मैं जिदंगी का साथ निभाता चला गया".......

“मैं जिदंगी का साथ निभाता चला गया”…….

  •  काला कोट पहनने पर प्रतिबंध

अभिनय का वो जुदा अंदाज़, गर्दन की वो ऐंठन, काली पैंट-शर्ट का उनका लिबास…ये कहावत बेहद मशहूर थी कि जब

देव आनंद को काला कोट पहनने पर प्रतिबंध

देव आनंद को काला कोट पहनने पर प्रतिबंध

जवानी में देव आनंद काली शर्ट-पैंट पहनकर बाहर निकलते थे तो लड़कियां बेहोश हो जाती थीं। ‘मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया, हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाता चला गया’…ये एक गाना ही नहीं था, ऐसा लगता है उनकी ज़िंदगी का फ़लसफ़ा था।

देव आंनद ने अपने प्यार का इजहार खुलकर किया। देव आंनद ने हमेशा ही कहा था कि उनका पहला प्यार सुरैया थी। देव आंनद ने भले ही पर्दे पर हजारों हसीनाओं से प्यार किया था पर असल जिन्दगी में देव आंनद का पहला प्यार सुरैया थीं। सह कलाकार सुरैया से प्रेम की बात देव आनंद ने अपनी आत्मकथा रोमांसिंग विद लाइफ में स्वीकार की है। इसमें उन्होंने सुरैया के बारे में खास तौर पर जिक्र किया है। देव आनंद ने कहा हां ‘मैं सुरैया को चाहता था’। मुझे यह तथ्य स्वीकार करने में कोई झिझक नहीं है। देव आंनद भले ही अपने प्यार सुरैया के साथ शादी नहीं कर सके लेकिन हमेशा अपने दिल में सुरैया के लिए प्यार रखा था। देव आंनद कहते हैं कि पहले प्यार का अहसास ही अलग होता है।

यह बात किसी से छुपी नहीं की झुक-झुक कर संवाद अदायगी का खास अंदाज हो, या फिर फीमेल फैन्स की बात…देव आनंद अपने समकालीन एक्टरों से हमेशा अलग थे। बॉलीवुड में कितने ही हीरो आए और चले गए, लेकिन ऐसे कुछेक ही हैं जिनके किस्सों का जिक्र किए बिना हिंदी फिल्मों का इतिहास अधूरा रह जाएगा। देव आनंद भी ऐसे ही सितारों में से एक थे। अपने दौर में रूमानियत और फैशन आइकन रहे देव आनंद को लेकर यूं तो कई किस्से मशहूर हैं, लेकिन इन सबसे खास उनके काले कोट पहनने से जुड़े किस्से हैं। देव आनंद ने एक दौर में व्हाइट शर्ट और ब्लैक कोट को इतना पॉपुलर कर दिया था कि लोग उन्हें कॉपी करने लगे। फिर एक दौर वह भी आया जब देव आनंद पर सार्वजनिक स्थानों पर काला कोट पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

  • देव आंनद का प्रेम

  • देव आंनद की प्रेम कहानी का एक दिलचस्प किस्सा है कि एक बार झील में एक गीत की शूटिंग चल रही थी। देव आंनद और सुरैया एक नाव पर बैठे थे। अचानक सुरैया फिसल गईं और पानी में जा गिरीं। देव आंनद तुरंत पानी में कूद गए और सुरैया को डूबने से बचा लिया। देव आनंद के अनुसार पहला प्यार एक खूबसूरत अहसास होता है।

देव आनंद और सुरैया की मोहब्बत किसी फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं है। दोनों में प्यार तो हुआ लेकिन हिंदू-मुस्लिम की दीवार के कारण दोनों की मोहब्बत को मंजिल नहीं मिल पाई। प्यार को घर वालों की रजा की मुहर नहीं मिली और एक फिल्मी अंदाज में दोनों अलग हो गए। जीत फिल्म के सेट पर देव आनंद ने सुरैया से अपने प्यार का इजहार किया और सुरैया को तीन हजार रुपयों की हीरे की अंगूठी दी।

सुरैया की नानी को ये रिश्ता नामंजूर था। वो एक हिंदू-मुस्लिम शादी के पक्ष में नहीं थीं। कहा जाता है कि उनकी नानी को

देव आनंद और सुरैया की मोहब्बत किसी फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं

देव आनंद और सुरैया की मोहब्बत किसी फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं थी

फिल्म में देव आनंद के साथ दिए जाने वाले रोमांटिक दृश्यों से भी आपत्ति थी। वो दोनों की मोहब्बत का खुलकर विरोध करती थीं। यही नहीं बाद में उन्होंने देव आनंद का सुरैया से फोन पर बात करना भी बंद करवा दिया था। उन्होंने देव आनंद को सुरैया से दूर रहने की हिदायत दी और पुलिस में शिकायत दर्ज करने की धमकी तक दे डाली।

नतीजतन दोनों ने अलग होने का फैसला किया। इसके बाद दोनों ने एक भी फिल्मों में साथ काम नहीं किया और ताउम्र सुरैया ने किसी से शादी नहीं की। बड़े पर्दे पर दोनों की आखिरी फिल्म ‘दो सितारे’ थी। कहा जाता है कि दोनों के अलग होने के फैसले के बाद सुरैया ने देव आनंद की दी हुई अंगूठी को समुद्र के किनारे बैठकर समुद्र में फेंक दिया। जीनत पर भी कभी देवानंद का दिल आया था। लेकिन यह प्यार एक तरफा निकला जिसकी वजह से देवानंद का दिल टूट गया।

  • लंदन से एक बुरी खबर आई… देव साहब अब इस दुनिया में नहीं रहे..

दिसंबर 2011 को अचानक लंदन से एक बुरी खबर आई, खबर थी कि काफी समय से बीमार चल रहे देव साहब अब इस दुनिया में नहीं रहे। दिल का दौरा पड़ने के बाद देव आनंद का लंदन में निधन हो गया. 1946 से लगातार 2011 तक बालीवुड में सक्रिय रहने के बाद बालीवुड के इस अभिनेता ने जब दुनिया को आखिरी सलाम किया तो पूरे बॉलीवुड ने शोक जताया।

ताउम्र जिंदगी का जश्न मनाने वाले सदाबहार अभिनेता देव आनंद सही मायने में एक अभिनेता थे जिन्होंने अंतिम सांस तक अपने काम से मुंह नहीं फेरा। देव साहब के अभिनय और जिंदादिली का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब राज कपूर और दिलीप कुमार जैसे कलाकारों ने फिल्मों में नायक की भूमिकाएं करना छोड़ दिया था उस समय भी देव आनंद के दिल में रूमानियत का तूफान हिलोरे ले रहा था। देव साहब की तस्वीर आज भी लोगों के जेहन में एक ऐसे शख्स की है जिसका पैमाना न केवल जिंदगी की रूमानियत से लबरेज था बल्कि जिसकी मौजूदगी आसपास के माहौल को भी नई ताजगी से भर देती थी।

देव आनंद की रोचक बातें

  • देव आनंद ने राज कपूर के साथ कोई फिल्म नहीं की है।

  • जेमिनी की फिल्म इंसानियत में देव आनंद सिर्फ एक बार दिलीप कुमार के साथ आए हैं।

  • देव आनंद की दोस्ती दिलीप कुमार के छोटे भाई नासिर खान से थी। वे दिलीप साहब को अपने दोस्त का बड़ा भाई मानकर आदर देते थे।

  • किशोर कुमार की आवाज के जादू से तीन अभिनेता शिखर पर पहुँचे, उनमें देव आनंद प्रथम हैं। दूसरे हैं राजेश खन्ना और तीसरे अमिताभ बच्चन।

  • 1947 में देव आनंद चर्चगेट पर लोकल ट्रेन में बैठे थे। इतने में शाहिद लतीफ और इस्मत चुगताई पास आकर बैठे। पूछा – इन दिनों क्या कर रहे हो? देव ने जवाब दिया – कुछ खास नहीं। दूसरे दिन उन्हें बॉम्बे टॉकीज बुलाया गया। अशोक कुमार ने उन्हें फिल्म जिद्दी में कामिनी कौशल का हीरो बना दिया।

  • फिल्म आनंदमें  देव आनंद ने अपने बेटे सुनील आनंद को लांच किया, मगर वह सफल नहीं हो सका। सन् 2002 में सुनील ने मास्टरजी नाम से फिल्म निर्देशित की थी।

  • देव आनंद कभी पार्टी नहीं देते थे और दूसरों की पार्टियों में भी प्राय: नहीं जाते थे।

  • शादी के बाद से कल्पना कार्तिक ने फिल्म लाइन छोड़ दी। उन्हें कभी किसी सार्वजनिक स्थान पर भी नहीं देखा गया।

  • छोटे भाई विजय आनंद ने देव आनंद पर आधारित फिल्म जाना न दिल से दूरबनाई थी, लेकिन वे उसे प्रदर्शित नहीं करना चाहते थे।

 

 

 

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