शिमला : भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा राष्ट्रीय युवा मोर्चा के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस सरकार द्वारा दर्ज प्राथमिकी रद्द करने के फैसले का स्वागत करते हुए इसे कांग्रेस सरकार की द्वेषपूर्ण नीतियों पर कड़ा तमाचा करार दिया है। अनुराग ठाकुर को बधाई देते हुए उन्होनें कहा कि प्रदेश कांग्रेस सरकार द्वारा दर्ज किए गए झूठे मामलो में एक के बाद एक करके आ रहे न्यायालय के फैसलों ने यह साबित कर दिया है कि सरकार बनने के पश्चात वीरभद्र सरकार ने विपक्षी नेताओं को फंसाने के लिए न केवल न्याय व्यवस्था, पुलिस प्रशासन का दुरूपयोग किया, बल्कि जन-धन व कीमती समय को भी बर्बाद किया। कांग्रेस सरकार को इसके लिए प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि सरकार के बनने के पश्चात वीरभद्र सिंह ने अपने गलत कारनामों पर पर्दा डालने के लिए विपक्षी नेताओं के खिलाफ दुष्प्रचार व झूठे मुकदमो की राजनीति शुरू की। बदले की भावना से ग्रसिस होकर नेता प्रतिपक्ष, सांसद अनुराग ठाकुर, भाजपा नेताओं व अन्य अधिकारियों के खिलाफ पुलिस प्रशासन का दुरूपयोग करके झूठे मुकदमे दर्ज किए, परन्तु सीडी मामले से लेकर एचपीसीए द्वारा अतिक्रमण के मामले तक कोई भी मुकदमा कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतर पाया। इसके विपरीत स्वयं द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के मामले में वीरभद्र सिंह व उनका परिवार न्यायालय के चक्कर काट रहे हैं। उन्होंने जैसी फसल बोई थी वह वैसी ही फसल काट रहे हैं।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा ने इन मुकदमों के दर्ज होने के समय यह कहा था कि यह मामले झूठ और बदले की भावना से ग्रसित होकर दर्ज किए जा रहे हैं। भाजपा का नेतृत्व पूर्ण तथा पाक-साफ है और वह किसी जांच से नहीं डरता है, परन्तु जांच के नाम पर जो हव्वा वीरभद्र सरकार ने खड़ा करने की कोशिश की थी उसका भंडाफोड़ न्यायालय के निर्णय द्वारा हो रहा है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि राजनीतिक द्वेष के चलते वीरभद्र सरकार ने पिछले साढ़े तीन वर्ष विपक्षी नेताओं के खिलाफ गलत बयानबाजी और झूठे मुकदमो में फंसाने में ही लगा दिए। इसकी वजह से वह प्रदेश के विकास की तरफ ध्यान ही नहीं दे पा रहे हैं। भ्रष्टाचार के मुकदमो में उलझे हुए होने की वजह से प्रदेश के सभी विकास कार्य ठप्प पड़ चुके हैं। केन्द्र द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही आर्थिक सहायता का भी प्रदेश के विकास में सही ढंग से प्रयोग नहीं हो पा रहा है। मंत्रियों की नजरें मुख्यमंत्री पद पर हैं और मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी को बचाने की लड़ाई में व्यस्त हैं। इस चक्कर में प्रदेश का विकास और आम आदमी पिस रहा है। सरकार का प्रशासन से नियत्रण पूरी तरह से खत्म हो चुका है और प्रदेश सरकार को माफिया चला रहे हैं। कानून व्यवस्था की इससे बुरी हालत क्या हो सकती है कि महिलायें और बच्चे प्रदेश में सुरिक्षत नहीं है और हर वर्ष अपराधों की संख्या पिछले वर्ष से बढ़ रही है। इसके लिए केवल वीरभद्र सिंह का मुख्यमंत्री पद से चिपके रहना जिम्मेदार है। वह प्रदेश का भला चाहते तो चुपचाप अपने पद से त्याग पत्र दे देते।