- राज्य सरकार शिमला शहर की जल समस्या के स्थाई समाधान के लिए कृतसंकल्प
- प्रदेश सरकार शिमला शहर के लिए कोलडैम से पानी लाने की संभावनाओं पर भी कर रही कार्य
शिमला : सरकार ने शिमला शहर के लिए चाबा से एक वर्ष के भीतर 10 एम.एल.डी. जलापूर्ति का लक्ष्य रखा है, जिस पर 80 करोड़ रुपये व्यय होंगे। यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने पत्रकारों से अनौपचारिक वार्तालाप के दौरान कही। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शिमला शहर की जल समस्या के स्थाई समाधान के लिए कृतसंकल्प है। उन्होंने कहा कि ऐसी दीर्घकालीन योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है जो अगले 50 से 60 वर्षां तक शिमला शहर में पेयजल सुविधा प्रदान करेगी।
उन्होंने कहा कि इस विषय को लेकर गत दिनों नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिले थे तथा उन्हें शिमला के लिए पेयजल योजना के बारे में एक प्रस्ताव सौंपा था और उनके अनुरोध पर ही प्रधानमंत्री ने केन्द्रीय जल आयोग के एक दल को शिमला भेजा है। इसके अतिरिक्त उन्होंने केन्द्रीय शहरी एवं नगर नियोजन विभाग के मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मिलकर शिमला शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए 200 करोड़ रुपये स्वीकृत करने की मांग भी की है।
उन्होंने कहा कि शिमला शहर के लिए 4700 करोड़ रुपये की जल संग्रहण योजना केन्द्र सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा गया हैं, जिसके अंतर्गत भू-जल के स्तर को बढ़ाने तथा जल स्रोतों के रख-रखाव का कार्य किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार अपनी निधि से भी कुछ जल स्रोतों पर कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार कोलडैम से शिमला शहर के लिए जल लाने के कार्य को जल्द से जल्द से करने की संभावनाओं पर भी कार्य कर रही है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि शिमला शहर के निवासियों को कई दिन जल की कमी से जूझना पड़ा, जिसका मुख्य कारण सर्दियों में वर्षा एवं बर्फबारी का कम होना है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में भी प्रदेश सरकार ने जलापूर्ति को सामान्य बनाने के लिए विशेष प्रबन्ध किए तथा स्थिति को जल्द से जल्द सामान्य बनाया गया। एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने राज्य के विभाग आबकारी राजस्व को 160 करोड़ रुपये की हानि के दृष्टिगत जांच करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि शिमला शहर मई और जून के महीनों में इस स्थिति से पिछले कई वर्षों से जूझ रहा है परन्तु पिछली सरकार ने इस समस्या के समाधान को कोई प्रयास नहीं किया। कुछ लोगों ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश की जो दुर्भाग्यपूर्ण है तथा उन्हें याद रखना चाहिए कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 34 एम.एल.डी. जल उपलब्ध था, उस समय भी शिमला शहर को जल संकट से जूझना पड़ा था। उन्होंने कहा कि इस वर्ष जल संकट इसलिए पैदा हुआ कि 22 एम.एल.डी. से भी कम जल उपलब्ध था, परन्तु ऐसा पहली बार हुआ जब इतने गंभीर प्रयास किए गए और बहुत कम समय में जलापूर्ति को सामान्य बनाया गया।