मुख्यमंत्री ने किया शिमला शहर के पहले सौर ऊर्जा संयंत्र का शुभारम्भ, राज्य पर्यावरण विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग ने निभाई अग्रणी भूमिका

मुख्यमंत्री ने किया शिमला शहर के पहले सौर ऊर्जा संयंत्र का शुभारम्भ

  • राज्य पर्यावरण विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग ने निभाई अग्रणी भूमिका :सीएम
  • सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने से न केवल ऊर्जा बचत होगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मिलेगी मदद : सीएम
  • कहा, सरकार इस तरह के ऊर्जा संयंत्रों को न केवल सरकारी प्रतिष्ठानों में बल्कि निजी आवासों में भी स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करेगी
  • सौर ऊर्जा पर्यावरण मित्र होने के साथ-साथ कम लागत पर उपलब्ध
  • सौर ऊर्जा संयंत्र से मुख्य ग्रिड को फीड किया जाएगा जिससे बिजली की खपत भी होगी कम

शिमला : मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज यहां शिमला शहर के ग्रिड से जुड़े पहले 35 किलोवाट के सौर ऊर्जा संयंत्र का शुभारम्भ किया। यह सयंत्र पर्यावरण विज्ञान और प्रौद्यागिकी विभाग के भवन की छत पर स्थापित किया गया है। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि सौर ऊर्जा पर्यावरण मित्र होने के साथ-साथ कम लागत पर उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार इस तरह के ऊर्जा संयंत्रों को न केवल सरकारी प्रतिष्ठानों में बल्कि निजी आवासों में भी स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य पर्यावरण विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभाई है और अन्य विभागों को भी इस कार्य के लिए आगे आना चाहिए। इस अवसर पर पर्यावरण विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक डी.सी. राणा, संयुक्त सदस्य सचिव कुनाल सत्यार्थी व विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकी के तहत कार्यालय परिसरों में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने से न केवल ऊर्जा बचत होगी बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी। जय राम ठाकुर ने कहा कि यह संयंत्र चार-पांच वर्षों के भीतर इसकी स्थापना और इस पर किए गए दूसरे व्ययों की पूर्ति कर लेगा, तदोपरान्त राज्य को राजस्व की भी बचत होगी। उन्होंने कहा कि यदि सभी सौर ऊर्जा आधारित प्रौद्यागिकी को अपनाते हैं तो ऊर्जा की बचत में योगदान के साथ-साथ पूरी दुनियां की ऊर्जा की मांग को पूरा करने में भी योगदान दे सकते हैं। मुख्यमंत्री को बताया गया कि इस सौर ऊर्जा संयंत्र से मुख्य ग्रिड को फीड किया जाएगा जिससे बिजली की खपत भी कम हो जाएगी।

अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री की प्रधान सचिव मनीषा नन्दा ने कहा कि यह संयंत्र 19.23 लाख रुपये की लागत से स्थापित किया गया है और अनुमान के मुताबिक अगले 25 वर्षों में इससे 97 लाख रुपये की बचत करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण विज्ञान और प्रौद्योगिकी भवन की छत पर प्रत्येक 1315 वाट क्षमता के 112 सौर पैनल लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य बिजली बोर्ड द्वारा कार्यालय परिसर में मुख्य बिजली ग्रिड तथा सौर संयंत्र से ऊर्जा प्रवाह और बहिर्वाह सुनिश्चित करने के लिए दो दिशात्मक मीटर लगाए हैं।

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