किसान को फायदा तभी होगा जब उत्पादन बढ़ने के साथ उत्पादन लागत रहे कम

हालांकि, हमारी अधिकांश कृषि प्रकृति पर निर्भर है। कभी बाढ़, कभी सूखा, कभी ओला वृष्टि, तो कभी अन्य आपदा। अपने अन्नदाताओं की इसी परेशानी को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ शुरू की है, ताकि वे खुशहाल हों। सरकार अगले 2-3 वर्षों में 50 फीसदी किसानों को फसल बीमा के दायरे में लाना चाहती है। अभी मात्र 20 फीसदी किसानों को ही फसल बीमा के दायरे में लाया जा सका है। इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि हमारे किसान भाई बीमा की कम प्रीमियम राशि चुकाकर अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। शेष भार सरकार खुद वहन करेगी। यहां तक कि 90 फीसदी से ज्यादा शेष भार होने पर भी सरकार द्वारा ही वहन किया जाएगा। किसानों को रबी फसलों के लिए 1.5 फीसदी और खरीफ के लिए 2 फीसदी की दर से प्रीमियम देना होगा। इतना ही नहीं, बीमा पर भुगतान की सीमा हटा दी गयी है। खेत से लेकर खलिहान तक किसानों को बीमा सुरक्षा दिए जाने का प्रावधान किया गया है।

प्रधानमंत्री जी ने लक्ष्य रखा है कि हमें प्रति बूंद ज्यादा फसल उगानी है। यह तभी संभव होगा जब प्रत्येक खेत को पानी मिले और सिंचाई की व्यवस्था हो। इसके लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू की गयी है, जिसे मिशन मोड में चलाया जा रहा है, ताकि सूखे की समस्या का स्थायी समाधान ढूंढा जा सके। इसके लिए देश के सभी जिलों में जिला सिंचाई योजना तैयार करने के लिए राशि दी गई है।

किसान खेती करता था, लेकिन उसे यह पता नहीं होता था कि उसके खेत में कितनी दवा या उर्वरक देना है। इसके लिए सरकार ने देश में पहली बार सॉयल हेल्थ कार्ड स्कीम की शुरूआत की है। इस स्‍कीम के तहत फसल उत्पादन के लिए उपयुक्त संस्कृति, पोषक तत्वों की मात्रा का प्रयोग करने और मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता में सुधार के लिए देश के सभी 14 करोड़ किसानों को दो वर्ष में सॉयल हेल्थ कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा।

देश में अभी तक यूरिया को लेकर मारामारी रहती थी, लेकिन यह पहला वर्ष है जब यूरिया की कोई कमी नहीं है। हमने अपने किसान भाइयों के लिए नीम लेपित यूरिया की व्यवस्था की। इससे किसानों को 100 किलोग्राम की जगह 90 किलोग्राम यूरिया का ही इस्तेमाल करना होगा, जिससे लागत मूल्य में कमी आने के साथ ही अब यूरिया का गलत उपयोग भी नहीं हो पाएगा। साथ ही सरकार ने पोटाश व डीएपी के दाम भी कम किए हैं। इसके साथ ही मोदी सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना शुरू की है। 2016-17 के बजट में योजना के माध्यम से 3 साल में 5 लाख एकड़ क्षेत्र में जैविक खेती करने का लक्ष्य रखा गया है। सिक्किम पूरी तरह से जैविक खेती करने वाला राज्य बन गया है।

किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य मिले, इसके लिए सरकार ने किसानों के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार शुरू किया है। अब कोई भी व्यक्ति अपने घर के नजदीक स्थित राष्ट्रीय कृषि बाजार केन्द्र में जाकर कम्प्यूटर पर देश भर की मंडियों पर नजर डाल सकता है। 14 अप्रैल, 2016 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंती पर ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का पायलट प्रोजेक्ट लांच कर दिया गया है। आजादी का सपना तब पूरा होगा, जब किसान होंगे खुशहाल और इस समय आठ राज्यों की 23 मंडियों में 11 जिंसों की खरीद-बिक्री शुरू हो रही है। अप्रैल 2016 से सितंबर 2016 के मध्य तक 200 मंडियों को ई-ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर से जोड़ दिया जाएगा। फिर अक्तूबर, 2016 से 31 मार्च 2017 के मध्य तक 200 मंडियों को इसमें शामिल कर लिया जाएगा। मार्च 2018 तक देश की 585 मंडियों को एक-दूसरे से जोड़ दिया जाएगा।

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