- जो चैन–अमन के नाम पर हमारे साथ धोखे से चोट कर रहे हैं उन्हें सबक सिखाना होगा
- पूरा देश शहीद हुए हर जवान के परिवार के साथ गहरी संवेदना लिए खड़ा
पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर आतंकी हमले से पूरा देश स्तब्ध, दुःखी और आहत है। देश के हर नागरिक में भारी आक्रोश है। अब सुरक्षाबलों को जो छूट दी गई है ये काफी पहले ही दे दी जानी चाहिए थी। अब इन्तजार का वक्त नहीं सबक सिखाने का वक्त है।
- अब फैसला लेने की घड़ी है…
देश एक है। इस वक्त राजनीतिक तौर पर किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं होनी चाहिए। इस वक्त सबको एकजुटता के साथ देश के हर जवान के साथ खड़े होने की आवश्यकता है। अब फैसला लेने की घड़ी है। पहले जो देश के भीतर देश की जड़ों को खोखला करने में लगे हैं उन्हें चुन-चुनकर मारना होगा। जो चैन-अमन के नाम पर हमारे साथ धोखे से चोट कर रहे हैं उन्हें सबक सिखाना होगा।
- सबसे पहले आंतकियों को पनाह देने वालों का हो सफाया
आंतकियों को पनाह देने वालों का पहले सफाया होना चाहिए। उसके बाद एक-एक का आतंकी खात्मा। हमारे देश के 44 जवान शहीद हुए हैं। ये शहादत सिर्फ कड़ी निंदा, आक्रोश और जुबानी कार्यवाही तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। 44 शहीदों के ताबूत को उठाने की किसी में ताकत नहीं। देश की सुरक्षा के लिए शहीद हुए जवान के ताबूत को देखकर आज हर देशवासी भारी पीड़ा से गुजर रहा है। वहीं इन शहीदों के परिवारों पर क्या गुजर रही है यह सोचकर ही दिल सिहर उठता है। बहुत ही दुःखद, पीड़ाजनक और रोष भरा पल है उनके लिए।
- देश के गद्दारों को बख्शा नहीं जाना चाहिए
- पूरा देश कर रहा पुलवामा हमले में घायल हुए वीर सैनिकों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना
देश भर के अधिकतर लोगों का कहना है कि आज किसी प्रकार की राजनैतिक तौर पर टिप्पणी, निंदा या सवाल जवाब नहीं होने चाहिए। बल्कि घर में रहकर ही घर को आग लगाने वाले लोगों को मार देना चाहिए जो घरों में छुपकर इन आंतकियों को पनाह दे रहे हैं। आज पूरा देश शहीद हुए हर जवान के परिवार के साथ गहरी संवेदना लिए साथ खड़ा है। लेकिन देश के गद्दारों को बख्शा नहीं जाना चाहिए। अब आतंकवाद को देश से मिटाने के लिए देश को एकजुटता के साथ कदम उठाने की आवश्यकता है। आज सोशल मीडिया और लोगों का सड़कों पर उतरकर आक्रोश साफ नज़र आ रहा है। पूरे देश की पीड़ित परिवारों के प्रति गहरी संवेदनाएं हैं तो वहीं सभी लोग घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं।
- “मेरी कलम से शहीदों को शत-शत नमन”…..चंद शब्द श्रद्धांजलि स्वरूप उन शहीदों के लिए मेरी ओर से है जो इस वतन के लिए शहीद हुए हैं…
“शहीद जवान जब तिरंगे में लिपटा अपने घर के आँगन पहुंचा, ताबूत में सोये बेटे से मां दरवाजे की दहलीज़ लांघकर बेसुध
होते-होते बोली; मेरे लाल तू बिना बताए ऐसे कैसे घर पहुंचा”।
“पिता रोकर बोले: बेटा मुझे काँधा देना था तुझको, तू मुझ बूढ़े पिता का काँधा लेने ऐसे कैसे घर पहुंचा”।
“बहन रोती बिलखती भाई का जला हाथ देखकर चीखते हुए बोली; देखो मेरा भाई देश के लिए आज शहीद हो गया, नन्हीं बेटी पापा की जो कबसे खामोश खड़ी थी, ताबूत में सोए पापा से बोली…उठो पापा तुमको मुझसे प्यारा कैसे कोई और हो गया”।
“शहीद की पत्नी होश में जब घण्टों बाद आई तो रोते-रोते बोली; देश का सब कर्ज तुम तो चुका गए, पर घर के सारे फर्ज कैसे तुम भूला गए”।
“भाई अपने शहीद भाई से रोते-रोते बोला; तू छोटा होकर भी मेरे भाई बड़ा हो गया, पूरा देश देख आज तेरे साथ हो गया”।
“मासूम बेटे से जब शहीद पिता की चिता को आग दिलाई, नन्हा बोला मेरे पापा को क्यों मुझसे जला रहे हो, … मेरे पापा को क्यों जला रहे हो”।
“शहीद की अंतिम विदाई पर साथी सैल्यूट देते बोले; व्यर्थ नहीं जाएगी मेरे दोस्त तेरी ये शहादत, जब तक हम जिंदा हैं करेंगे देश की हिफाज़त”।
- जय हिंद, जय भारत