सोलन: नौणी विवि में परमार जयंती पर डॉ यशवंत सिंह परमार को किया याद

 सेब दिवस के दौरान किसानों को उच्च घनत्व सेब की खेती के बारे में दी जानकारी

सोलन: डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में हिमाचल प्रदेश के निर्माता और पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार को उनकी 117वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई इस अवसर पर विश्वविद्यालय में एक सेब दिवस का आयोजन भी किया गया जिसमें शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों के 150 से अधिक प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया।

कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा डॉ परमार, जिनके प्रयासों से हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला, को पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने इस अवसर पर कहा कि हिमाचल के इस दूरदर्शी नेता के नाम पर विश्वविद्यालय का नामकरण इस संस्थान के सभी छात्रों और कर्मचारियों के लिए बहुत ही गर्व और सम्मान की बात है। उन्होंने कहा कि डॉ. परमार के पास वैज्ञानिक दृष्टि थी और उन्होंने कल्पना की थी कि टिकाऊ बागवानी और वन संसाधन हमारी भविष्य की आर्थिक समृद्धि का आधार हैं।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा उच्च घनत्व वाले सेब बागानों के लिए विकसित प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करने के लिए फल विज्ञान विभाग के सेब के बगीचे में सेब दिवस का आयोजन किया गया। इस आयोजन के पीछे का विचार सेब की सघन खेती के बारे में  किसानों को अवगत कराया और उनकी समस्याओं का समाधान करना था। फल विज्ञान विभाग के एचओडी डॉ. डीपी शर्मा और विभिन्न विभागों के वैज्ञानिकों ने क्षेत्र भ्रमण के दौरान किसानों को सघन खेती के विभिन्न पहलुओं के बारे में अवगत करवाया। इसके उपरांत, विस्तार शिक्षा निदेशालय में किसान-वैज्ञानिक संवाद भी आयोजित किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति और विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पोषक तत्व प्रबंधन, कीट-पतंगों, बीमारियों, प्राकृतिक खेती और समग्र उद्यान प्रबंधन पर किसानों के प्रश्नों का समाधान किया।

इसके अतिरिक्त, प्रसिद्ध मशरूम उद्यमी और देहरादून की हान एग्रो केयर और हिरेशा मल्टीवर्स के सीईओ डॉ. हिरेशा वर्मा की एक विशेष लेक्चर संकाय और छात्रों के लिए आयोजित किया गया। डॉ हिरेशा ने बताया कि उन्होंने 2000 रुपये से अपना मशरूम उद्यम शुरू किया और इस वर्ष उनकी कंपनी  मशरूम से 10 करोड़ से अधिक का कारोबार करने की उम्मीद है। उन्हें ‘हिमालय की मशरूम क्वीन’ की उपाधि मिली है और वह देश की शीर्ष 75 महिला उद्यमियों में भी शामिल हो चुकी हैं। डॉ. हिरेशा ने औषधीय मशरूम उगाकर ग्रामीण क्षेत्रों में 5000 से अधिक महिलाओं को आजीविका कमाने में मदद की है। उन्होंने छात्रों से कृषि-बागवानी क्षेत्र में उद्यमिता के अवसर तलाशने का आग्रह किया। इस अवसर पर डॉ. चंदेल ने छात्रों और शिक्षकों के साथ अपनी उद्यमशीलता यात्रा साझा करने और उन्हें अपना उद्यम शुरू करने के लिए प्रेरित करने के लिए डॉ. हिरेशा को धन्यवाद दिया। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने चारों ओर देखें और ऐसे नए व्यवसाय शुरू करें जो किसानों की समस्याओं का समाधान करें और उनकी उपज में मूल्य जोड़ें। सत्र में सभी वैधानिक अधिकारी सहित दोनों कॉलेजों के संकाय और छात्र इस सत्र में शामिल हुए।

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