गले, नाक व कान में होने वाली बीमारियों की समस्या को हल्के न लें : डा. रविंद्र मिन्हास

गले, नाक व कान में होने वाली बीमारियों को हल्के में न लें : डॉ. रविंद्र मिन्हास

कान, नाक और गला ये सिर से जुड़े हुए तीन मुख्य अंग

कान, नाक और गला ये सिर से जुड़े हुए तीन मुख्य अंग

कान, नाक और गला ये सिर से जुड़े हुए तीन मुख्य अंग है। जिनका आपस में भीतरी तौर पर भी संबंध है। तीनों के रोग एवं उपचार के लिए एक ही चिकित्सक होता है। हालांकि इनसे जुड़ी समस्या आम समझी जाती है, लेकिन यह आम समस्या भी कभी-कभी गंभीर और खतरनाक बीमारियों को जन्म दे देती है। इसलिए आवश्यक है कि समय रहते इन बीमारियों को अनदेखा न किया जाए।  नाक, कान और गले के संक्रमण का अगर शुरूआत में ईलाज नहीं हो पाया तो यह गंभीर बीमारी बन जाती है और इन तीनों से संबंधित अगर कोई भी समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर सही इलाज करवाएं। हालांकि गले, नाक और कान में होने वाली बीमारियों की समस्या का कारण संक्रमण भी हो सकता है। फिर चाहे वह बच्चा हो या बड़ा। अपने हेल्थ कॉलम में हम आपको इस बार ईएनटी से संबंधित जानकारी देने जा रहे हैं। पेश है आईजीएमसी एवं चिकित्सालय के ईएनटी विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. रविंद्र मिन्हास से मीना कौंडल की इस पर विस्तृत जानकारी:-

प्रश्र : संक्रमण होने के क्या कारण हैं और इसके क्या-क्या लक्षण हैं?

उत्तर : संक्रमण की शुरूआत जुकाम से होती है। इसलिए जुकाम को शुरूआती स्तर पर ही पहचान लेना आवश्यक है। ईएनटी (ईयर, नोज एंड थ्रोट) का संक्रमण किसी को भी हो सकता है। फिर चाहे वह बच्‍चा हो या बड़ा। आमतौर पर इस संक्रमण के लक्षण शुरू में ही दिखाई देते हैं। इस बीमारी के कुछ लक्षण हैं – गले में दर्द के साथ नाक से गाढ़ा बलगम निकलना, नाक बहना, सिरदर्द, बुखार और कुछ भी निगलने में परेशानी, कान में इंफेक्‍शन होने से हमेशा तरल पदार्थ बाहर निकलता रहता है। सुनने में परेशानी होती है और संक्रमण की वजह से दर्द और सूजन भी हो जाती है।

प्रश्न : संक्रमण से बचने के क्या उपाय हैं?

संक्रमण की शुरूआत जुकाम से होती है। इसलिए जुकाम को शुरूआती स्‍तर पर ही पहचान लेना चाहिए। इससे बचने के लिए जुकाम की शुरुआत में ही भाप लीजिए। जिससे संक्रमण नहीं होगा और संक्रमित बलगम बाहर निकल जाएगा। अगर गले में खराश हो तो हल्‍के गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारा (गार्गल) करने चाहिए। इससे खराश में फायदा होता है। साथ ही गले का संक्रमण नहीं होगा। दिन में कम से कम तीन से चार बार गरारा (गार्गल) करना चाहिए। गरारा करने से रक्‍त संचार भी अच्‍छा होता है।

अगर आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है तो लोगों के संपर्क में आने से बचने की कोशिश करें। भीड़-भाड़ वाले इलाके में जाने से परहेज करना चाहिए जिससे आपको संक्रमण न हो। मादक पदार्थों का सेवन करने से बचें। धूम्रपान और शराब पीने से साइनस का संक्रमण बढ़ जाता है। फलों और सब्जियों का ज्‍यादा मात्रा में सेवन करें और डेयरी उत्‍पाद का सेवन कम करें।

प्रश्न : अगर फिर भी फायदा न हो तो क्या करना चहिये?

उत्तर : नाक, कान और गले के संक्रमण का अगर शुरुआत में इलाज नहीं हो पाया तो यह गंभीर बीमारी बन जाता है। इ‍सलिए अगर आपको ईएनटी के संक्रमण होने का अंदेशा हो तो चिकित्‍सक से अवश्‍य सलाह लें। नाक, कान और गले में होने वाली ज्यादातर बीमारी खुद की लापरवाही की वजह से होती है। क्षणिक सुख के लिए लोग नाक, कान और गले के प्रति लापरवाही बरतते हैं जिसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। ऐसे में काफी सावधानी के साथ नाक और कान की सफाई करनी चाहिए। साथ ही गले में किसी तरह की कोई समस्या न हो, इसके लिए खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

प्रश्न : साइनस क्या है? इसके लक्षण और उपचार के बारे में विस्तार से बताएं?

उत्तर : आजकल की अनियमित जीवनशैली में लोग अपनी सेहत का सही प्रकार से ख्याल नहीं रख पाते। जिसके कारण उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिससे अधिकतर लोग परेशान रहते हैं। जो आम सर्दी के रूप में शुरू होती है और फिर एक बैक्टीरियल, वायरल या फंगल संक्रमण के साथ बढ़ जाती है। साइनस नाक में होने वाला एक रोग है। इस रोग में नाक की हड्डी भी बढ़ जाती है या तिरछी हो जाती है। जिसकी वजह से सांस लेने में परेशानी होती है। जो व्यक्ति इस रोग से ग्रसित होता है उसे ठण्डी हवा, धूल, धुआं आदि में परेशानी महसूस होती है।

साइनस मानव शरीर की खोपड़ी में हवा भरी हुई कैविटी होती है, जो हमारे सिर को हल्कापन व श्वास वाली हवा लाने में मदद करती है। श्वास लेने में अंदर आने वाली हवा इस थैली से होकर फेफड़ों तक जाती है। इस थैली में हवा के साथ आई गंदगी यानि धूल और दूसरी तरह की गंदगियों को रोकती है। जब व्यकित के साइनस का मार्ग रूक जाता है, तो बलगम निकलने का मार्ग भी रूक जाता है। जिससे साइनोसाइटिस नामक बीमारी होती है। साइनस के संक्रमण होने पर इसकी झिल्ली में सूजन आ जाती है। जिसके कारण झिल्ली में जो हवा भरी होती है उसमें मवाद या बलगम आदि भर जाता है। जिससे व्यक्ति के साइनस बंद हो जाते हैं और मरीज को परेशानी होने लगती है।

प्रश्न : साइनस का मुख्य कारण क्या है?

उत्तर : इस बीमारी का मुख्य कारण झिल्ली में सूजन का आ जाना, साथ ही यह सूजन भी निम्न कारणों से आ सकती है बैक्टीरिया, फंगल संक्रमण  या फिर नाक की हड्डी का टेढ़ा होना। उन्होंने बताया कि आप इस बीमारी को आसानी से पहचान सकते हैं, सिर का दर्द होना, बुखार रहना, नाक से कफ निकलना और बहना,  खांसी या कफ जमना, दांत में दर्द रहना, नाक से सफेद हरा या फिर पीला कफ निकलना। चेहरे पर सूजन का आ जाना, कोई गंध न आना। साइनस की जगह दबाने पर दर्द का होना आदि इसके लक्षण हैं। आम तौर पर ये गंभीर बीमारी नहीं है लेकिन समय रहते इसका इलाज नहीं कराया गया तो मरीज को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

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