- सावन माह में पूजा-अर्चना से भगवान शिव होते हैं जल्दी प्रसन्न
- सावन माह में शिव की आराधना और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये व्रत का विशेष फलदायक
इस बार पवित्र सावन माह में चार सोमवार पड़ रहे हैं। इन चारों दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं। इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से सभी बाधाएं खत्म होंगी। सावन महीने का आरम्भ 25 जुलाई से हो गया है। सावन के पहले सोमवार से ही शिवालयों में विशेष तैयारियां शुरू हो जाती हैं। श्रद्धालु भी इस दिन के व्रत और भगवान शिव की विशेष पूजा के लिए तैयारियों में जुट जाते हैं। पौराणिक शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान शंकर को सावन का महीना बहुत ही प्रिय है। इस माह में वह अपने भक्तों पर अतिशय कृपा बरसाते हैं। इस पवित्र माह में भी सोमवार का विशेष महत्व होता है।
सावन के हर सोमवार व्रत का अपना विशेष महत्व : आचार्य महेंद्र कृष्ण शर्मा
आचार्य महेंद्र कृष्ण शर्मा बताते हैं कि 50 वर्ष बाद सावन में ऐसा योग बन रहा है, जिसमें रोजगार में तरक्की, आय और ज्ञान में वृद्धि और कृषि के क्षेत्र में उन्नति की संभावनाएं प्रबल हैं। इसी के साथ बीमारियों से छुटकारा दिलाने वाले जैसे कई ग्रह परिवर्तन भी इसी महीने में हो रहे हैं। सावन के हर सोमवार व्रत का अपना विशेष महत्व है।
इस बार सावन के चार सोमवार
नया व्यवसाय और लंबी अवधि की योजनाओं को शुरू करने के लिए सावन का पहला सोमवार उत्तम
पहला सोमवार- इस साल सावन का पहला सोमवार 25 जुलाई को है और यह धृति योग में आएगा। साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी कुछ समय तक रहेगा। माना जाता है कि इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से बाधाओं से मुक्ति मिलती है और योजनाओं को पूरा करने में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
धृति योग के विषय में माना जाता है कि इस योग में जन्म लेने वाले बच्चे धैर्यवान और ज्ञानी होते हैं। इस योग में अगर कोई काम शुरू करेंगे तो कार्य लंबे समय तक चलता रहेगा। इसलिए नया व्यवसाय और लंबी अवधि की योजनाओं को शुरू करने के लिए सावन का पहला सोमवार उत्तम है।
दूसरे सोमवार में शिव को भांग, धतूरा एवं शहद अर्पित करना अति फलदायी
दूसरा सोमवार- सावन का दूसरा सोमवार एक अगस्त को वज्र योग में पड़ रहा है। इस दिन भी सर्वार्थ सिद्धि योग है। इस दोनों योगों के कारण सावन का दूसरा सोमवार विशेष फलदायक बन गया है। इस संयोग में शिव स्तुति करने से शक्ति मिलती है और स्वास्थ्य ठीक रहता है। इस सोमवार के दिन भगवान शिव को भांग, धतूरा एवं शहद अर्पित करना उत्तम फलदायी रहेगा।
इस दिन शिव की पूजा करने से कठिन कार्य भी होंगे पूर्ण
तीसरा सोमवार- सावन का तीसरा सोमवार आठ अगस्त को साद्य योग में आएगा। इस योग को साधना और भक्ति के लिए
उत्तम माना गया है। इस दिन शिव की पूजा करने से कठिन से कठिन काम भी पूर्ण होंगे।
शिव की आराधना करने से आयु में वृद्धि, आर्थिक परेशानियां होंगी दूर
जीवन पर आने वाले हर संकट से भगवान शिव करेंगे रक्षा
चौथा सोमवार- सावन का चौथा सोमवार 15 अगस्त को आयुष्मान योग में होगा। यह सोमवार प्रदोष व्रत को साथ लेकर आ रहा है। प्रदोष व्रत भी भगवान शिव को समर्पित होता है। इसलिए इस सोमवार का महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन शिव की आराधना करने वाले जातकों की आयु में वृद्धि होती है। आर्थिक परेशानियों में कमी आती है तथा जीवन पर आने वाले संकट से भगवान शिव रक्षा करते हैं।
इस तरह करें व्रत का पालन : आचार्य महेंद्र कृष्ण शर्मा
आचार्य महेंद्र कृष्ण शर्मा बताते हैं कि सावन महीने में किए गए व्रत अत्यंत फलदायी होते हैं और यदि इन व्रतों को नियम से किया जाए तो निश्चय ही शुभ फल प्राप्त होते हैं। उन्होंने बताया कि किस तरह से सावन महीने में सोमवार के व्रत का पालन किया जाना चाहिए और पूजा करनी चाहिए। सबस पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठें और पूरे घर की सफाई कर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। उसके उपरान्त गंगा जल या पवित्र जल पूरे घर में छिड़कें। घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पूजन सामग्री में जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृ्त, मोली, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बेल-पत्र, भांग, आक-धतूरा, कमल,गठ्टा, प्रसाद, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, मेवा, दक्षिणा चढ़ाया जाता है।
सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है। शिव पूजा के बाद सोमवार व्रत की कथा सुननी आवश्यक है। सावन महीने में सोमवार के दिन भगवान शिवजी का व्रत करना चाहिए और व्रत के बाद भगवान श्री गणेश जी, भगवान शिवजी, माता पार्वती व नन्दी देव की पूजा करनी चाहिए। सावन में सोमवार का व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार श्रावण माह शुरु होने से पहले ही देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं। इसलिए यह समय भक्तों, साधु-संतों के लिए अमूल्य होता है। यह चार महीनों में होने वाला एक वैदिक यज्ञ है, जो एक प्रकार का पौराणिक व्रत है जिसे चातुर्मास कहा जाता है। इस चार मास तक भगवान शिव ही इस सृष्टि के पालनकर्ता रहते हैं। इस दौरान वह ही भगवान विष्णु के भी कामों को भी देखते हैं। ऐसे में चार माह तक त्रिदेवों की सारी शक्तियां भगवान शिव के पास ही रहती हैं।
- सावन के सोमवार की पौराणिक मान्यता
सावन के सोमवार के व्रत के विषय में पौराणिक मान्यता है कि सबसे पहले इस व्रत को माता पार्वती ने पति रूप में भगवान
शिव को प्राप्त करने के लिये किया था। इस व्रत के फलस्वरूप ही उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। तभी से इस व्रत को मनोवांछित पति की कामना पूर्ति के लिये भी कन्याओं के द्वारा किया जाता है। इसीलिए सोमवार के व्रत का शिव की आराधना और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये विशेष महत्व है।
यह व्रत स्त्री और पुरूष दोनों रख सकते हैं। सौभाग्यवती स्त्रियां जहां अपने पति की लम्बी आयु, संतान रक्षा के साथ-साथ अपने भाई की सुख-सम्रद्धि के लिये यह व्रत करती हैं, वहीं पुरूष लोग इस व्रत का पालन संतान, धन-धान्य और प्रतिष्ठा के लिए करते हैं।
- सावन के व्रत रखने से विद्यार्थी के ज्ञान में होती है वृद्धि
सोमवार व्रत का नियमित रूप से पालन करने से भगवान शिव और देवी पार्वती की अनुकम्पा बनी रहती है। जीवन धन-धान्य से भरा रहता है और व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। सावन सोमवार व्रत का विद्यार्थी के लिए विशेष महत्व है। इस व्रत को रखने से विद्यार्थी के ज्ञान में वृद्धि होती हैं।
- सावन में शिवशंकर की पूजा
सावन के महीने में भगवान शंकर की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दौरान पूजन की शुरूआत महादेव के अभिषेक के साथ की जाती है। अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, ऑक मदार, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है। इसके साथ की भोग के रूप में धतूरा, भाँग और श्रीफल महादेव को चढ़ाया जाता है।
- अभिषेक करने के पीछे पौराणिक कथा
महादेव का अभिषेक करने के पीछे एक पौराणिक कथा का उल्लेख है कि समुद्र मंथन के समय हलाहल विष निकलने के बाद जब महादेव इस विष का पान करते हैं तो वह मूर्च्छित हो जाते हैं। उनकी दशा देखकर सभी देवी-देवता भयभीत हो जाते हैं और उन्हें होश में लाने के लिए निकट में जो चीजें उपलब्ध होती हैं, उनसे महादेव को स्नान कराने लगते हैं। इसके बाद से ही जल से लेकर तमाम उन चीजों से महादेव का अभिषेक किया जाता है।
- एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र
भगवान शिव को भक्त प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र और समीपत्र चढ़ाते हैं। इस संबंध में एक पौराणिक कथा के अनुसार जब
89 हजार ऋषियों ने महादेव को प्रसन्न करने की विधि परम पिता ब्रह्मा से पूछी तो ब्रह्मदेव ने बताया कि महादेव सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं। ऐसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक समीपत्र का महत्व होता है।
- बेलपत्र ने दिलाया वरदान
बेलपत्र महादेव को प्रसन्न करने का सुलभ माध्यम है। बेलपत्र के महत्व में एक पौराणिक कथा के अनुसार एक भील डाकू परिवार का पालन-पोषण करने के लिए लोगों को लूटा करता था। सावन महीने में एक दिन डाकू जंगल में राहगीरों को लूटने के इरादे से गया। एक पूरा दिन-रात बीत जाने के बाद भी कोई शिकार नहीं मिलने से डाकू काफी परेशान हो गया। इस दौरान डाकू जिस पेड़ पर छुपकर बैठा था, वह बेल का पेड़ था और परेशान डाकू पेड़ से पत्तों को तोड़कर नीचे फेंक रहा था। डाकू के सामने अचानक महादेव प्रकट हुए और वरदान माँगने को कहा। अचानक हुई शिव कृपा जानने पर डाकू को पता चला कि जहाँ वह बेल पत्र फेंक रहा था उसके नीचे शिवलिंग स्थापित है। इसके बाद से बेलपत्र का महत्व और बढ़ गया।
सावन के त्यौहार
- -02 अगस्त को सोमवती अमावस्या यानी हरियाली अमावस्या।
- -06 अगस्त को गणेश चतुर्थी।
- -07 अगस्त को नाग पंचमी।
- -11 अगस्त को दुर्गाष्टमी पर्व।
- -14 अगस्त को पुत्रदा एकादशी।
- -15 अगस्त को सोम प्रदोष व्रत एवं सावन का अंतिम सोमवार।
- -18 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व।
- -30 अगस्त को कामदा एकादशी।