भारत-पाक सीमा दिसंबर 2018 तक पूरी तरह होगी सील, बोले राजनाथ- देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं

  • गृहमंत्री ने जैसलमेर में भारत-पाक सीमा को सील करने के लिए बुलाई बैठक
  • राजनाथ सिंह ने सीमा संरचना परियोजनाओं के शीघ्र कार्यान्वयन की जरूरत पर दिया बल

नई दिल्ली: केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि वर्ष 2018 तक भारत पाक सीमा को सील कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश पर किसी तरह की आंच नहीं आने दी जाएगी। उरी हमले और उसके बाद भारतीय सेना के लक्षित हमले के बाद पाकिस्तान के साथ जारी तनाव के बीच आज यहां पहुंचकर अन्तरराष्ट्रीय सीमावर्ती राजस्थान, पंजाब, जम्मू कश्मीर और गुजरात में ताजा सुरक्षा प्रबंधों की समीक्षा करने के बाद सिंह संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 तक भारत पाक सीमा को पूरी तरह सील कर दिया जाएगा। केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि ‘बार्डर सिक्योरिटी ग्रिड’ बनाया जाएगा और लगातार इसकी निगरानी की जाएगी। केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू के साथ संवाददाताओं से बातचीत करते हुए सिंह ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान के साथ तनाव बढा है। उन्होंने कहा कि देश पर किसी तरह की आंच नहीं आने दी जाएगी। देशवासियों को सेना और जवानों पर विश्वास रखना चाहिए । उन्होंने कहा कि सेना और जवानों पर पूरी तरह से विश्वास और भरोसा है। जिस तरह से किसान अपनी फसल की रखवाली करता है उसी तरह जवान सीमा की रखवाली कर रहा है।

केंद्रीय गृह मंत्री सिंह ने कहा कि गठित किये जाने वाले बार्डर सिक्योरिटी ग्रिड की हर स्तर पर निगरानी होगी और राज्य सरकार को केंद्र सरकार के दिशानिर्देश पर काम करना होगा। उन्होने कहा कि सीमा सुरक्षा बल की सारी जिम्मेदारी केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू को दी गयी है। उन्होने एक सवाल के जवाब में कहा कि वह इतना ही कहना चाहते हैं कि जब देश के सामने बडी चुनौती है तो सभी को एकजुट होकर इसका मुकाबला करना चाहिए, और इसमें कोई दो मत नहीं है कि इस समय भारत-पाक के बीच तनाव बढा है। सेना के जवान और सुरक्षाकर्मी जो कुछ कर रहे है उनके साथ खडे रहना चाहिए तथा उन पर भरोसा और यकीन करना चाहिए। गौर हो कि भारत पाकिस्तान के बीच 3323 किलोमीटर लंबी सीमा में से 1225 किलोमीटर जम्मू कश्मीर में (नियंत्रण रेखा समेत), 553 किलोमीटर पंजाब में, 1037 किलोमीटर राजस्थान में और 508 किलोमीटर गुजरात में पड़ती है।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जैसलमेर, राजस्थान में भारत–पाक सीमा को सील करने के संबंध में आज एक बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में राजस्थान, पंजाब, गुजरात और जम्मू-कश्मीर के मुख्य मंत्रियों/गृह मंत्रियों ने हिस्सा लिय़ा। बैठक का उद्घाटन करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान के साथ लगने वाली अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के लिए सभी राज्य सक्रिय भागीदारी करें। राजनाथ सिंह ने गृह मंत्रालय, सीमा सुरक्षा बल और बैठक में हिस्सा लेने वाले राज्यों से कहा कि वे संरचना परियोजनाओं के शीध्र क्रियान्वयन, कारगर निगरानी, गोपनीय सूचनाओं के आदान-प्रदान और एजेंसियों के बीच सहयोग को बढ़ायें, ताकि देश में मौजूद वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य के अनुरूप काम किया जा सके। उन्होंने बैठक में हिस्सा लेने वाले सभी पक्षों से आग्रह किया कि वे इस संबंध में सुझाव भी दें।

गृह मंत्रालय ने एक प्रस्तुति भी दी और बैठक में मौजूद सभी पक्षों ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और अपने मूल्यवान सुझाव दिये। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पुलिस आधुनिकीकरण, अंदरूनी इलाकों में सुरक्षा और सघन रेगिस्तान में दूर-दूर तक आबादी कम होने के कारण उत्पन्न समस्याओं को उठाया। उन्होंने सुझाव दिया कि मुनाबाओ में एकीकृत चैक पोस्ट बनाई जाये। पंजाब के उप मुख्य मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने राज्य के उन किसानों की समस्या की तरफ ध्यान आकर्षित किया जिनकी जमीनें सीमा के निकट हैं। उन्होंने पाकिस्तान से हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी की समस्या भी उठाई।

गुजरात के गृह राज्य मंत्री प्रदीप सिंह बी जडेजा ने कहा कि कच्छ की रान के जिन दलदली इलाकों में बाढ़ लगानी संभव नही है, वहां सड़क निर्माण को दुरुस्त करने और निगरानी करने के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की जरूरत है। केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सीमा स्थिति के प्रंबंधन पर अपने विचार रखे। बैठक में तय किया गया कि केन्द्र और राज्य सरकारें सीमाओं की कारगर सुरक्षा के लिए जल्द से जल्द सभी समस्याओं को हल कर लेंगे। राजनाथ सिंह ने कहा कि बैठक में हिस्सा लेने वाले सभी पक्षों के सुझाव बहुत उपयोगी हैं और सरकार नीति बनाते समय इनका ध्यान रखेगी। बैठक में राजस्थान के गृह मंत्री गुलाब चन्द कटारिया, केन्द्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि, गृह मंत्रालय में सचिव (सीमा प्रबंधन) सुशील कुमार, सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक के के शर्मा, राज्यों के प्रमुख सचिवों और पुलिस महानिदेशकों तथा गृह मंत्रालय, सीमा सुरक्षा बल और सीपीडब्ल्यूडी के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।

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