विधायक सुधीर शर्मा ने जो भी तथ्य वीडियो क्लिप में बताए, वह पूरी तरह से अधूरे व गलत – इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड
विधायक सुधीर शर्मा ने जो भी तथ्य वीडियो क्लिप में बताए, वह पूरी तरह से अधूरे व गलत – इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड
शिमला : सोशल मीडिया पर आज भारतीय जनता पार्टी के विधायक सुधीर शर्मा द्वारा हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड में एक निविदा पर कथित अनियमितताओं पर जारी एक विडियों क्लिप पर बोर्ड द्वारा कडी प्रतिक्रिया जारी की गई है। यह निविदा आई0बी0आर0डी0 द्वारा पोषित परियोजना में विद्युत आपूर्ति में सुधार के अन्तर्गत सोलन, परवाणु, बदी, नाहन एवं पांवटा साहिब शहर में स्मार्ट ग्रिड तकनीक को अपनाने सम्बन्धित है। बोर्ड ने कहा है कि विधायक द्वारा जो भी तथ्य वीडियो क्लिप में बताए गए हैं वह पूरी तरह से अधूरे व गलत है। बोर्ड के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने स्पष्ट किया है कि निविदा के सम्बन्ध में निर्णय हाल ही सम्पन्न हुई निदेशक मंडल (बीओडी)की बैठक में सभी सदस्यों के इस मामले में विस्तृत चर्चा के बाद ही पूरी तरह सोच समझ कर सभी सदस्यों के बहुमत से लिया गया है। उन्होंने कहा है कि बैठक में एक सदस्य, विशेष सचिव वित्त ने इस मामले में कुछ आपतियां जताई थी जिसके बारे में सदस्य को विस्तृत जानकारी बैठक के दौरान प्रदान कर दी गई थी और इस प्रस्ताव को सात- एक के बहुमत से ही पारित किया गया है और प्रस्ताव की पूरी जानकारी बैठक की कार्यवाही में प्रदान की गई है और 14 बिन्दुओं पर विशेष सचिव की टिपणीयों को भी निराधार और सरकारी नियमों के खिलाफ पाया गया है। उन्होंने जानकारी दी कि इस परियोजना में भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार के वित्त मंत्रलाय द्वारा 29 अक्तूबर, 2021 को जारी अधिसुचना में निर्धारित सभी नियमों का पालन किया जा रहा है जो कि सिगंल निविदा के विषय में हैं। केन्द्र सरकार इस परियोजना को समय सीमा में शुरू व समाप्त करने के लिए बहुत अधिक दबाव बनाया जा रहा है। इस परियोजना के अभाव में प्रदेश इस महत्वाकांशी परियोजना से वंचित रह जाएगा और उपभोक्ताओं को परेशानियों का सामना करना पडेगा। 175 करोड़ रूपये की निविदा को 245 करोड़ रूपये में आबंटित करने के आरोप पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए उन्होंने जानकारी दी कि इसमें 100 करोड की राशी कहा से आ गई, जबकि प्राईस ईंडेक्स के अनुसार ही इस निविदा का मुल्य केवल 65 करोड़ रूपये ही बढा़ है। इस निविदा में हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (एचपीआरसी) की दरों पर इसकी कीमत वर्ष 2023-24 के लिए 224 करोड़ रूपये बनती है जबकि वर्तमान वित वर्ष 2024-25 में यह निविदा 240 करोड की स्वीकृत की गई है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट मीटरींग से सम्बन्धित निविदा में जहां निविदा का मुल्य दोगुना भी हो रहा है वहां वित्त विभाग द्वारा कोई प्रश्न नहीं उठाया जा रहा है। परन्तु इस मामले में जहां निविदा केवल हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (एच0पी0आर0सी0) के स्वीकृत कास्ट डाटा दरों से केवल सात प्रतिशत उपर है पर अनावश्यक सवाल उठाए जा रहे हैं जो पूरी तरह आश्चर्य जनक व गलत है। यहां पर यह कहना आवश्यक है कि स्मार्ट मीटरींग की निविदा की दर दोगुनी इसलिए हुई क्योकि इस निविदा को बार-बार अनावश्यक कारणों से पिछली सरकार द्वारा रद् किया गया। जिस देरी के कारण दाम दोगुने हो गए और ऐसी परिस्थिितियों को कम करने के लिए भाजपा की केन्द्र सरकार ने सिंगल टेंडर को स्वीकार करने का नियम बनाया जो कि वर्तमान मामले में भी लागू किया गया। उन्होंने कहा कि वित विभाग एक सलाहकार विभाग है और यह देखा गया है कि सरकार के कई महत्वपूर्ण निर्णयों में वित्त विभाग को नहीं माना गया है। इस बारे में उन्होंने विधायक सुधीर शर्मा द्वारा बैठक में दो अधिकारियों की अनुपस्थित बारे कहा है कि इन दो अधिकारियों ने बैठक में भाग नहीं लिया है और इनकी अनुस्थिति मिस कन्डक्ट के दायरे में आती है। इस सम्बन्ध में बोर्ड कुछ नहीं कर सकता। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह आश्चर्य जनक है कि भारतीय जनता पार्टी के विधायक द्वारा भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए नियमों पर आपति करना समझा से परे है गलत जानकारी से जनता में भ्रम फैलता है और इसलिए प्रैस के माध्यम से बिजली बोर्ड द्वारा जनता तक पंहुचाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भाजपा की केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित स्मार्ट मीटरींग प्रोजेक्ट के विरूद्ध कुछ कर्मचारी संगठनों द्वारा निविदा पर भ्रामक जानकारियां प्रदान कर प्रबन्धन पर अनावश्यक दबाव बनाकर केन्द्र सरकार की योजना को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी संगठन की बदनीयती इसी से स्पष्ट होती है कि उन्होंने स्वतन्त्र निदेशकों द्वारा उठाए गए विषयों जिसमें अनुदान की राशी सरकार द्वारा न देना व अन्य विषयों के बारे में विधायक को अवगत नहीं करवाया और केवल विषय को तोडमरोड कर पेश कर प्रबन्धन और सरकार की छवी को खराब करने का प्रयास किया है। उन्होंने माननीय विधायक से अनुरोध किया है कि वह जनता के प्रतिनिधि है और किसी भी तथ्य की जांच पड़ताल कर ही जनता को जानकारी दें। क्योकि इस तरह की भ्रामक जानकारियों से अच्छे कार्य करने वाले सरकार के अधिकारी हतोउत्साहित होते हैं। उन्होेंने कि व्हॅाटस ऐप के माध्यम से उन्होंने विधायक को पूरी तरह इस मामले में असल तथ्यों की जानकारी दे दी है।