- शिमला के पहाड़ों में रक्षा पुण्या, मण्डी में रखड़ी, बिलासपुर में रखडुन्या, सिरमौर में सलोनू यानि “रक्षा बन्धन” की महत्ता
- भादो मास में पडऩे वाली पूर्णमासी को मनाया जाता है रखड़ी या रखडुन्या
- हिमाचल प्रदेश में रक्षा बन्धन के अलग-अलग नाम
हिमाचल प्रदेश में रक्षा बन्धन को अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है। हिन्दी में जिसे राखी, रखड़ी या रक्षा बन्धन कहते हैं वहीं शिमला के पहाड़ों में रक्षा पुण्या, मण्डी में रखड़ी, सिरमौर में सलोनू या सलूना तथा बिलासपुर में राखी से राखिनुआ कहा जाता है। इसका अर्थ है राखी अर्थात धागा और पुण्या अर्थात पूर्ण-चन्द्रमा।
- पुरोहित घर-घर जाकर अपने यजमानों को बांधते हैं राखी
बिलासपुर व मण्डी आदि में रक्षा बन्धन को रखड़ी या रखडुन्या, शिमला में रक्षपुन्या व सिरमौर में सलूनु के नाम से जाना जाता है। यह त्यौहार भादो मास में पडऩे वाली पूर्णमासी को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों को टीका लगाकर राखी बांधती हैं और उसके बदले उन्हें पैसे या कपड़े आदि देते हैं। इस दिन पुरोहित भी घर-घर जाकर अपने यजमानों को राखी बांधते हैं जो रक्षा का प्रतीक मानी जाती हैं।
- उच्च जातियों के लोग इस दिन धारण करते है मन्त्रों से पवित्र किया हुआ नया यज्ञोपवीत
यह पूर्णमासी का त्यौहार है, इस दिन उच्च जातियों के लोग मन्त्रों से पवित्र किया हुआ नया यज्ञोपवीत धारण करते हैं और ब्राह्मण उनकी कलाई पर राखी बांधते हैं जिससे कि उसकी रक्षा हो सके। ब्राह्मणों को भेंट दी जाती है और मित्रों को भोजन पर बुलाया जाता है।
- पूरा महीना बांधकर रखते हैं राखी, सैरी आने पर चढ़ा दी जाती है सैरी माता पर
कुछ इसे परम्परागत भाई-बहनों के त्यौहार के रूप में मनाते हैं। शहरी क्षेत्रों में बहनें भाईयों को राखी बांधती हैं और उनसे सुरक्षा और स्नेह की कामना करती हैं। भाई भी उन्हें मिठाइयां और तोहफे देते हैं। इस दिन बहनें ससुराल से आकर भाई को राखी बांधती हैं और जब तक राखी नहीं बांध देती, भोजन नहीं करतीं। राखी को पूरा महीना बांधकर रखते हैं और सैरी आने पर सैरी माता पर चढ़ा दी जाती हैं।