- प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद की पक्षधर है और युवा विरोधी
- चार वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रदेश के युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने में सरकार नाकाम
शिमला : नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने सरकारी क्षेत्र में नौकरियों के एलान को मात्र चुनावी घोषणाएं करार दिया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों के दौरान किए गए बेरोजगारी भत्ते के वायदे की तरह यह भी केवल झूठे वायदे हैं। जो आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर युवाओं को गुमराह करने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं। अगर प्रदेश सरकार रोजगार देने के प्रति गंभीर होती, तो वह इसके लिए पहले बजट का प्रावधान करती इसके बाद ही इस तरह की घोषणाएं करती तो निश्चित रूप से जनता का विश्वास कांग्रेस सरकार के प्रति बढ़ता। प्रो. धूमल ने कहा कि प्रदेश सरकार के बेतहाशा और बेतरतीब खर्चों से प्रदेश के ऊपर ऋणों को बोझ बढ़ता जा रहा है। आर्थिक कंगाली की ओर बढ़ती प्रदेश सरकार के पास कर्मचारियों और पेंशनरों को समय पर वेतन, पेंशन और भत्ते देने के लिए पैसे नहीं है। वहीं लोकलुभावन राजनीति के लिए शिक्षण संस्थानों को खोलने की घोषणाएं तो की जा रही है पर आर्थिक संसाधनों में वृद्धि न हो पाने की वजह से कहीं विद्यार्थी, तो कहीं अध्यापक नहीं है। और अगर कहीं दोनों है तो संस्थागत ढांचे का अभाव है।
प्रो. धूमल ने कहा कि सरकार ने युवाओं के विश्वास को तोड़ा है। बेरोजगारी भत्ते के वायदों को लेकर उन्होंने अपनी सरकार बनाई है। चार वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रदेश के एक भी युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने में सरकार नाकाम रही हैं। तृतीय श्रेणी व श्रेणी चार की भर्तियों में साक्षात्कार खत्म करने के केंद्र सरकार के निर्णय को प्रदेश में लागू न करके प्रदेश सरकार ने साबित कर दिया है कि वह भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद की पक्षधर है और युवा विरोधी हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश सरकार चंद दिनों की मेहमान है। ऐसे में हड़बड़ी में आकर वह ऐसे निर्णय लेने का प्रयास कर रही हैं। इसके बारे में वह स्वयं भी जानती है कि बिना बजटीय प्रावधान के ऐसे निर्णयों को धरातल पर उतार पाना संभव नहीं है।