हिमाचल प्रदेश वन पारिस्थितिकी प्रूफिंग परियोजना की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक
शिमला: हिमाचल प्रदेश वन पारिस्थितिकी प्रणाली जलवायु प्रूफिंग परियोजना के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए आज नई दिल्ली में एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसके तहत जर्मन विकास बैंक द्वारा वित्त पोषित 316 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा व चम्बा जिला में कार्यान्वित की जाएगी।
वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी, हिमाचल प्रदेश वन विकास निगम के उपाध्यक्ष केवल सिंह पठानिया, एशिया प्राकृतिक संसाधन एवं जलवायु के मण्डल प्रमुख एंड्रिया जानस्टोन व जर्मन विकास बैंक दल के विशेषज्ञ और हिमाचल प्रदेश वन विभाग के अधिकारियों ने बैठक में भाग लिया। जर्मन के सहयोग वाली इस परियोजना का उद्देश्य मौसम बदलाव के नकारात्मक प्रभावों को कम करना और जैव विविधता में बढ़ावा देना और ग्रामीण क्षेत्रों में वन संसाधनों के सतत प्रबन्धन के माध्यम से आय में वृद्धि करना है।
ठाकुर सिंह भरमौरी ने विशेषज्ञों से कहा कि परियोजना के नियमों व शर्तों के अनुसार धनराशि के सही उपयोग सुनिश्चित बनाने के लिए इस परियोजना के कार्यान्वयन में तेजी लाने के साथ-साथ अन्य मुद्दों को शीघ्रातिशीघ्र सुलझाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राज्य में वन जैव विविधता और पारिस्थितिकी प्रणाली के रूप में वैश्विक सार्वजनिक वस्तुएं उपलब्ध करवाने तथा राज्य में पर्यटन व जल विद्युत उत्पादन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो वन संसाधनों के सतत प्रबन्धन पर निर्भर है।
उन्होंने बैठक में कहा कि हिमाचल प्रदेश सहभागिता वन प्रबन्धन नियमन-2001 के अनुसार चम्बा व कांगड़ा जिलों के लगभग 600 पंचायतों के गांवों के समूहों का चयन इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए किया जाएगा।
परियोजना के कार्यान्वयन की प्रगति की अनुश्रवण के लिए राज्य स्तरीय परिचालन समिति भी गठित की जाएगी। हि.प्र. वन विकास निगम के उपाध्यक्ष केवल सिंह पठानिया ने क्षेत्र के लोगों के आपसी हितों के मुद्दों को उठाया और टीम के विशेषज्ञों को विश्वास दिया कि ग्रामीण लोगों के सहयोग से इस परियोजना को निर्धारित समय के भीतर सफलतापूर्वक पूरा करने के हर संभव प्रयास किए जाएंगे।
बाद में, ठाकुर सिंह भरमौरी ने हाल ही में जीआईजेड के साथ हस्ताक्षरित 38 करोड़ रुपये की लागत वाली तकनीकी सहयोग परियोजना की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता भी की। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य पारिसिथतिकी प्रणाली सेवाएं प्रबन्धन क्षेत्र में अपनाई जाने वाली बेहतर प्रक्रियाओं को भारत सरकार और अन्य हिमालय राज्यों के साथ सांझा एवं विकास करवाना है। जर्मन गणराज्य के कंट्री निदेशक डॉ. वोल्फगैंग हेंनिग, जीआईजेड के निदेशक ऐडगर एंद्रूकेतिस, दल के प्रमुख जोछिम और मुख्य परियोजना निदेशक डॉ. सुरेश व हिमाचल प्रदेश वन विभाग के परियोजना निदेशक पुष्पेन्द्र राणा भी इस बैठक में उपस्थित थे।