स्मार्ट मीटर और बिजली का निजीकरण हो बंद – CPIM

शिमला: बिजली के निजीकण, स्मार्ट प्री पेड मीटर नीति व बिजली विधेयक 2022 के खिलाफ सीपीआईएम जिला कमेटी शिमला ने कालीबाड़ी हॉल शिमला में एक अधिवेशन का आयोजन किया। पार्टी ने निर्णय लिया है कि केंद्र सरकार की इस योजना के खिलाफ जनता को आंदोलन हेतु लामबंद किया जाएगा। पार्टी 15 जनवरी तक शिमला शहर के सभी वार्डों में जनसंवाद करेगी। अधिवेशन का उद्घाटन विजेंद्र मेहरा, समापन संजय चौहान व मंच संचालन जगत राम ने किया। अधिवेशन में फालमा चौहान, वीरेंद्र ठाकुर, जगमोहन ठाकुर, विजय कौशल, अभिमन्यु खोसला, जगदीप पंवर, महेश वर्मा, सोनिया, अमित ठाकुर, अनिल ठाकुर, बालक राम, जयशिव ठाकुर सहित लगभग दो सौ लोग शामिल रहे।

वक्ताओं ने स्मार्ट प्री पेड मीटर योजना को वापिस लेने की मांग की। उन्होंने बिजली के निजीकरण पर लगाम लगाने की मांग की। उन्होंने बिजली विधेयक 2022 को निरस्त करने की मांग की। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार बिजली क्षेत्र को निजी कंपनियों को बेचने पर आमदा है। बिजली विधेयक 2022 इसी का नतीजा है। केंद्र सरकार बिजली क्षेत्र में स्मार्ट प्री पेड मीटर लगाने का फैसला कर चुकी है। हिमाचल सरकार ने भी इन मीटरों को लगाने के लिए टेंडर आमंत्रित कर लिए हैं। स्मार्ट मीटर लगाने व बिजली प्रदान करने के लिए निजी कंपनियों को लाइसेंस दिए जाएंगे। इस तरह बिजली बोर्ड का स्वयं निजीकरण शुरू हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि प्री पेड बिजली स्मार्ट मीटर लगने से मोबाइल फोन की तरह पैसे खत्म होने पर स्मार्ट मीटर काम करना बन्द कर देगा व घर में बिजली आपूर्ति बाधित हो जाएगी। स्मार्ट मीटर का रेट बहुत ज़्यादा है जिसकी कीमत ग्राहकों से ही वसूली जाएगी। मीटर की लाइफ भी अधिकतम सात से आठ वर्ष होगी। स्मार्ट मीटर योजना के लागू होने से बिजली क्षेत्र का अपने आप ही निजीकरण हो जाएगा क्योंकि बिजली का वितरण निजी कंपनियों के हाथों में चला जाएगा। निजी बिजली कंपनियां अपने मुनाफे के लिए सरकारी बिजली बोर्डों द्वारा बनाए गए सब स्टेशनों व अन्य ढांचे का इस्तेमाल करेंगी। इस से बिजली बोर्ड के दफ्तरों व फील्ड में तैनात तकनीकी कर्मचारियों की स्वतः ही नौकरी से छुट्टी हो जाएगी। जब बिजली बोर्ड के अस्तित्व ही नहीं रहेगा तो फिर पेंशनभोगियों को पेंशन कहाँ से मिलेगी। स्मार्ट मीटर लगने से उभोक्ताओं का बिजली बिल हज़ारों रुपये आएगा जिस से गरीब जनता व मध्यम वर्ग बिजली से वंचित हो जाएगा। स्मार्ट मीटर लगने से गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों की सब्सिडी बन्द हो जाएगी व उन्हें मुफ्त बिजली नहीं मिलेगी। कम्पनियां मुनाफा अथवा लाभ कमाने के लिए बहुत ज़्यादा दरों पर बिजली बेचेंगी। कम स्मार्ट मीटर लगने से दिन व रात के समय के बिजली की दरें अलग – अलग हो जाएंगी। बिजली खराब होने पर उसे ठीक करने के दाम जनता से ही वसूले जाएंगे। लघु उद्योगों, दुकानदारों, आटा चक्की व आरा मशीन संचालकों, गरीब व मध्यम वर्ग के लिए स्मार्ट मीटर योजना विनाशकारी साबित होगी।

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