और गहन वनीकरण के बारे में विस्तार से इस आयोजन में बताया गया।

डॉ. कौशल के अनुसार हर व्यक्ति, बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक को जल संरक्षण की इस पहल में सक्रिय योगदान देना होगा। उन्होंने इस मुद्दे पर महिलाओं को शिक्षित करने पर विशेष ज़ोर दिया। उनके अनुसार महिलाएं परिवारों को शिक्षित करने और इस गंभीर मुद्दे के बारे में जागरूकता पैदा करने में मदद कर सकती हैं, जिसके लिए सभी का समर्थन आवश्यक है। डॉ. कौशल ने महिला प्रतिभागियों से स्वयं सहायता समूह बनाने का भी आग्रह किया, जिन्हें विश्वविद्यालय द्वारा जल संरक्षण में प्रशिक्षण प्रदान किया जा सके।

प्रतिभागियों को जल संरक्षण के लिए कृषि और बागवानी विभाग की विभिन्न योजनाओं, प्राकृतिक कृषि, सटीक सिंचाई और जल संरक्षण के लिए रणनीतियों और तरीकों पर कई तकनीकी व्याख्यान आयोजित किए गए। फलों, सब्जियों और फूलों, मिट्टी और जल संरक्षण, खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी, वन उत्पादों, कीट और पादप रोग विज्ञान पर प्रदर्शनी भी लगाई गई। इस आयोजन में एक किसान वैज्ञानिक परिचर्चा भी आयोजित की गई, जहाँ वैज्ञानिकों ने किसानों की समस्याओं का समाधान किया गया। केवीके और विश्वविद्यालय बुधवार को रामशहर में टमाटर दिवस और किसान वैज्ञानिक परिचर्चा आयोजित करेंगे।

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