कीवी फ्रूट के लिए सहयोग के लिए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने नौणी और आसपास के क्षेत्रों का किया दौरा

सोलन: न्यूजीलैंड उच्चायोग और भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने उत्तर पश्चिमी और उत्तर पूर्वी हिमालय क्षेत्र में कीवी फल उत्पादन और संबंधित मूल्य श्रृंखला गतिविधियों के सुधार और विकास के लिए संभावित क्षेत्रों का पता लगाने के लिए डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी का एक चार सदस्यीय टीम ने दौरा किया।

टीम में ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण पूर्व एशिया के लिए विश्व बैंक सलाहकार डॉ. स्टेफनी मोंटगोमरी, न्यूजीलैंड के नॉर्थलैंड क्षेत्र के कीवीफ्रूट विशेषज्ञ डेनियल ब्लैक, भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में सलाहकार एमआईडीएच चिराग भाटिया और शिवा रेड्डी शामिल थे। टीम ने अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान और विश्वविद्यालय के फल विज्ञान के विभागअध्यक्ष डॉ. डीपी शर्मा के साथ जिला सिरमौर के नारग और दाड़ों देवरिया क्षेत्रों और जिला सोलन के शामती में कीवी के बगीचों का दौरा किया। विदेशी विशेषज्ञों और मंत्रालय के सदस्यों ने किसानों के साथ उनके बगीचों में बातचीत की और न्यूजीलैंड में अपनाई जा रही प्रशिक्षण और छंटाई तकनीकों का भी किसानों को प्रदर्शन किया।

टीम ने विश्वविद्यालय के फल विज्ञान विभाग के कीवीफल प्रायोगिक क्षेत्र का भी दौरा किया, जो 1985 में लगाया गया देश में कीवीफ्रूट का पहला व्यावसायिक कीवी उद्यान है। उन्होंने विश्वविद्यालय के नर्सरी क्षेत्र और प्रयोगशालाओं का भी दौरा किया। कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें पूरे हिमालय क्षेत्र की मध्य पहाड़ियों के लिए एक विविधकरण के लिए कीवी की व्यवहार्यता पर चर्चा की गई। बैठक में दोनों विशेषज्ञों द्वारा न्यूजीलैंड और भारत के बीच सहयोग की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए प्रस्तुति दी गई। डॉ. डीपी शर्मा ने कीवी के पैकेज ऑफ प्रैक्टिस के मानकीकरण और वैज्ञानिक जनशक्ति के संबंध में विश्वविद्यालय की ताकत, प्रकाशित शोध पत्र, कीवीफ्रूट पर एमएससी और पीएचडी छात्रों द्वारा पूरे किए गए शोध, जलवायु डेटा, और भारत में कीवी फल की खेती के लिए पैकेज ऑफ प्रैक्टिस के मानकीकरण के लिए अग्रणी संस्थान होने के नाते क्षेत्र और प्रयोगशाला के बुनियादी ढांचे और नर्सरी उत्पादन में हुई प्रगति पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी।

बैठक में सी॰आई॰टी॰एच॰ के निदेशक डॉ. एम॰के॰ वर्मा, अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान, विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, विषय विशेषज्ञ और प्रगतिशील किसान उपस्थित रहे। सदस्यों की राय थी कि विश्वविद्यालय को भारत में कीवीफ्रूट के लिए उत्कृष्टता केंद्र होना चाहिए।

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